जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य निरीक्षक से फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर कराने के लिए दबाव बनाने और उसके साथ मारपीट करने के मामले में नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर के पति और करौली नगर परिषद के तत्कालीन सभापति को राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.
न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश राजाराम गुर्जर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में कहा गया कि उसे राजनीतिक द्वेषता के कारण फंसाया गया है. वहीं राज्य सरकार ने उसे कथित घटना के बाद उसे निलंबित किया गया था लेकिन उसे बाद में वापस बहाल कर दिया गया. इसके अलावा उसके खिलाफ एक मामले को छोड़कर सभी प्रकरण तय हो चुके हैं. ऐसे में उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए. जिसका विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता आदतन अपराधी है. इसके खिलाफ करीब एक दर्जन मामले दर्ज हैं.
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नगर परिषद के स्वास्थ्य निरीक्षक मुकेश कुमार ने जब 190 ठेका सफाई कर्मचारियों के स्थान पर 340 कर्मचारियों के वेतन बिलों पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया तो याचिकाकर्ता ने उसके साथ मारपीट की. इस पर मुकेश कुमार ने कोतवाली थाने में 13 नवंबर 2019 को मामला दर्ज कराया. सभी पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.