जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट में रीट भर्ती-2021 के पेपर लीक मामले में राज्य सरकार की ओर से अपना जवाब पेश किया गया है. अदालत ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की सुनवाई 24 फरवरी को तय की है. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जनहित याचिका पर दिए हैं.
राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि प्रदेश में पूर्व में भी कई परीक्षाओं के पेपर लीक हुई हैं. एसओजी की रिपोर्ट पर आरएएस भर्ती-2013, कांस्टेबल भर्ती-2013, कनिष्ठ लेखाकार भर्ती-2015, लिपिक ग्रेड द्वितीय भर्ती-2013 और जेल वार्डन भर्ती-2016 को रद्द किया गया है. इसके अलावा एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर आरएएस भर्ती-2015 को हाईकोर्ट ने रद्द किया था. इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने इन भर्तियों को लेकर सीबीआई जांच की मांग नहीं की.
इसके अलावा याचिकाकर्ता अपने आप को नेशनल लेवल का संगठन बताता है. इसके बावजूद यूपी की टेट, ट्यूबवेल ऑपरेटर, हरियाणा की शिक्षक पात्रता परीक्षा, गुजरात की चीफ क्लर्क परीक्षा और कांस्टेबल भर्ती परीक्षा, महाराष्ट्र में चिकित्सा विभाग की ग्रुप डी और इंजीनियरिंग सर्विस, एमपी की वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और नर्स भर्ती के साथ ही कनार्टका की असिस्टेंट ग्रेड प्रथम की भर्ती को पेपर लीक के चलते पिछले सात सालों में रद्द किया गया है.
इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने इन परीक्षाओं को लेकर सीबीआई जांच की मांग नहीं की है. याचिकाकर्ता ने रीट मामले में बेवजह की जनहित याचिका पेश कर एसओजी सहित राज्य सरकार के अन्य अधिकारियों पर आधारहीन आरोप लगाए हैं. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने गलत दस्तावेज पेश कर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाए. गौरतलब है कि एबीवीपी ने जनहित याचिका दायर कर रीट पेपर लीक को लेकर सीबीआई जांच की गुहार लगाई है जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने गत दिनों राज्य सरकार से जवाब मांगा था.