जयपुर. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार आर्थिक तंगी से गुजर रही है. वैक्सीन खरीदने का भार भी सरकार के जिम्मे है. मंत्री विधआयकों के वेतन में कटौती हुई है. उच्च अधिकारियों के वेतन कटौती के भी आदेश हो गए हैं. अब कर्मचारियों की वेतन कटौती की तैयारी चल रही है.
8 लाख कर्मचारी फैसले के खिलाफ
राजस्थान के 8 लाख कर्मचारी सरकार के इस फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं. कमर्चारी संगठनों का कहना है कि जरूरत के वक्त ही सरकार को कर्मचारियों की याद आती है. लेकिन कर्मचारी की समस्याएं सुनने के लिए सरकार के पास टाइम नहीं होता. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने ढाई साल में कर्मचारियों की सुध नहीं ली. अब आर्थिक संकट में कमर्चारी याद आये. संगठन ने वेतन कटौती का समर्थन तो किया है. लेकिन साथ ही शर्त रख दी कि पहले सरकार वेतन विसंगति दूर करे. उन्होंने कहा कि हर कर्मचारी कई साल से 10-12 हजार की वेतन कटौती झेल रहा है.
वेतन बढ़ोतरी का आदेश जारी करे सरकार
कर्मचारी संगठन कहते हैं कि 30 अक्टूबर 2017 को वेतन कटौती के आदेश जारी किए थे. जिसे कर्मचारी संगठन लगातार वापस लेने की मांग करते आ रहे हैं. कर्मचारी संगठनों का ये भी कहना है कि 5 जुलाई 2013 को सरकार ने वेतन बढ़ोतरी का जो आदेश जारी किया था, उसे ही फिर से लागू किया जाए. जिससे कि कर्मचारियों को राहत मिल सके.
स्वैच्छिक वेतन कटौती करे सरकार
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के प्रदेश महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने साफ कहा कि वेतन कटौती का संगठन विरोध करता है. कुछ कर्मचारी संगठन इसके पक्ष में हैं तो वे अपने कर्मचारियों की सूची देकर कटौती करवा लें. उन्होंने कहा कि सरकार फैसले पहले सहमति ले फिर स्वैच्छिक कटौती करे.
ये है सरकारी कर्मचारियों की वेतन कटौती का प्रस्ताव (सूत्र)
सहायक कर्मचारियों का 1 दिन, मंत्रालयिक कर्मचारियों का 2 दिन, अधीनस्थ सेवा कर्मचारियों का 3 दिन, गजेटेड अधिकारियों का 5 दिन का वेतन कटेगा. सूत्रों के मुताबिक प्रस्ताव को मुख्यमंत्री स्तर पर मंजूरी भी मिल चुकी है. लेकिन कर्मचारियों का विरोध देखते हुए सरकार इसे जारी करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है.