- 33 में 12 जिले प्रमोटी आईएएस (IAS) किए गए हैं तैनात
- तीसरी पारी में सीएम गहलोत की कार्यप्रणाली में दिखा बदलाव
जयपुर. राजस्थान के गांधी और राजनीति के जादूगर के नाम से पहचान रखने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कार्यकाल इस बार कई मायनों में अलग है. अक्सर ब्यूरोक्रेसी को साथ लेकर चलने वाले सीएम गहलोत की कार्यशैली में इस बार बदलाव देखने को मिल रहा है. अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने सीधी भर्ती वालों की अपेक्षा प्रमोटी आईएएस अफसरों पर भरोसा जताया है. प्रदेश के 33 जिलों में से एक दर्जन जिलों की कमान प्रमोटी आईएएस अफसरों को दी गई है.
नेताओं ने प्रमोटी आईएएस पर जताया अधिक भरोसा
गहलोत सरकार में प्रमोटी आईएएस अफसरों को जिलों की कमान सौपना ब्यूरोक्रेसी में बदलाव का यह नया रूप है. प्रमोटी आईएएस अफसरों के प्रति सरकार के भरोसे के पीछे उनका 'एटीट्यूड' है. नए आईएएस अधिकारी स्टेट फॉरवार्ड होते हैं, जबकि प्रमोटी आईएस मध्यममार्गी होते हैं. यही वजह है कि प्रमोटी आईएएस अफसर नेताओं की पहली पसंद बने हुए हैं.
एक के पास अनुभव तो दूसरा तकनीकी स्तर पर मजबूत
प्रदेश के 33 जिलों में से एक दर्जन जिलों की कमान प्रमोटी आईएएस अफसरों को दी गई है. पूर्व आईएएस राजेन्द्र भाणावत कहते हैं कि एक तो आरएएस से प्रमोट होकर आईएएस बनते हैं और बाकी सीधी भर्ती से चुने हुए आईएएस होते हैं. दोनों की अपनी-अपनी कार्यशैली होती है. सरकार को काम काज के मपदण्ड के आधार पर जिले की कमान अफसर को सौंपनी चाहिए. न किसी राजनीतिक पंसद से क्योंकि जिले का दायित्व बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है. आम जनता से सीधा जुड़ाव और उनकी समस्यों के समाधान की वे महत्वपूर्ण सीढ़ी होते हैं.
सीएम की सूची में 'प्रमोटियों' पर भरोसा
गहलोत सरकार ने मौजूदा आईएएस अफसरों की सूची में प्रमोटी आईएएस अफसरों के प्रति भरोसा दिखाया है. राजधानी जयपुर की कमान भी सरकार ने प्रमोटी आईएएस अंतर सिंह नेहरा को दे रखी है. इससे पहले भी सरकार ने जयपुर की कमान प्रमोटी आईएएस जगरूप सिंह यादव को दी थी। राज्य सरकार ने 9 अप्रैल 2021 को ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव करते हुए 67 आईएएस अफसरों के तबादले किए थे। उस वक्त देखा गया था कि ज्यादातर जिलों की कमान प्रमोटी आईएएस को दी गई थी.
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पूर्व आईएएस राजेन्द्र भाणावत बताते हैं कि सरकारों का अपना विशेष अधिकार होता है कि वह किस अफसर को क्या जिम्मेदारी दे. इसमें कोई ऐसा मापदण्ड नहीं होता कि प्रमोटी को ही क्यों जिम्मेदारी दी गई .
प्रमोटी आईएएस की पकड़ मजबूत...
राज्य सरकार का मानना है कि प्रमोटी आईएएस को फील्ड की जानकारी सीधी भर्ती वाले अफसरों की तुलना में ज्यादा रहती है. वे आमजन की समस्याओं का समाधान त्वरित गति से करते हैं. जबकि सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसरों की स्थानीय मुद्दों पर पकड़ उतनी मजबूत नहीं होती है. पूर्व आईएएस राजेन्द्र भाणावत कहते हैं कि दोनों की अपनी-अपनी काबिलियत होती है. प्रमोटी के पास एक ग्रास रुट पर काम करने का बड़ा अनुभव होता है, वहीं सीधी भर्ती के अफसरों के पास लेटेस्ट तकनीक की जानकारी होती है.
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दरअसल, दक्षिण भारत के अहम राज्य तमिलनाडु के दो प्रमुख क्षेत्रीय दल डीएमके और अन्ना डीएमके सीधी भर्ती वाले अफसरों की बजाय अपने राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों पर भरोसा करते रहे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई सार्वजनिक मंचों पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के कामकाज की तारीफ करते रहे हैं. यह सही है कि आरएएस से आईएएस बने अफसरों का जुड़ाव सीधे जनता से रहता है, तो क्या प्रदेश की गहलोत सरकार ने इसी मंशा के साथ एक दर्जन जिलों की कमान प्रमोटी आईएएस को सौंप रखी है. क्या जनप्रतिनिधियों की पसंद के आगे काबिलियत को नजर अंदाज किया गया है. यह भी एक बड़ा सवाल सामने उठ रहा है.