जयपुर. प्रदेश के 8 लाख कर्मचारियों की वेतन कटौती से पहले गहलोत सरकार ने कर्मचारी संगठनों को मनाने की कवायद शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कर्मचारी संगठनों से वार्ता के लिए मुख्य सचिव वित्त सचिव को निर्देश जारी किए हैं कि वे कर्मचारी संगठनों से वार्ता कर उनकी लंबित मांगों का समाधान का आश्वासन कर्मचारी संगठनों को दें.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से मुख्य सचिव और वित्त सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि कर्मचारी संगठनों की जो भी लंबित मांगे हैं उन पर तत्काल समाधान करने के प्रयास किए जाएं. साथ ही आश्वासन भी दिया जाए कि सरकार कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर गंभीर है.
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28 मई को बैठक हुई थी स्थगित
दरअसल कर्मचारियों की वेतन कटौती से पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कर्मचारी संगठनों की बैठक बुलाई थी, लेकिन ऐन वक्त पर विरोध की आशंका के चलते बैठक स्थगित कर दी गई थी. लेकिन अब मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मुख्य सचिव निरंजन आर्य नए सिरे से वार्ता की योजना बना रहे हैं.
दरअसल, सरकार चाहती है कि कोरोना फंड के लिए वेतन कटौती को लेकर कर्मचारी संगठनों में एक राय हो और कर्मचारी स्वैच्छिक रूप से सीएम रिलीफ फंड में दान देने के लिए आगे आएं.
जून माह की वेतन कटौती तय!
विरोध की आशंका के चलते सरकार ने इस बार मई माह की तनख्वाह में कटौती नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि जून माह में कर्मचारियों की वेतन कटौती तय है. ऐसे में सरकार वेतन कटौती से पहले कर्मचारी संगठनों को मनाने की कवायद में लगी हुई है.
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मांगों का समाधान नहीं होने से नाराज हैं कर्मचारी संगठन
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद भी विभागीय स्तर पर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है, लंबे समय से कर्मचारी संगठन वेतन विसंगतियों और पदोन्नति जैसी मांगों को लेकर लामबंद हैं. कई बार मुख्य सचिव को ज्ञापन भी दिया गया लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है, जिसके चलते कर्मचारी संगठन सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं.
मांगें मानी तो पड़ेगा अतिरिक्त भार
वहीं सरकार के सामने परेशानी ये कि अगर सरकार कर्मचारी संगठनों की लंबित वेतन विसंगतियों और पदोन्नति की मांग मानकर उन्हें लागू करती है तो सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा, इसी के चलते सरकार अब तक कर्मचारी संगठनों की मांगों को लागू करने से बचती आ रही है.