जयपुर : सरकारी स्कूलों में छात्राओं का नामांकन तेजी से घटा है. बीते दिनों शिक्षा मंत्री ने इसका ठीकरा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर फोड़ा, लेकिन छात्राओं के बीच में ही स्कूल छोड़ने का एक कारण स्कूलों में सुविधाओं के अभाव को भी माना जाता है. यही वजह है कि अब स्कूल शिक्षा परिषद ने सबसे पहले सरकारी स्कूलों में छात्राओं के टॉयलेट्स बनाने और उन्हें फंक्शनल करने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए 85 करोड़ का एमओयू साइन किया है. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त अविचल चतुर्वेदी के निर्देशन में स्कूल शिक्षा विभाग और सोशल रिसर्च डेवलपमेंट सोसाइटी के बीच ये एमओयू हुआ है.
तीन चरणों में होगा काम : संगठन के संरक्षक गोपाल जालान ने एमओयू के दौरान कहा कि इस एमओयू का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए बेहतर और स्वच्छ सुविधाएं सुनिश्चित करना है. इस परियोजना के तहत पहले चरण में जयपुर, भरतपुर और कोटा जिलों में 7 करोड़ रुपए की लागत से 206 स्कूलों में टॉयलेट्स फंक्शनल किए जाएंगे. इसके बाद दूसरे चरण में 19 जिलों और फिर तीसरे चरण में भी 19 जिलों में काम किया जाएगा.
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छात्राओं की स्कूलों में उपस्थिति बढ़ेगी : स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त अविचल चतुर्वेदी ने बताया कि एमओयू से विशेषकर छात्राओं की स्कूलों में उपस्थिति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. स्वच्छ और अनुकूल शौचालय सुविधाओं के निर्माण से न केवल बच्चों का ठहराव बढ़ेगा, बल्कि उनके नामांकन में भी बढ़ोतरी होगी. ये पहल शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ छात्राओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी. इससे स्कूलों का माहौल पहले से ज्यादा इंक्लूसिव (समावेशी) और एट्रैक्टिव बनेगा.
आपको बता दें कि इस बार शहर की स्वच्छता के साथ-साथ शहर के स्कूलों की स्वच्छता के भी सर्वेक्षण में अंक निर्धारित किए गए हैं. पहली बार सर्वेक्षण में केंद्रीय टीम स्वच्छता की परख करने के लिए स्कूलों में भी जाएगी, जहां गीले-सूखे कचरे के अलग-अलग कूड़ेदान, स्कूल में स्वच्छ टॉयलेट और छात्र टॉयलेट्स का उपयोग कर रहे हैं या नहीं इसके अंक निर्धारित किए गए हैं.