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राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने PM को लिखा पत्र...आर्थिक तंगी से निपटने के लिए भेजा अनूठा प्रस्ताव, जानें - आर्थिक सहायता पैकेज

लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी से निपटने के लिए राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अतिरिक्त संसाधन जुटाने संबंधित प्रस्ताव भेजा है. इस पत्र में बिना किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करारोपण किए सरकार की ओर से जनता को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की अपील की है.

Letter to Prime Minister, Rajasthan Dalit Muslim Ekta Manch
राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
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Published : Jun 15, 2020, 4:47 PM IST

जयपुर. कोविड-19 के चलते लंबे समय से चले लॉकडाउन के कारण वर्तमान में देश बहुत ही विषम आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश के सभी उद्योग व्यापार और छोटे फुटकर काम-धंधे बंद हो चुके हैं. ऐसे में केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ का सहायता पैकेज दिया है. लेकिन राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आर्थिक तंगी से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने संबंधित प्रस्ताव भेजा है.

राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

लॉकडाउन के बाद मजदूर और असंगठित वर्ग बेरोजगार हैं. उनके परिवारों के समक्ष भूखे मरने की नौबत आई हुई है. मध्यमवर्ग का बजट बिल्कुल बिगड़ चुका है, जबकि वह तो किसी से खुलकर दयनीय आर्थिक स्थिति के बारे में बताने में भी संकोच करते हैं. बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है, जो किसी भी प्रकार की सरकारी या सामुदायिक सहायता भी प्राप्त करने में अक्षम है. हालांकि इन समस्याओं को किसी हद तक हल करने के लिए भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ का सहायता पैकेज भी दिया है.

पढ़ें- सांसी समाज के प्रदेशाध्यक्ष ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट बरामद

राजस्थान दलित-मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ ने कहा कि इन परिस्थितियों में देश व जनहित को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रस्ताव का पत्र भेजा है. जिसमें बताया कहा है कि एक अनुमान के अनुसार देश के विभिन्न मंदिरों, मठों, दरगाहों, खानकाओं, गुरुद्वारों और गिरजाघरों के भंडारों में लगभग 15 हजार मैट्रिक टन स्वर्ण भंडारों के रूप में करोड़ों रुपये निष्क्रिय स्कन्ध पड़े हुए हैं.

पत्र में कहा गया है कि विषम परिस्थितियों में बिना किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करारोपण किये सरकार जनता को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए इन स्कंधों का या तो राष्ट्रीयकरण के माध्यम से अधिग्रहण कर सकती है या फिर दीर्घकालीन ऋण पत्रों के माध्यम से इनको कार्यशील पूंजी में परिवर्तित कर उपयोग में ला सकती है. क्योंकि वर्तमान में गरीब जनता किसी भी प्रकार का अतिरिक्त भार सहन करने में अक्षम है.

पढ़ें- राज्यसभा का 'रण': बीजेपी तय करेगी पोलिंग और काउंटिंग एजेंट, इन नेताओं को मिल सकती है जिम्मेदारी

उन्होंने कहा कि सरकार के इस प्रकार का निर्णय वैसा ही होगा जैसा कि जापान में एक बार जब आर्थिक संकट आया था तो वहां के बौद्ध धर्म गुरुओं ने सोने से निर्मित भगवान बुद्ध की प्रतिमा को राष्ट्र को तत्समय आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस आधार पर समर्पित कर दिया था. ऐसे में राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने उम्मीद जताई है कि इस सुझाव पर सकारात्मक रूप से विचार करके अतिरिक्त संसाधन जुटाने का विधिवत प्रयास करेंगे और अग्रिम को करारोपण को टालेंगे.

जयपुर. कोविड-19 के चलते लंबे समय से चले लॉकडाउन के कारण वर्तमान में देश बहुत ही विषम आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश के सभी उद्योग व्यापार और छोटे फुटकर काम-धंधे बंद हो चुके हैं. ऐसे में केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ का सहायता पैकेज दिया है. लेकिन राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आर्थिक तंगी से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने संबंधित प्रस्ताव भेजा है.

राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

लॉकडाउन के बाद मजदूर और असंगठित वर्ग बेरोजगार हैं. उनके परिवारों के समक्ष भूखे मरने की नौबत आई हुई है. मध्यमवर्ग का बजट बिल्कुल बिगड़ चुका है, जबकि वह तो किसी से खुलकर दयनीय आर्थिक स्थिति के बारे में बताने में भी संकोच करते हैं. बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है, जो किसी भी प्रकार की सरकारी या सामुदायिक सहायता भी प्राप्त करने में अक्षम है. हालांकि इन समस्याओं को किसी हद तक हल करने के लिए भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ का सहायता पैकेज भी दिया है.

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राजस्थान दलित-मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ ने कहा कि इन परिस्थितियों में देश व जनहित को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रस्ताव का पत्र भेजा है. जिसमें बताया कहा है कि एक अनुमान के अनुसार देश के विभिन्न मंदिरों, मठों, दरगाहों, खानकाओं, गुरुद्वारों और गिरजाघरों के भंडारों में लगभग 15 हजार मैट्रिक टन स्वर्ण भंडारों के रूप में करोड़ों रुपये निष्क्रिय स्कन्ध पड़े हुए हैं.

पत्र में कहा गया है कि विषम परिस्थितियों में बिना किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करारोपण किये सरकार जनता को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए इन स्कंधों का या तो राष्ट्रीयकरण के माध्यम से अधिग्रहण कर सकती है या फिर दीर्घकालीन ऋण पत्रों के माध्यम से इनको कार्यशील पूंजी में परिवर्तित कर उपयोग में ला सकती है. क्योंकि वर्तमान में गरीब जनता किसी भी प्रकार का अतिरिक्त भार सहन करने में अक्षम है.

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उन्होंने कहा कि सरकार के इस प्रकार का निर्णय वैसा ही होगा जैसा कि जापान में एक बार जब आर्थिक संकट आया था तो वहां के बौद्ध धर्म गुरुओं ने सोने से निर्मित भगवान बुद्ध की प्रतिमा को राष्ट्र को तत्समय आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस आधार पर समर्पित कर दिया था. ऐसे में राजस्थान दलित मुस्लिम एकता मंच ने उम्मीद जताई है कि इस सुझाव पर सकारात्मक रूप से विचार करके अतिरिक्त संसाधन जुटाने का विधिवत प्रयास करेंगे और अग्रिम को करारोपण को टालेंगे.

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