जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 24 फरवरी को राजस्थान की विधानसभा में अपना बजट पेश करेंगे. कोरोना काल की वजह से आर्थिक हालातों से जूझ रहे सभी वर्ग को इस बजट से खासा उम्मीदें हैं. पिछले करीब 9 महीने से ठप पड़े राजस्थानी सिनेमा को इस बजट से खासी उम्मीदें हैं. ईटीवी भारत ने राजस्थानी फिल्म निर्माता, राइटर और कलाकारों के साथ खास बातचीत की और उनसे जाना कि इस बजट से उन्हें क्या उम्मीद है.
कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले करीब 9 महीने से ठप रहा राजस्थानी फिल्म उद्योग अब धीरे-धीरे फिर से खड़ा होने लगा है, लेकिन 9 महीने के वनवास के बाद लौट रहे इस फिल्मी जगत को सरकार के सहयोग की जरूरत है. यही वजह है कि राजस्थानी फिल्म उद्योग से जुड़े लोग सरकार के 2021 के बजट की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं.
विशेष राहत पैकेज की घोषणा करें
राजस्थानी फिल्म से जुड़े लोगों की मानें तो सरकार इस बजट में राजस्थानी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा करें. इसके साथ ही जो राजस्थानी फिल्मों को लेकर नीति बनाने का ड्राफ्ट तैयार किया हुआ है, उसे लागू करने की घोषणा करें ताकि अपना अस्तित्व खोज रहे इस राजस्थानी फिल्म जगत को एक बार फिर पहचान मिले सके.
राजस्थानी सिनेमा विकास संघ के संरक्षक विपिन तिवारी ने कहा कि सबसे पहले तो राजस्थान में जो फिल्म नीति बनाने को लेकर पूर्व बजट में घोषणा की गई थी, जिसकी सभी ड्राफ्टिंग तैयार कर ली गई है. उसे तत्काल लागू किया जाए ताकि राजस्थानी सिनेमा को उसका लाभ मिल सके. इसके साथ ही विपिन तिवारी ने कहा कि राजस्थान में जो राजस्थानी फिल्में बन रही है उन फिल्मों को सरकार की तरफ से विशेष अनुदान दिया जाए.
राजस्थान में फिल्म सिटी बनाई जाए
राजस्थानी फिल्म को बनाने में जो खर्चा आ रहा है उस खर्च में 25 फीसदी तक की छूट या कम से कम 30 लाख तक की सब्सिडी दी जाए. इसके साथ उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण जो है वह फिल्म सिटी को लेकर है. राजस्थान में फिल्म सिटी की सबसे ज्यादा जरूरत है. अगर राजस्थान में फिल्मसिटी बनती है तो लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इसका लाभ मिलेगा.
विपिन तिवारी ने कहा इसके लिए उदयपुर एक ऐसा शहर है, जहां पर सरकार कम खर्चे में एक अच्छी फिल्म सिटी बना सकती है. फिल्म बनाने के लिए जो पर्याप्त लोकेशन चाहिए वह उदयपुर में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है. वहां पर सरकार को ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा.
विशेष राहत देने की जरूरत
राजस्थानी फिल्मों में काम कर चुकी राजस्थानी फिल्म अभिनेत्री नेहा श्री ने कहा कि सरकार को राजस्थानी कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष राहत देने की जरूरत है. सरकार की तरफ से होने वाले आयोजनों में राजस्थानी कलाकारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. राजस्थान में जितने भी महोत्सव सरकार की तरफ आयोजित किए जाते हैं, उन आयोजनों में बाहरी कलाकारों को बुलाया जाता है और राजस्थानी कलाकारों को तरजीह नहीं दी जाती.
राजस्थानी फिल्म दिखाना अनिवार्य किया जाए
राजस्थानी फिल्म कलाकार श्रवण सागर ने कहा कि राजस्थानी कलाकारों को तब तक उनकी पहचान नहीं मिलेगी, जब तक सरकार सिनेमाघरों में राजस्थानी फिल्म दिखाना अनिवार्य नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि सभी सिनेमाघरों को इस बात को लेकर पाबंद किया जाए कि उन्हें अपने सिनेमाघरों में राजस्थानी फिल्म दिखाना अनिवार्य करना होगा. राजस्थानी सिनेमा पहले अपनी एक अलग पहचान रखता था, लेकिन वक्त के साथ-साथ अब वह अपनी पहचान खोता जा रहा है. इसके पीछे कारण है कि हिंदी फिल्मों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है.
सिनेमा हॉल में 1 राजस्थानी फिल्म दिखाना अनिवार्य हो
सागर ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में देखें तो वहां पर स्थानीय भाषा में दिखाई जाने वाली फिल्मों को सिनेमा हॉल में अनिवार्य रूप से दिखाने की गाइडलाइन जारी की हुई है. राजस्थान में भी सरकार को इच्छाशक्ति रखनी होगी और इस बजट में इस बात को लेकर घोषणा करना होगा कि सिनेमा हॉल में 1 राजस्थानी फिल्म दिखाना अनिवार्य किया जाए.
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राजस्थानी फिल्मों के राइटर शिवराज गुर्जर ने कहा कि राजस्थान इतिहास से भरा हुआ है. यहां की कहानियां कभी खत्म नहीं होने वाली है. सरकार को चाहिए कि साल में दो ऐसी फिल्में सरकार की तरफ से बनाई जाए जो राजस्थानी इतिहास पर बनी हो या राजस्थानी संस्कृति पर बनी हो.
राजस्थान के इतिहास का अपना अलग पहचान
शिवराज गुर्जर ने कहा कि राजस्थान का इतिहास और यहां का ऐतिहासिक धरोहर अपना अलग पहचान रखती है. अगर राजस्थान के इतिहास को हम हमारे भारत के इतिहास से हटा दें तो भारत के इतिहास में ज्यादा कुछ नहीं बचता है. सरकार राजस्थान के इतिहास को संरक्षण देने के लिए साल में दो फिल्में राजस्थानी भाषा में बनवाए.
राजस्थानी सिनेमा को लेकर गंभीरता से हो विचार
डायरेक्टर और प्रोड्यूसर रितेश ठाकुर ने कहा कि जब तक सरकार राजस्थानी सिनेमा को लेकर गंभीरता से विचार नहीं करेगी, तब तक राजस्थानी सिनेमा को उत्साह नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में चाहे छत्तीसगढ़ हो, बिहार हो या फिर महाराष्ट्र हो, यहां पर मुख्यमंत्री वहां की स्थानीय भाषा में बनने वाली फिल्म को स्वयं देखने जाते हैं.
अगर सरकार के मुखिया इस तरह से स्थानीय भाषा की फिल्मों को तवज्जो देंगे तो अपने आप ही स्थानीय सिनेमा में विकास होता है. इसलिए जरूरी है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या फिर कोई भी मूख्यमंत्री हो उन्हें राजस्थानी भाषा में बनने वाली फिल्मों को देखने जाए, जिससे राजस्थानी संस्कृति और राजस्थानी कला से रूबरू होंगे. साथ ही राजस्थानी फिल्म उद्योग से जुड़े हुए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उनसे भी वह गत हो सकेंगे.