जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अदालतें बंद करने के मामले में हाईकोर्ट प्रशासन और वकील समुदाय आमने सामने हो गया. हाईकोर्ट प्रशासन ने जहां जनहित में अर्जेंट मामलों की सुनवाई करना तय किया. वहीं बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ( BCR) ने अलग से बैठक कर वकीलों को अदालतों में पेश नहीं होने की हिदायत दी है.
गुरुवार को हाइकोर्ट प्रशासन ने फुल कोर्ट की बैठक ली. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि अदालतों को पूर्ण रूप से बंद नहीं किया जा सकता. वकील चाहें तो ई मेल पर अपनी बहस भेज सकते हैं. इस पर वकीलों ने विरोध करते हुए कहा की हर वकील के पास यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. जिसपर सीजे ने कहा की वकील चाहे तो कोर्ट में ना आए. इसके बाद बार एसोसिएशन ने अदालतों में पेश नहीं होने का निर्णय किया.
वहीं बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने साधारण सभा की बैठक बुलाई. काउंसिल चैयरमैन शाहिद हसन ने बताया की हेल्थ इमरजेंसी होने के कारण बैठक में सर्वसम्मति से पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया गया है.
काउंसिल की ओर से दिशा-निर्देश मिलने के बाद प्रदेश की विभिन्न बार एसोसिएशन ने बैठक कर इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया. जिसमें तय किया गया कि शुक्रवार से अदालत में वकील पैरवी के लिए नहीं जाएंगे. जिससे वायरस का संक्रमण नहीं फैले.
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दूसरी ओर हाईकोर्ट प्रशासन ने आदेश जारी कर हाईकोर्ट सहित प्रदेश के निचली अदालत में कार्यरत कर्मचारियों को वैकल्पिक दिनों में अवकाश लेने को कहा है. इसके तहत कर्मचारियों के 2 बैच बनाए गए हैं. जो बारी-बारी से अदालतों में काम करेंगे और अवकाश लेंगे.