जयपुर. प्रदेश में अब सीवरेज से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर तभी काम शुरू होगा, जब संबंधित निकाय में इसके लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा. राजस्थान विधानसभा के प्रश्न काल में विधायक राजकुमार शर्मा के सवाल के जवाब में यह जानकारी नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने दी.
शांति धारीवाल ने सदन में यह भी साफ कर दिया की भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर हाथ में लिए गए प्रोजेक्ट भटक जाते हैं. जिससे इसकी लागत में भी बढ़ोतरी होती है. इससे पहले नवलगढ़ विधायक राजकुमार शर्मा ने अपने क्षेत्र में बीते 7 साल गुजरने के बाद भी सीवरेज से जुड़ी योजना पूरी नहीं होने पर सवाल उठाए. साथ ही यह भी कहा कि इस सीवरेज प्रोजेक्ट का बारवा समय आगे बढ़ा दिया जाता है. जबकि यह प्रोजेक्ट 29 नवंबर 2017 में पूर्ण हो जाना चाहिए था.
वहीं, जवाब में मंत्री ने कहा कि बिल्कुल सही है, क्योंकि साल 2012 और 13 में यह प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ. लेकिन इसका काम 21 मार्च 2016 को शुरू हुआ. मंत्री के अनुसार 2017 तक यह प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाना चाहिए था. लेकिन प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार इसमें रोड़ा बनी और अब 31 दिसंबर 2020 तक ही इसका काम पूर्ण हो पाएगा. इस दौरान यूडीएच मंत्री ने यह भी कहा कि धीमी गति से काम के चलते संबंधित फर्म पर 78 लाख रुपए की पेनल्टी भी लगाई गई है. साथ ही फर्म के एक करोड़ 86 लाख रुपए रोके गए हैं.
पढ़ें: इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन का मुद्दा गूंजा, मंत्री रघु शर्मा ने बीजेपी को घेरा
इस बीच स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी ने कहा कि मंत्री जी लगभग हर जगह यही समस्या है. लेकिन क्या सरकार ऐसी कोई नीति नहीं बना सकती कि जब तक भूमि अधिग्रहण ना हो, तब तक सीवरेज से जुड़े प्रोजेक्ट का काम शुरू ना हो, और उसकी स्वीकृति भी ना दी जाए. तब धारीवाल ने कहा कि विभाग इसको लेकर चिंतित है, इसीलिए यह गाइडलाइन भी निकाली गई है कि भविष्य में बिना भूमि अधिग्रहण किए सीवरेज से जुड़े प्रोजेक्ट की स्वीकृति दी जाए.