जयपुर. धनतेरस आज मंगलवार को मनाई जा रही है. इसके साथ ही पांच दिवसीय दीपोत्सव का आगाज भी हो गया है. इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ ही खरीदारी करने की भी परंपरा है. इस दिन सोने-चांदी और घर के लिए बर्तन खरीदने की भी परंपरा है.
मान्यता है इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से घर परिवार में सदैव सुख-समृद्धि का वास बना रहता है. धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को रात 11.31 बजे से होगी और समाप्ति 3 नवंबर को सुबह 09:02 बजे. प्रदोष काल शाम 05:35 से रात 08:11 बजे तक रहेगा. धनतेरस पूजा का मुहूर्त शाम 06:17 से रात 08:11 बजे तक रहेगा.
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ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि धनतेरस पूजा को भगवान सूर्य, भगवान गणेश, माता दुर्गा, भगवान शिव, भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान धनवंतरि की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए. भगवान धन्वंतरि को गंध, अबीर, गुलाल, पुष्प, रोली, अक्षत आदि चढ़ाकर उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए और खीर का भोग लगाना चाहिए. इसके बाद भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं. पूजा के अंत में कर्पूर से आरती करें. फिर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं.
धनतेरस के दिन पीतल, चांदी, स्टील के बर्तन खरीदने की परंपरा है. मान्यता है इस दिन बर्तन खरीदने से धन समृद्धि आती है. इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीपक जलाए जाते हैं. क्योंकि इस दिन से दीपावली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है. इस दिन नई चीजें जैसे सोना, चांदी, पीतल खरीदना शुभ माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन धनिया और झाड़ू खरीदना भी शुभ होता है. लेकिन इस दिन कुछ विशेष चीजों की खरीददारी नहीं करनी चाहिए. मान्यता है कि धनतेरस पर प्लास्टिक, एलुमिनियम की चीजें नहीं खरीदनी चाहिए. नुकीली चीजों की खरीददारी से भी इस दिन बचना चाहिए.