जयपुर. प्रदेश के थर्ड ग्रेड शिक्षकों की उम्मीदों पर राज्य सरकार ने एक बार फिर पानी फेर दिया है. थर्ड ग्रेड के शिक्षकों के तबादलों (Stay on transfer order of Third grade teachers in Rajasthan) पर राज्य सरकार ने पूरी तरह रोक लगा दी है. हालांकि सरकार का ये फैसला शिक्षकों को रास नहीं आ रहा. शिक्षक संगठनों ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए आंदोलन की राह पर उतरने की चेतावनी दी है.
राजस्थान में करीब तीन साल के लंंबे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अगस्त 2021 को थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादलों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. 8 अगस्त से 25 अगस्त तक करीब 85 हजार शिक्षकों ने तबादलों के लिए आवेदन किए थे, लेकिन इसके बाद भी उनके तबादले नहीं किए गए. शिक्षा मंत्री तबादला नीति पारित होने के बाद ही थर्ड ग्रेड के शिक्षकों का तबादला किए जाने की बात कहते रहे. लेकिन इस घोषणा के बाद 85 हजार आवेदन रद्दी हो गए.
हालांकि दो महीने पहले तबादले की राह खुली तो शिक्षा मंत्री ने थर्ड ग्रेड शिक्षकों के जिले के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर तबादले होने की घोषणा की थी. लेकिन अब इस पर भी रोक लगा दी गई है. इसे लेकर शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग ने कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी के मामले में प्रदेश की सरकारें शिक्षकों के साथ मजाक करती आ रही है. मंत्री बदलते रहे लेकिन ट्रांसफर पॉलिसी नहीं आई. आलम ये है कि थर्ड ग्रेड शिक्षकों के साथ तो ये सरकारें अन्याय कर रही हैं. अब ये सहनशक्ति से ऊपर हो गया है. इसे लेकर अब राजस्थान का शिक्षक राज्यव्यापी आंदोलन करेगा.
वहीं अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान सरकार ने तबादलों पर बैन हटा रखा है. लेकिन बीते कई वर्षों से थर्ड ग्रेड शिक्षकों का तबादला नहीं किया जा रहा है. इससे थर्ड ग्रेड शिक्षकों में काफी रोष है. इसे लेकर पहले प्रदर्शन भी किया गया, राज्य सरकार से आश्वासन भी मिला लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. उन्होंने सीएम अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा कि जल्द थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले खोले जाएं और इन्हें गृह जिला भेजा जाए. अन्यथा शिक्षक अब आंदोलन की राह पर उतरेंगे.
ये है मामला: राजस्थान के थर्ड ग्रेड अध्यापकों के ट्रांसफर पर कई साल से अघोषित रोक लगी हुई है. प्रतिबंधित जिलों में हजारों शिक्षक ऐसे हैं, जो बीस साल से अपने गृह जिले से 500 किलोमीटर दूर नौकरी करने को मजबूर हैं. ये शिक्षक अपने तबादले के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं, लेकिन इन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.