जयपुर. राजस्थान में प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत 10 लाख पट्टे देने का लक्ष्य छूने के लिए गहलोत सरकार अब सरकारी जमीनों पर बसी कॉलोनियों के पट्टे भी देने की तैयारी में (Lease deeds on housing board land) है. 15 जुलाई से अभियान के शिविर दोबारा शुरू हो रहे हैं. जिसमें नगरीय निकायों को हस्तांतरित सिवायचक जमीन और हाउसिंग बोर्ड की ओर से अधिग्रहित की गई जमीनों पर कब्जा करके बसाई गई कॉलोनियों को भी पट्टे दिए जाएंगे. इसके अलावा 20 फीट सड़क पर बसी कॉलोनियों में भी पट्टे जारी किए जाएंगे.
लक्ष्य के अनुरूप सफलता नहीं मिलने से नाखुश यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का पूरा फोकस अब सरकारी जमीनों पर बसी कॉलोनियों के नियमन को लेकर है. उन्होंने अफसरों को साफ कहा है कि पिछले साल सरकारी जमीनों पर पट्टे देने पर रोक लगा दी थी, लेकिन नए निर्देशों के मुताबिक इन जमीनों के पट्टे दें. ऐसी सिवायचक जमीन, जो राजस्व रिकॉर्ड में निकाय के नाम दर्ज है या नहीं है, लेकिन वहां आबादी बस चुकी है. जिन जमीनों का अधिग्रहण कर निकाय और हाउसिंग बोर्ड ने मुआवजा कोर्ट में जमा करवाया है या फिर भूखंड मालिक को दिया है. ऐसी सभी कॉलोनियों के पट्टे दिए जाएं. हालांकि, शर्त होगी कि ऐसी कॉलोनियां जो 13 दिसम्बर, 2013 तक सृजित हो चुकी है या भूखंडधारियों, आवासधारकों का रिकॉर्ड और ले-आउट प्लान संबंधित निकाय के पास पहले से उपलब्ध हो.
वहीं, सरकारी जमीन की आवंटन दर 300 वर्गमीटर तक के भूखंड और कॉलोनी में राजकीय जमीन होने पर आरक्षित दर या डीएलसी (दोनों में जो कम हो) उसकी 10 प्रतिशत राशि पर दी जाएगी. सरकार ने पट्टों का निपटारा जल्द से जल्द करने के लिए जनप्रतिनिधियों से ज्यादा अधिकारियों पर भरोसा जताया है. यूडीएच मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे प्रकरण जो एम्पावर्ड कमेटी में न रखने हो, उन्हें महापौर-सभापति के बजाय मुख्य नगरपालिका अधिकारी निपटाएंगे. इसके लिए हर सप्ताह में 2 दिन एम्पावर्ड कमेटी की बैठक करनी होगी.
बहरहाल, पट्टों की रेवड़ी बांटने के लिए सरकार ने अब सरकारी जमीन पर बसी कॉलोनियों के नियमन की राह भी खोल दी है. कृषि भूमि पर बसी हुई सघन आबादी के पट्टे देने की प्रक्रिया को भी सरल किया (Lease deeds on agriculture land) है, ताकि 2 अक्टूबर, 2021 को जिस लक्ष्य के साथ प्रशासन शहरों के संग अभियान को शुरू किया गया था, उस तक पहुंचा जा सके.