जयपुर. देश में कोरोना संकट चल रहा है इस बीच प्रदेश में जो राजनीतिक घटनाएं थी वो लगभग शांत ही दिखाई दे रही थी. कहा जा रहा था कि जब तक कोरोना संकटकाल चलेगा राजनीतिक हलचल बंद रहेगी. खास तौर माना जा रहा था कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों के लिए और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री को जो काम करना होता है वो उसके लिए हमेशा तैयारी करके रखते है. इसी का नतीजा है कि सरकार में कोरोना से लड़ने के साथ ही अंदरखाने राजनीतिक नियुक्तियों पर मंथन जारी रहा. इसकी झलक उस समय देखने को मिली जब सरकार ने दो राज्य स्तरीय समितियों में राजनीतिक नियुक्तियों के आदेश निकाल कर बीते डेढ़ साल से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं में खुशी दे दी.
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कहा जा रहा है कि इसके साथ ही सत्ता और संगठन से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने भी इसी सप्ताह में एक दर्जन से ज्यादा संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों को हरी झंडी दी जा सकती है. कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के बीच उन संवैधानिक राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की हरी झंडी भी मिल चुकी है.
जिनका टर्म पूरा हो चुका है और ये नियुक्तियां की जानी जरूरी है. कोरोना से जंग के साथ-साथ इन दिनों मुख्यमंत्री आवास पर राजनीतिक नियुक्तियों पर भी मंथन तेज है. राज्य सरकार की ओर से बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति, वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा समिति और बाल संरक्षण आयोग में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी.
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बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति में राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी नेता और दो बार मुख्यमंत्री रहे शिवचरण माथुर की पुत्री वंदना माथुर को सदस्य बनाया गया है. इसी तरह बाल संरक्षण आयोग में शिव भगवान नागा, वंदना दुबे और नुसरत नकवी को सदस्य नियुक्त किया गया है. वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा राज्य स्तरीय समिति में कांग्रेस विधायक इंद्राज गुर्जर, पूर्व विधायक रमेश पंड्या, वरिष्ठ कांग्रेसी वीरेंद्र पूनियां और रणधीर सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया है.
जानकारी के अनुसार आने वाले दिनों में मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, निःशक्तजन आयोग, ओबीसी आयोग, अजा-अजजा आयोग में प्राथमिकता के साथ राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं. दरअसल कांग्रेस आलाकमान ने सत्ता और संगठन को जिला और राज्य स्तरीय निगम-बोर्डों, आयोगों और समितियों में 31 मार्च तक सभी राजनीतिक नियुक्तियां करने का आदेश जारी किया था. लेकिन इसी बीच कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते राजनीतिक नियुक्तियों की कवायद शांत थी.