ETV Bharat / state

सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज, राजस्थान से था उनका गहरा नाता - PRAKASH PARV 2025

गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज, मुख्य दीवान गुरुद्वारा राजापार्क में सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक सजेगा.

Prakash Parv 2025
गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 6, 2025, 6:30 AM IST

जयपुर : खालसा पंथ के सृजनहार और सिखों के 10वें पातशाही गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व सोमवार को मनाया जाएगा. पर्व के मौके पर गुरुद्वारों में विशेष सजावट के साथ ही देशभर के रागी जत्थों की मौजूदगी में कीर्तन दीवान सजाकर संगत को शबद गायन के जरिए गुरु महिमा का बखान किया जाएगा. इस दौरान संगत गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेककर सरबत के भले की अरदास करेगी. दिनभर संगतों की आवाजाही के साथ ही गुरु का अटूट लंगर बरताया जाएगा. मुख्य दीवान गुरुद्वारा राजापार्क में सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक सजेगा, जिसमें नितनेम के पाठ, आसा दी वार, कीर्तन और कथा विचार होंगे.

चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊं।
सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊ।।

ये कथन कहने वाले गुरु गोबिंद सिंह की पौष महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को जयंती मनाई जाएगी. राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सरदार जसबीर सिंह ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह वीरता के परिचायक हैं. जिस समय भारत पर मुगलिया सल्तनत धर्म परिवर्तन और अत्याचार की इबारत लिख रही थी. उस दौर में देश, धर्म की रक्षा और उसके लोगों की सलामती के लिए गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश (जन्म) हुआ. 1699 में उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की. उन्होंने सिखों को हर समय पांच वस्तुएं पहनने की आज्ञा दी, जिसमें केश, कंघा, कड़ा, कचेरा और किरपान शामिल हैं. गुरु ने मानव मात्र के कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए पूरे परिवार की शहादत देने के साथ कई संदेश प्राणी मात्र को दिए.

Prakash Parv 2025
गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - जानें गुरु गोबिंद साहिब के चार साहिबजादों के साहस की कहानी

उन्होंने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह का राजस्थान से भी विशेष गहरा नाता रहा है. जयपुर से 70 किलोमीटर दूर अजमेर-दूदू रोड पर स्थित नरैना के पास सावरदा साहिब गुरुद्वारा का इतिहास रोचक है. इस गुरुद्वारे का निर्माण 1676 में हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर का सम्मान के साथ दाह संस्कार करने वाले बंजारा जाति के लक्की शाह बंजारा ने किया था. 1707 में गुरु गोबिंद सिंह ने यात्रा के दौरान गुरुद्वार की सार संभाल कर रहे बाबा कानरदास को हस्त लिखित गुरु ग्रंथ साहिब बख्शीश में भेंट की. वहीं, जयपुर के सबसे पुराने चौड़ा रास्ता पीतलियों का चौक गुरुद्वारे में पुरातन गुरुग्रंथ साहिब और दशम ग्रंथ के हस्त लिखित स्वरूप आज भी मौजूद है.

इससे पहले रविवार को राजापार्क गुरुनानकपुरा गुरु गोबिंद सिंह पार्क में कीर्तन दरबार सजाया. राजस्थान सिख यूथ विंग के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने बताया कि कीर्तन दरबार में महेंद्र सिंह के जत्थे और स्कूल के बच्चों ने कीर्तन किया. वहीं, कथावाचक गुरलाल सिंह ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने जहां देश की सेवा करते हुए अपने पिता गुरु तेग बहादुर, माता गुजरी और चार साहिबजादे शहीद करवा दिए. देश धर्म की रक्षा के लिए खुद को समर्पित कर दिया. संगत में गुरुमत की राह पर चलने का सिद्धांत सिखाया. आखिर में गुरु का लंगर बरताया गया.

इसे भी पढ़ें - रेड क्रॉस ने माना उनसे भी पहले भाई घनैया जी करते थे युद्ध के दौरान सेवा - मुगलों के साथ गुरु गोबिंद सिंह का युद्ध

वहीं, गुरुद्वारा वैशाली नगर में सुबह का कीर्तन दीवान अमृतसर से आए हरजीत सिंह की मौजूदगी में सजा. गुरुद्वारे के प्रधान सरदार सर्वजीत सिंह माखीजा ने बताया कि रात के कीर्तन दीवान में हरजीत सिंह , बलदेव सिंह, हजूरी रागी दरबार साहिब अमृतसर और ज्ञानी सतवंत सिंह ने अपने कथा विचार से संगत को निहाल किया. सोमवार सुबह सात बजे से दीवान में आसा दी वार का पाठ किया जाएगा. उसके बाद कीर्तन दीवान सजाया जाएगा. रात को आतिशबाजी की जाएगी.

जयपुर : खालसा पंथ के सृजनहार और सिखों के 10वें पातशाही गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व सोमवार को मनाया जाएगा. पर्व के मौके पर गुरुद्वारों में विशेष सजावट के साथ ही देशभर के रागी जत्थों की मौजूदगी में कीर्तन दीवान सजाकर संगत को शबद गायन के जरिए गुरु महिमा का बखान किया जाएगा. इस दौरान संगत गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेककर सरबत के भले की अरदास करेगी. दिनभर संगतों की आवाजाही के साथ ही गुरु का अटूट लंगर बरताया जाएगा. मुख्य दीवान गुरुद्वारा राजापार्क में सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक सजेगा, जिसमें नितनेम के पाठ, आसा दी वार, कीर्तन और कथा विचार होंगे.

चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊं।
सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊ।।

ये कथन कहने वाले गुरु गोबिंद सिंह की पौष महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को जयंती मनाई जाएगी. राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सरदार जसबीर सिंह ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह वीरता के परिचायक हैं. जिस समय भारत पर मुगलिया सल्तनत धर्म परिवर्तन और अत्याचार की इबारत लिख रही थी. उस दौर में देश, धर्म की रक्षा और उसके लोगों की सलामती के लिए गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश (जन्म) हुआ. 1699 में उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की. उन्होंने सिखों को हर समय पांच वस्तुएं पहनने की आज्ञा दी, जिसमें केश, कंघा, कड़ा, कचेरा और किरपान शामिल हैं. गुरु ने मानव मात्र के कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए पूरे परिवार की शहादत देने के साथ कई संदेश प्राणी मात्र को दिए.

Prakash Parv 2025
गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - जानें गुरु गोबिंद साहिब के चार साहिबजादों के साहस की कहानी

उन्होंने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह का राजस्थान से भी विशेष गहरा नाता रहा है. जयपुर से 70 किलोमीटर दूर अजमेर-दूदू रोड पर स्थित नरैना के पास सावरदा साहिब गुरुद्वारा का इतिहास रोचक है. इस गुरुद्वारे का निर्माण 1676 में हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर का सम्मान के साथ दाह संस्कार करने वाले बंजारा जाति के लक्की शाह बंजारा ने किया था. 1707 में गुरु गोबिंद सिंह ने यात्रा के दौरान गुरुद्वार की सार संभाल कर रहे बाबा कानरदास को हस्त लिखित गुरु ग्रंथ साहिब बख्शीश में भेंट की. वहीं, जयपुर के सबसे पुराने चौड़ा रास्ता पीतलियों का चौक गुरुद्वारे में पुरातन गुरुग्रंथ साहिब और दशम ग्रंथ के हस्त लिखित स्वरूप आज भी मौजूद है.

इससे पहले रविवार को राजापार्क गुरुनानकपुरा गुरु गोबिंद सिंह पार्क में कीर्तन दरबार सजाया. राजस्थान सिख यूथ विंग के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने बताया कि कीर्तन दरबार में महेंद्र सिंह के जत्थे और स्कूल के बच्चों ने कीर्तन किया. वहीं, कथावाचक गुरलाल सिंह ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने जहां देश की सेवा करते हुए अपने पिता गुरु तेग बहादुर, माता गुजरी और चार साहिबजादे शहीद करवा दिए. देश धर्म की रक्षा के लिए खुद को समर्पित कर दिया. संगत में गुरुमत की राह पर चलने का सिद्धांत सिखाया. आखिर में गुरु का लंगर बरताया गया.

इसे भी पढ़ें - रेड क्रॉस ने माना उनसे भी पहले भाई घनैया जी करते थे युद्ध के दौरान सेवा - मुगलों के साथ गुरु गोबिंद सिंह का युद्ध

वहीं, गुरुद्वारा वैशाली नगर में सुबह का कीर्तन दीवान अमृतसर से आए हरजीत सिंह की मौजूदगी में सजा. गुरुद्वारे के प्रधान सरदार सर्वजीत सिंह माखीजा ने बताया कि रात के कीर्तन दीवान में हरजीत सिंह , बलदेव सिंह, हजूरी रागी दरबार साहिब अमृतसर और ज्ञानी सतवंत सिंह ने अपने कथा विचार से संगत को निहाल किया. सोमवार सुबह सात बजे से दीवान में आसा दी वार का पाठ किया जाएगा. उसके बाद कीर्तन दीवान सजाया जाएगा. रात को आतिशबाजी की जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.