जयपुर. राजधानी के नेशनल हैंडलूम के बाहर पताशी का ठेला लगाने वाले विनोद सिंह आज खुश है. वहीं सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर पर दर्शन करने आए श्रद्धालुओं के चेहरे पर संतुष्टि है. दूसरी ओर महामंडलेश्वर पुरुषोत्तम भारती का परिवार आज लड्डू बांट रहा है, क्योंकि आज जयपुर खुश है. इसका सबसे बड़ा कारण है जयपुर के गुनहगारों को सजा-ए-मौत मिलना.
13 मई 2008 के बाद से लेकर अब तक जयपुर के वो 71 परिवार, जिन्होंने अपनों को बम ब्लास्ट में खो दिया था, वो 185 घायल जिन्होंने अपनी जिंदगी के कई महीने अस्पताल में बिता दिए. उनके सहित पूरे शहर की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई थी और जब फैसला आया तो किसी की आंखें खुशी से नम हो गई, तो कोई खुशी से झूम उठा.
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ईटीवी भारत सांगानेरी गेट, नेशनल हैंडलूम और बड़ी चौपड़ पहुंचा. जहां प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों से बात की. सभी ने खुशी का इजहार किया. उन्होंने बताया कि 11 साल 7 महीने और 7 दिन बाद ये फैसला आया है, जबकि इस तरह के मामलों के लिए प्रशासन को फास्ट ट्रैक अदालत बनानी चाहिए.
इस दौरान लोगों की खुशी अधूरी इसलिए भी दिखी, क्योंकि अभी भी गुनहगारों को उच्च न्यायालयों में अपील करने का मौका है. यही वजह है कि अब शहर की जनता इस तरह के मामलों में कोर्ट के आदेशों के बाद दोबारा कहीं भी अपील ना किए जाने की प्रावधान तय करने की मांग कर रही है. बता दें कि कोर्ट ने चारों आतंकियों (मोहम्मद सैफ उर्फ कैरीऑन, मोहम्मद सलमान, मोहम्मद सरवर आजमी और सैफुर उर्फ सैफुर्रहमान) को फांसी की सजा सुनाई है.