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स्पेशल: द्रव्यवती नदी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से अधिक आवक ने बढ़ाई चुनौती

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Published : Jan 4, 2021, 9:48 AM IST

Updated : Jan 4, 2021, 5:23 PM IST

जिस द्रव्यवती नदी परियोजना से जयपुर की सुंदरता निखरनी थी, आज वह उपेक्षा का शिकार है. 1,500 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाली द्रव्यवती नदी को साफ रखने के लिए पांच एसटीपी प्लांट संचालित हैं. देहलावास में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को 230 करोड़ रुपए खर्च कर अपग्रेड भी किया जा रहा है. लेकिन, फिलहाल यही एसटीपी द्रव्यवती को गंदा करने का भी कारण बने हुए हैं. यही नहीं द्रव्यवती और दूसरे एसटीपी के आसपास जर्जर हो चुकी पानी सप्लाई लाइन में भी अमूमन ये गंदा पानी पहुंचता है. जो पीएचईडी के लिए भी चुनौती बना हुआ है.

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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से अधिक आवक ने बढ़ाई चुनौती

जयपुर. गुलाबी नगरी के सबसे बड़े और महत्वाकांक्षी द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट को लेकर जेडीए और सरकार की गंभीरता दिखाई नहीं पड़ती. बीजेपी सरकार ने प्रोजेक्ट को लेकर जो दावे किए थे, वो फिलहाल धराशाई हो गए हैं. 47 किलोमीटर के प्रोजेक्ट में से केवल 16 किलोमीटर के काम का उद्घाटन हो पाया है. हालांकि 10 फीसदी काम अधूरा होने की बात की जाती है, लेकिन ये काम कब तक पूरा होगा, इसकी कोई डेडलाइन नहीं बताई जाती.

ऐसे में आलम ये है कि बीते दो साल में द्रव्यवती नदी एक बार फिर गंदी बदबूदार बन गई है. भले ही यहां पांच सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हों, लेकिन क्षमता से ज्यादा आवक होने के चलते सीवरेज का गंदा पानी सीधे नदी में छोड़ दिया जाता है. यही नहीं सैकड़ों फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त पानी भी सीधे नदी में गिरता है. इसके अलावा देहलावास में फिलहाल दो एसटीपी 62.5-62.5 एमएलडी के बने हुए हैं. इनमें से एक को बंदकर अपडेट किया जा रहा है. यहां आवक 200 एमएलडी पानी की है, लेकिन 62.5 एमएलडी पानी ही साफ हो रहा है. बाकी पानी सीधे द्रव्यवती नदी में छोड़ा जा रहा है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से अधिक आवक ने बढ़ाई चुनौती

हालांकि जेडीसी गौरव गोयल का तर्क है कि जयपुर शहर का सीवरेज तंत्र द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट में शामिल पांच सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया है. इसके साथ ऑपरेशन मेंटेनेंस और द्रव्यवती नदी की नियमित सफाई के मैकेनिज्म का भी प्लान कांट्रेक्टर फर्म द्वारा तैयार किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: प्रदेश में Bird flu की दस्तक के बाद भीलवाड़ा वन विभाग ने जारी की Advisory

द्रव्यवती और दूसरे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के आस-पास यदि कोई पानी की पाइप लाइन जर्जर है, तो क्षेत्रीय घरों में भी सीवरेज का पानी पहुंच जाता है. हालांकि, पीएचईडी विभाग की माने तो जयपुर पुराना शहर है. जहां परकोटा, बनीपार्क, सी स्कीम और अंबाबाड़ी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पुरानी लाइन है. 30 साल बाद लाइन की लाइफ पूरी हो जाती है और उसके जर्जर होने के बाद पानी में पॉल्यूशन के केस आ सकते हैं. दूसरी एजेंसी के काम करने के दौरान लाइन का टूटना और सीवर चैंबर का ओवरफ्लो होना भी एक कारण है. हालांकि उन्होंने इस तरह की शिकायतों को तुरंत दूर करने का दावा किया.

यह भी पढ़ें: ट्रंप की तरह मोदी सरकार की भी हेकड़ी निकाल देगी जनता, इस बार तो किसानों से पंगा ले लिया है : अशोक गहलोत

बहरहाल, द्रव्यवती नदी में जो पानी है, उसे पूरी तरह सीवरेज ट्रीटेड भी नहीं कहा जा सकता है. इस पानी का उपयोग बागवानी और ग्राउंडवाटर रिचार्ज के लिए उपयोग में लेने की योजना जरूर है. लेकिन ये भी तभी संभव है, जब इसमें आने वाले सीवरेज के पानी से अपशिष्ट को पूरी तरह हटाया जा सके.

जयपुर. गुलाबी नगरी के सबसे बड़े और महत्वाकांक्षी द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट को लेकर जेडीए और सरकार की गंभीरता दिखाई नहीं पड़ती. बीजेपी सरकार ने प्रोजेक्ट को लेकर जो दावे किए थे, वो फिलहाल धराशाई हो गए हैं. 47 किलोमीटर के प्रोजेक्ट में से केवल 16 किलोमीटर के काम का उद्घाटन हो पाया है. हालांकि 10 फीसदी काम अधूरा होने की बात की जाती है, लेकिन ये काम कब तक पूरा होगा, इसकी कोई डेडलाइन नहीं बताई जाती.

ऐसे में आलम ये है कि बीते दो साल में द्रव्यवती नदी एक बार फिर गंदी बदबूदार बन गई है. भले ही यहां पांच सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हों, लेकिन क्षमता से ज्यादा आवक होने के चलते सीवरेज का गंदा पानी सीधे नदी में छोड़ दिया जाता है. यही नहीं सैकड़ों फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त पानी भी सीधे नदी में गिरता है. इसके अलावा देहलावास में फिलहाल दो एसटीपी 62.5-62.5 एमएलडी के बने हुए हैं. इनमें से एक को बंदकर अपडेट किया जा रहा है. यहां आवक 200 एमएलडी पानी की है, लेकिन 62.5 एमएलडी पानी ही साफ हो रहा है. बाकी पानी सीधे द्रव्यवती नदी में छोड़ा जा रहा है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से अधिक आवक ने बढ़ाई चुनौती

हालांकि जेडीसी गौरव गोयल का तर्क है कि जयपुर शहर का सीवरेज तंत्र द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट में शामिल पांच सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया है. इसके साथ ऑपरेशन मेंटेनेंस और द्रव्यवती नदी की नियमित सफाई के मैकेनिज्म का भी प्लान कांट्रेक्टर फर्म द्वारा तैयार किया जा रहा है.

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द्रव्यवती और दूसरे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के आस-पास यदि कोई पानी की पाइप लाइन जर्जर है, तो क्षेत्रीय घरों में भी सीवरेज का पानी पहुंच जाता है. हालांकि, पीएचईडी विभाग की माने तो जयपुर पुराना शहर है. जहां परकोटा, बनीपार्क, सी स्कीम और अंबाबाड़ी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पुरानी लाइन है. 30 साल बाद लाइन की लाइफ पूरी हो जाती है और उसके जर्जर होने के बाद पानी में पॉल्यूशन के केस आ सकते हैं. दूसरी एजेंसी के काम करने के दौरान लाइन का टूटना और सीवर चैंबर का ओवरफ्लो होना भी एक कारण है. हालांकि उन्होंने इस तरह की शिकायतों को तुरंत दूर करने का दावा किया.

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बहरहाल, द्रव्यवती नदी में जो पानी है, उसे पूरी तरह सीवरेज ट्रीटेड भी नहीं कहा जा सकता है. इस पानी का उपयोग बागवानी और ग्राउंडवाटर रिचार्ज के लिए उपयोग में लेने की योजना जरूर है. लेकिन ये भी तभी संभव है, जब इसमें आने वाले सीवरेज के पानी से अपशिष्ट को पूरी तरह हटाया जा सके.

Last Updated : Jan 4, 2021, 5:23 PM IST
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