जयपुर. सरकार ने 2 अक्टूबर को प्रशासन शहरों के संग अभियान की शुरुआत की थी और पहले ही दिन एक लाख पट्टे बांटने (One Lakh lease deeds distributed in Prashasan Shehro Ke Sang Abhiyan) का लक्ष्य निर्धारित किया था. ये लक्ष्य अब जाकर पूरा हो पाया है. प्रदेश के 213 निकायों में करीब 67 हजार और 17 विकास प्राधिकरण/न्यासों में करीब 39 हजार पट्टे जारी किए गए हैं. अभियान अभी करीब 4 महीने और चलना है. राज्य सरकार को तय लक्ष्य 10 लाख पट्टे वितरित करने के लिए भारी मशक्कत करनी होगी.
बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत स्वीकृत योजना, स्वीकृत मास्टर प्लान, जोनल डवलपमेंट प्लान, सेक्टर प्लान, ले-ऑउट प्लान, आवेदन-पत्र, दर की जानकारी आमजन के लिए सार्वजनिक करते हुए राहत का पिटारा खोला. आइए डालते हैं इन पर एक नजर:
कृषि भूमि पर बसी हुई 17 जून 1999 से पहले और बाद की स्वीकृत योजनाएं जिन में 90-बी की अनुज्ञा है, उनमें 90-बी की निर्धारित दरों से राशि ली जाए. इनमें पहले कैम्प से 15 प्रतिशत ब्याज देय नहीं होगा. यदि पूर्व में मांग पत्र जारी किया हुआ है लेकिन राशि जमा नहीं हुई है, तो वर्तमान दर से दोबारा मांग पत्र जारी करने का प्रावधान तय किया.
पढ़ें: PCC के बाहर हंगामा, मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ की जमकर नारेबाजी...जानें पूरा माजरा
17 जून, 1999 के बाद की स्वीकृत योजनाओं में भूखण्डों का पंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर विक्रय होने पर प्रीमियम दर की 10 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर और अपंजीकृत दस्तावेजों के आधार पर कितनी ही बार विक्रय हुआ हो, प्रीमियम दर की 50 प्रतिशत राशि अतिरिक्त लेकर अन्तिम क्रेता को पट्टे दिए जा रहे हैं.
स्वीकृत योजनाओं में सुविधा क्षेत्र के बराबर भूमि उसी योजना या भूमि उपलब्ध नहीं होने पर समीपवर्ती क्षेत्र में चिन्हिकरण की जा सकती है. सुविधा क्षेत्र में कमी की पूर्ति के लिए भूखण्डधारियों से आनुपातिक फैसिलिटी सेस आरक्षित दर या डीएलसी दर की 25 प्रतिशत जो भी कम हो लिया जा रहा है.
टाउनशिप पॉलिसी-2010 के अन्तर्गत 90-ए की अनुज्ञा और ले-आउट प्लान स्वीकृत होने के बाद खोतेदार/विकासकर्ता द्वारा स्वीकृत ले ऑउट प्लान के अनुसार भूखण्डों के विक्रय के लिए जारी किए गए प्रोविजन आवंटन पत्र, प्रपत्र, नॉमिनी पत्र या असाईंनी पत्र को पंजीकृत कराने के बाद निकाय द्वारा फ्री होल्ड या फिर 99 वर्षीय लीज होल्ड का पट्टा एक मुश्त 10/8 वर्ष की लीज राशि लेकर दिया जा रहे हैं.
निकायों द्वारा नीलामी और निश्चित दर पर लॉटरी से आवंटन किए गए भूखण्डों में मांग-पत्र आवंटन पत्र के अनुसार निर्धारित समय में राशि जमा नहीं कराकर विलम्ब से मूल राशि जमा करवाई गई है. लेकिन ब्याज और शास्ती की राशि जमा नहीं करवाई गई है. अभियान अवधि में ऐसे प्रकरण जिनमें मूल राशि जमा है, लेकिन ब्याज और शास्ती जमा नहीं है, उनमें ब्याज और शास्ति में शत-प्रतिशत छूट प्रदान करते हुए स्थानीय स्तर पर ही लीजडीड/पट्टा देकर कब्जा दिया जा रहा है.
नगरीय निकाय और राजस्थान आवासन मण्डल द्वारा EWS/LIG/MIG-A आय ग्रुप के आवास/ भूखण्ड आवंटित किए गए हैं. जिन में मूल राशि और किस्तें निर्धारित समय पर जमा नहीं कराने से ब्याज और पैनल्टी का काफी भार बढ़ चुका है. अब अभियान अवधि में निकायों और आवासन मण्डल के आवास/भूखण्ड और आवासन मण्डल के MIG-B और HIG के आवासों में बकाया राशि/बकाया किस्तों की राशि एक मुश्त जमा करने पर ब्याज पैनल्टी में शत प्रतिशत छूट प्रदान करते हुए स्थानीय स्तर पर ही आवंटन/लीजडीड/पट्टा दिया जा रहा है.
इसके साथ ही नगरीय निकाय क्षेत्रों में 69 ए, कच्ची बस्ती और स्टेट ग्रांट के पट्टों पर भी विशेष छूट के प्रावधान तय किए गए. बावजूद इसके राज्य सरकार को वो सफलता नहीं मिली, जिसके दावे अभियान से पूर्व किए जा रहे थे. लगभग 2 महीने बीतने के बाद सरकार उस लक्ष्य तक पहुंची है, जिसे पहले ही दिन प्राप्त करने के दावे किए गए थे. अब सरकार के पास महज 4 महीने का समय बचा है, जिसमें करीब 9 लाख पट्टे बांटने हैं.
आपको बता दें कि राज्य सरकार की ओर से प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत प्रथम चरण में 15 से 25 सितम्बर तक तैयारी शिविर लगाए गए. दूसरा और प्रमुख चरण 2 अक्टूबर से शुरू हुआ. ये 31 दिसम्बर तक चलना है. फिर 15 दिन मध्यांतर के बाद 16 जनवरी, 2022 से 31 मार्च, 2022 तक यही क्रम दोहराया जाएगा. वहीं तीसरे और आखिरी चरण में फॉलोअप की कार्यवाही की जाएगी. फॉलोअप कैम्प 1 अप्रैल, 2022 से शुरू किया जाएगा.