जयपुर. स्थायी आवास, रोजगार के साधन और मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर आज प्रदेशभर से घुमंतू, अर्धघुमंतू और विमुक्त जातियों के लोग जयपुर पहुंचे और शहीद स्मारक पर पड़ाव डाल दिया. बागरिया, भोपा और सिकलीगर जाति को ओबीसी के बजाए एससी-एसटी में शामिल करने की मांग भी पुरजोर तरीके से उठाई गई.
इन लोगों ने अनशन का भी एलान किया है. घुमंतू, अर्धघुमंतू और विमुक्त जाति परिषद के प्रदेशाध्यक्ष रतननाथ कालबेलिया ने बताया कि राजस्थान की घुमंतू जातियों में बागरिया, राणा, भाट, सिकलीगर, पारदी और मदारी जैसी 53 जातियां हैं. प्रदेशभर में इन जातियों के करीब 65 लाख लोग रहते हैं. लेकिन देश की आजादी के बाद भी घुमंतू समाज के लोग स्थायी बसेरे तक के लिए जूझ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इनके पास एक समय के भोजन तक की व्यवस्था नहीं है. सरकार की नीतियों के कारण इनके धंधे-रोजगार के साधन छिन चुके हैं. आए दिन इनके अधिकार छीने जा रहे हैं. यह समाज अभी भी तंबुओं में अपना जीवन गुजारने को विवश है. जहां भी इनकी बस्तियां हैं, वहां ये लोग 50-60 साल से रह रहे हैं. लेकिन अभी तक इनको पट्टा नसीब नहीं हुआ है. जब इन जातियों में किसी की मौत हो जाती है तो उन्हें दफनाने के लिए दो गज जमीन तक नसीब नहीं होती.
बागरिया जाति 1994 से पहले एससी में थी, उस जाति को ओबीसी की सूची में डाल दिया गया. सिकलीगर जाति भी एसटी में थी, उन्हें भी ओबीसी में डाल दिया गया है. भोपा जाति एससी में थी, उसे भी ओबीसी में डाल दिया गया. इससे साफ है कि आए दिन इनके अधिकार छीने जा रहे हैं. आज हमने पूरे राजस्थान के लोगों से जयपुर पहुंचने का आह्वान किया है, यहां आमरण अनशन किया जा रहा है.
हर सरकार ने घुमंतू जातियों को ठगा..
रतननाथ कालबेलिया का कहना है कि अब तक जितनी भी सरकारें आई हैं, उन्होंने सिर्फ गुमराह करने का काम किया है. बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, उन्होंने मांग की कि मंत्रियों की एक कमेटी बनाकर वस्तुस्थिति का आकलन करवाया जाए. कालबेलिया ने कहा कि आज हम यहां कोई राजनीतिक रोटियां सेंकने नहीं आए हैं, हम हमारा दुख बताने आए हैं. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार नहीं करेगी, तब तक उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा.