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जयपुर: हाथी गांव में हाथियों की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन

राजधानी जयपुर के हाथी गांव में 4 हाथियों की मौत का मामला सामने आने पर एक एनजीओ कार्यकर्ताओं ने जवाब के लिए वन विभाग और राजस्थान सरकार का रुख किया है. एनजीओ कार्यकर्ता हाथी गांव में हाथियों की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

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हाथी गांव में हाथियों की स्थिति
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Published : Sep 30, 2020, 6:30 AM IST

जयपुर. एनजीओ कार्यकर्ता हाथी गांव में हाथियों की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. राजधानी जयपुर के हाथी गांव में 4 हाथियों की मौत का मामला सामने आने पर एक एनजीओ कार्यकर्ताओं ने जवाब के लिए वन विभाग और राजस्थान सरकार का रुख किया है.

विभाग के बयानों के अनुसार महामारी से पर्यटन प्रभावित होने के कारण हाथियों के मालिकों के लिए कोई आय नहीं है और ना ही हाथियों के लिए व्यायाम की व्यवस्था है. इस जवाब से असंतुष्ट स्थानीय संगठन और हेल्प इन सफरिंग और एंजेल आईज की अगुवाई में 1 अक्टूबर को देशव्यापी डिजिटल विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है. अल्बर्ट हॉल पर एक विरोध रैली निकालकर और आमेर फोर्ट में मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

पढ़ें: 40 वर्षीय हथिनी रानी ने तोड़ा दम, हाथी गांव में शोक की लहर

हाल ही में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि 102 हाथियों में से 19 हाथियों को या तो एक तरफा दाएं या बाएं आंख या फिर दोनों आंखों में अंधा पाया गया. जिससे उन्हें किसी भी काम के लिए अनफिट कर दिया गया. हाथियों और आम लोगों की सुरक्षा पर बड़ा जोखिम है, अगर ऐसे जानवरों का उपयोग सार्वजनिक स्थानों पर और सवारी के लिए किया जाता है. इसके अलावा 91 हाथियों की ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) की जांच में 10 हाथियों में टीबी पॉजिटिव पाया गया. फिर भी उन्हें अन्य साथियों के मध्य रहने की अनुमति दी गई और टूरिस्ट की सवारी के उपयोग में लिया गया. टीबी एक जूनोटिक बीमारी है, जिससे इंसानों और जानवरों के लिए खतरा है.

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हाथी गांव में 4 हाथियों की मौत का मामला

इन चार हाथों में से दो हाथी 99 नंबर और 64 नंबर रानी और चंचल में 2018 में एडब्ल्यूबीआई निरीक्षण के दौरान टीबी का परीक्षण पॉजिटिव आया था, लेकिन राजस्थान वन विभाग द्वारा तीन से पांच महीनों में टीबी मुक्त घोषित कर दिया गया था. जबकि वास्तव में किसी भी हाथी को टीबी से उबारने में कम से कम 6 से 12 महीने का गहन उपचार करना पड़ता है.

ना तो वन विभाग और ना पशुपालन विभाग और ना ही हाथी मालिक इन मौतों के लिए जिम्मेदारी ले रहे हैं और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसूची 1 की स्थिति के बावजूद उन्हें हाथियों के स्वामित्व का दायित्व जारी है.

पढ़ें: हाथी गांव में 34 नंबर हथिनी चंचल के महावत ने किया सुसाइड, जांच में जुटी पुलिस

हेल्प इन सफरिंग की मैनेजिंग ट्रस्टी टिम्मी कुमार के मुताबिक हाथियों के मालिक और वन विभाग चाहते हैं कि हम यह मान ले कि हाथियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ा. क्योंकि उन्हें लॉकडाउन से पहले की तुलना में पर्याप्त व्यायाम नहीं मिल रहा था. क्योंकि पर्यटन में ठहराव आ गया वे सहानुभूति कार्ड खेल रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि एक बार यात्रा और पर्यटन फिर से शुरू होने पर पर्यटक उनके झूठ पर यकीन कर ले। हाथियों के लिए उचित व्यायाम की व्यवस्था की जा सकती हैं. इन भव्य जीवो के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. गर्म डामर की सड़कों पर आमेर की पहाड़ी पर जाना हाथियों और उनके पैरों के लिए बहुत बुरा है, उनकी आंखों की रोशनी भी प्रभावित हो जाती है.

बता दें कि 1 अक्टूबर को शाम 4 बजे अल्बर्ट हॉल पर एकत्रित होंगे और जुलूस निकालकर 6 बजे आमेर फोर्ट पर पहुंचेंगे. दोनों ही कार्यक्रम इंस्टाग्राम पेज पर लाइव दिखाए जाएंगे.

जयपुर. एनजीओ कार्यकर्ता हाथी गांव में हाथियों की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. राजधानी जयपुर के हाथी गांव में 4 हाथियों की मौत का मामला सामने आने पर एक एनजीओ कार्यकर्ताओं ने जवाब के लिए वन विभाग और राजस्थान सरकार का रुख किया है.

विभाग के बयानों के अनुसार महामारी से पर्यटन प्रभावित होने के कारण हाथियों के मालिकों के लिए कोई आय नहीं है और ना ही हाथियों के लिए व्यायाम की व्यवस्था है. इस जवाब से असंतुष्ट स्थानीय संगठन और हेल्प इन सफरिंग और एंजेल आईज की अगुवाई में 1 अक्टूबर को देशव्यापी डिजिटल विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है. अल्बर्ट हॉल पर एक विरोध रैली निकालकर और आमेर फोर्ट में मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

पढ़ें: 40 वर्षीय हथिनी रानी ने तोड़ा दम, हाथी गांव में शोक की लहर

हाल ही में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि 102 हाथियों में से 19 हाथियों को या तो एक तरफा दाएं या बाएं आंख या फिर दोनों आंखों में अंधा पाया गया. जिससे उन्हें किसी भी काम के लिए अनफिट कर दिया गया. हाथियों और आम लोगों की सुरक्षा पर बड़ा जोखिम है, अगर ऐसे जानवरों का उपयोग सार्वजनिक स्थानों पर और सवारी के लिए किया जाता है. इसके अलावा 91 हाथियों की ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) की जांच में 10 हाथियों में टीबी पॉजिटिव पाया गया. फिर भी उन्हें अन्य साथियों के मध्य रहने की अनुमति दी गई और टूरिस्ट की सवारी के उपयोग में लिया गया. टीबी एक जूनोटिक बीमारी है, जिससे इंसानों और जानवरों के लिए खतरा है.

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हाथी गांव में 4 हाथियों की मौत का मामला

इन चार हाथों में से दो हाथी 99 नंबर और 64 नंबर रानी और चंचल में 2018 में एडब्ल्यूबीआई निरीक्षण के दौरान टीबी का परीक्षण पॉजिटिव आया था, लेकिन राजस्थान वन विभाग द्वारा तीन से पांच महीनों में टीबी मुक्त घोषित कर दिया गया था. जबकि वास्तव में किसी भी हाथी को टीबी से उबारने में कम से कम 6 से 12 महीने का गहन उपचार करना पड़ता है.

ना तो वन विभाग और ना पशुपालन विभाग और ना ही हाथी मालिक इन मौतों के लिए जिम्मेदारी ले रहे हैं और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसूची 1 की स्थिति के बावजूद उन्हें हाथियों के स्वामित्व का दायित्व जारी है.

पढ़ें: हाथी गांव में 34 नंबर हथिनी चंचल के महावत ने किया सुसाइड, जांच में जुटी पुलिस

हेल्प इन सफरिंग की मैनेजिंग ट्रस्टी टिम्मी कुमार के मुताबिक हाथियों के मालिक और वन विभाग चाहते हैं कि हम यह मान ले कि हाथियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ा. क्योंकि उन्हें लॉकडाउन से पहले की तुलना में पर्याप्त व्यायाम नहीं मिल रहा था. क्योंकि पर्यटन में ठहराव आ गया वे सहानुभूति कार्ड खेल रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि एक बार यात्रा और पर्यटन फिर से शुरू होने पर पर्यटक उनके झूठ पर यकीन कर ले। हाथियों के लिए उचित व्यायाम की व्यवस्था की जा सकती हैं. इन भव्य जीवो के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. गर्म डामर की सड़कों पर आमेर की पहाड़ी पर जाना हाथियों और उनके पैरों के लिए बहुत बुरा है, उनकी आंखों की रोशनी भी प्रभावित हो जाती है.

बता दें कि 1 अक्टूबर को शाम 4 बजे अल्बर्ट हॉल पर एकत्रित होंगे और जुलूस निकालकर 6 बजे आमेर फोर्ट पर पहुंचेंगे. दोनों ही कार्यक्रम इंस्टाग्राम पेज पर लाइव दिखाए जाएंगे.

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