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कौन होगा ब्यूरोक्रेसी का मुखिया? 31 जनवरी को मौजूदा सीएस निरंजन आर्य हो रहे हैं रिटायर, सुबोध अग्रवाल रेस में सबसे आगे

प्रदेश के मौजूदा मुख्य सचिव निरंजन आर्य इसी महीने रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में सरकार नए सीएस (New Chief Secretary of Rajasthan 2022) को लेकर तैयारी कर रही है. नए मुख्य सचिव के लिए वरिष्ठता के आधार पर पांच आईएएस अफसरों के नाम में तीन महिला और दो पुरुष अफसर हैं. 1988 बैच के आईएएस सुबोध अग्रवाल भी इस रेस में सबसे आगे शामिल हैं.

New Chief Secretary of Rajasthan 2022
राजस्थान मुख्य सचिव 2022
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Published : Jan 8, 2022, 9:55 PM IST

जयपुर. प्रदेश में वर्ष 2022 में मुख्य सचिव निरंजन आर्य सहित कई आईएएस अफसर रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में नए ब्यूरोक्रेसी के मुखिया को लेकर नौकरशाही में तलाश तेज हो गई है. नए मुख्य सचिव के लिए वरिष्ठता के आधार पर पांच आईएएस अफसरों के नाम में तीन महिला और दो पुरुष अफसर हैं. इनमें से एक इसी वर्ष सितंबर में रिटायर्ड हो रहे हैं.

हालांकि जानकारों का यह भी मान रहे हैं कि सरकार इस बार ऐसे अफसर को सीएस बनाएगी जो 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक रिटायर्ड ना हो. ऐसे में संभावना यह भी है कि वर्तमान मुख्य सचिव की तरह सीएम गहलोत अपनी पसंद के कम वरिष्ठता वाले अफसर पर भी दांव खेलते सकते हैं.

सचिवालय गलियारों में इन दिनों इस बात को लेकर चर्चाएं जोरों पर है कि जनवरी के बाद प्रदेश ब्यूरोक्रेसी का नया मुखिया कौन होगा. मौजूदा मुख्य सचिव इसी महीने 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. यही नहीं निरंजन आर्य के आलावा वरिष्ठता में सबसे सीनियर रविशंकर श्रीवास्तव भी इसी वर्ष सितंबर में रिटायर होने जा रहे हैं. ऐसे में जानकारों यह भी मान रहे हैं कि सीएस को लेकर मुख्यमंत्री के स्वविवेक पर अंतिम फैसला होगा.

परम्परा वरिष्ठता के आधार पर मुख्य सचिव की रही है, लेकिन जिस तरह से वर्तमान मुख्य सचिव निरंजन आर्य को सीएस बनाने में करीब दस सीनियर आईएएस अफसरों को नजर अंदाज किया गया था. ऐसे में यह भी संभावना बन रही है कि कहीं इस बार भी सीएम पसंद के अधिकारी को सीएस बनाने के लिए वरिष्ठता को नजरअंदाज नहीं कर दें. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर सवाल ये आखिर नया मुख्य सचिव कौन होगा.

पढ़ें: Ashok Chandna retaliates on Poonia : स्टेडियम का नामकरण जिंदा मोदी के नाम पर करने वाली बीजेपी को ग्रामीण ओलंपिक के नामकरण से आपत्ति

वरिष्ठता के आधार पर देखें तो 1985 बैच की उषा शर्मा, 1987 बैच की नीलकमल दरबारी और वीनू गुप्ता का नाम सबसे आगे है. इसके साथ मौजूदा वक्त में मुख्यमंत्री के पसंद के अफसरों में (CM Ashok Gehlot choice of next CS) शुमार 1988 बैच के आईएएस सुबोध अग्रवाल भी इस रेस में सबसे आगे शामिल हैं.

किसका क्या गणित

वरिष्ठता के आधार पर देखें तो सबसे पहले पायदान पर 1985 बैच के आईएएस रविशंकर श्रीवास्तव सबसे सीनियर हैं. लेकिन श्रीवास्तव भी इसी वर्ष सितंबर में रिटायर्ड हो रहे हैं और इन पर राजस्व मंडल में सदस्य रहते भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. ऐसे में श्रीवास्तव को सीएस नहीं बनाया जा सकता.

दूसरे नंबर पर इनमें से 1985 बैच की आईएएस उषा शर्मा हैं. उषा वर्तमान में केंद्रीय खेल और युवा मामले सचिव के रूप में दिल्ली में सेवाएं दे रही हैं. सीएम महिला सीएस बना कर चुनाव से पहले एक मैसेज सकते हैं. लेकिन उषा भी जून 2023 रिटायर्ड हो रही हैं. चुनाव से ठीक पहले सरकार फिर से नए मुख्य सचिव के चयन को लेकर माथापच्ची नहीं करना चाहेगी. इसके अलावा जानकारों का मानना यह भी हैं कि उषा भी राजस्थान वापस आने को लेकर ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है.

पढ़ें: मार्च में नहीं फरवरी में आएगा बजट ! गहलोत सरकार 15 फरवरी तक पेश कर सकती है बजट

तीसरे नंबर पर 1987 बैच आईएएस नील कमल दरबारी हैं. दरबारी भी केंद्रीय कृषि मंत्रालय में प्रबंध निदेशक के पद पर दिल्ली हैं. लेकिन दरबारी भी फरवरी 2023 रिटायर्ड हो रही हैं. दरबारी ज्यादा समय दिल्ली में रही हैं. वापस आने को लेकर ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है और ना ही उनकी गहलोत सरकार में ज्यादा पकड़ है.

चौथे नंबर पर 1987 बैच आईएएस वीनू गुप्ता भी हैं. वीनू पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की पत्नी हैं और पायलट खेमे की पसंद की अफसर मानी जाती हैं. ऐसे में वीनू को लेकर संभावनाएं कम हो जाती हैं. वहीं निरंजन आर्य, रवि शंकर श्रीवास्तव और मधुकर गुप्ता को लेकर भी मंथन हो रहा है.

पढ़ें: एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के चलते गंवाया मंत्री पद, अब जल्द मिलेगा कैबिनेट मंत्री का दर्जा

पांचवें नंबर पर 1988 बैच आईएएस सुबोध अग्रवाल का नाम आता है. अग्रवाल के पास 2025 तक लम्बा समय भी है और यह भी माना जाता है कि सीएम की पसंद के अफसरों में हैं. अग्रवाल को इस समय माइंस का महत्वपूर्ण जिम्मा दिया हुआ है. चुनाव से पहले वैश्य समाज को साधने के लिए भी यह दांव मुफीद हो सकता है.

चौंकाने वाला फैसला भी हो सकता है

मुख्य सचिव के चयन को लेकर सभी गुणा भाग के बीच अंतिम फैसला मुख्यमंत्री को करना होता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार को तीन महीने पहले कोर्ट को बताना होता है कि वो किस आईएएस अफसर को सीएस बनाने जा रही है लेकिन इस आदेश का अमूमन ज्यादा पालन नहीं होता. कुछ जानकर यह भी मान रहे हैं कि गहलोत हमेशा चौंकाने फैसले को लेकर भी जाने जाते हैं. बड़ी बात नहीं है कि जिस तरह से निरंजन आर्य को चीफ सेक्रेटी बनाने के लिए 10 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को प्राथमिकता नहीं दी गई थी. उसी तरह किसी चौंकाने वाले नाम पर सरकार फैसला कर ले उसमे पीके गोयल, सुधांश पंत या फिर मौजूदा अभय कुमार का भी नाम हो सकता हैं.

आर्य को नहीं मिलेगा एक्सटेंशन

जानकारों की मानें तो यह तो तय हो गया है कि वर्तमान में मुख्य सचिव निरंजन आर्य को सरकार एक्सटेंशन तो नहीं देने जा रही है. हां, यह जरूर है कि आर्य को रिटायर्डमेंट के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त का पद जो कि जल्द ही खाली होने जा रहा है, वहां पर जिम्मेदारी दे दें या जन अभाव अभियोग का जिम्मा मिल सकता है.

जयपुर. प्रदेश में वर्ष 2022 में मुख्य सचिव निरंजन आर्य सहित कई आईएएस अफसर रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में नए ब्यूरोक्रेसी के मुखिया को लेकर नौकरशाही में तलाश तेज हो गई है. नए मुख्य सचिव के लिए वरिष्ठता के आधार पर पांच आईएएस अफसरों के नाम में तीन महिला और दो पुरुष अफसर हैं. इनमें से एक इसी वर्ष सितंबर में रिटायर्ड हो रहे हैं.

हालांकि जानकारों का यह भी मान रहे हैं कि सरकार इस बार ऐसे अफसर को सीएस बनाएगी जो 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक रिटायर्ड ना हो. ऐसे में संभावना यह भी है कि वर्तमान मुख्य सचिव की तरह सीएम गहलोत अपनी पसंद के कम वरिष्ठता वाले अफसर पर भी दांव खेलते सकते हैं.

सचिवालय गलियारों में इन दिनों इस बात को लेकर चर्चाएं जोरों पर है कि जनवरी के बाद प्रदेश ब्यूरोक्रेसी का नया मुखिया कौन होगा. मौजूदा मुख्य सचिव इसी महीने 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. यही नहीं निरंजन आर्य के आलावा वरिष्ठता में सबसे सीनियर रविशंकर श्रीवास्तव भी इसी वर्ष सितंबर में रिटायर होने जा रहे हैं. ऐसे में जानकारों यह भी मान रहे हैं कि सीएस को लेकर मुख्यमंत्री के स्वविवेक पर अंतिम फैसला होगा.

परम्परा वरिष्ठता के आधार पर मुख्य सचिव की रही है, लेकिन जिस तरह से वर्तमान मुख्य सचिव निरंजन आर्य को सीएस बनाने में करीब दस सीनियर आईएएस अफसरों को नजर अंदाज किया गया था. ऐसे में यह भी संभावना बन रही है कि कहीं इस बार भी सीएम पसंद के अधिकारी को सीएस बनाने के लिए वरिष्ठता को नजरअंदाज नहीं कर दें. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर सवाल ये आखिर नया मुख्य सचिव कौन होगा.

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वरिष्ठता के आधार पर देखें तो 1985 बैच की उषा शर्मा, 1987 बैच की नीलकमल दरबारी और वीनू गुप्ता का नाम सबसे आगे है. इसके साथ मौजूदा वक्त में मुख्यमंत्री के पसंद के अफसरों में (CM Ashok Gehlot choice of next CS) शुमार 1988 बैच के आईएएस सुबोध अग्रवाल भी इस रेस में सबसे आगे शामिल हैं.

किसका क्या गणित

वरिष्ठता के आधार पर देखें तो सबसे पहले पायदान पर 1985 बैच के आईएएस रविशंकर श्रीवास्तव सबसे सीनियर हैं. लेकिन श्रीवास्तव भी इसी वर्ष सितंबर में रिटायर्ड हो रहे हैं और इन पर राजस्व मंडल में सदस्य रहते भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. ऐसे में श्रीवास्तव को सीएस नहीं बनाया जा सकता.

दूसरे नंबर पर इनमें से 1985 बैच की आईएएस उषा शर्मा हैं. उषा वर्तमान में केंद्रीय खेल और युवा मामले सचिव के रूप में दिल्ली में सेवाएं दे रही हैं. सीएम महिला सीएस बना कर चुनाव से पहले एक मैसेज सकते हैं. लेकिन उषा भी जून 2023 रिटायर्ड हो रही हैं. चुनाव से ठीक पहले सरकार फिर से नए मुख्य सचिव के चयन को लेकर माथापच्ची नहीं करना चाहेगी. इसके अलावा जानकारों का मानना यह भी हैं कि उषा भी राजस्थान वापस आने को लेकर ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है.

पढ़ें: मार्च में नहीं फरवरी में आएगा बजट ! गहलोत सरकार 15 फरवरी तक पेश कर सकती है बजट

तीसरे नंबर पर 1987 बैच आईएएस नील कमल दरबारी हैं. दरबारी भी केंद्रीय कृषि मंत्रालय में प्रबंध निदेशक के पद पर दिल्ली हैं. लेकिन दरबारी भी फरवरी 2023 रिटायर्ड हो रही हैं. दरबारी ज्यादा समय दिल्ली में रही हैं. वापस आने को लेकर ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है और ना ही उनकी गहलोत सरकार में ज्यादा पकड़ है.

चौथे नंबर पर 1987 बैच आईएएस वीनू गुप्ता भी हैं. वीनू पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की पत्नी हैं और पायलट खेमे की पसंद की अफसर मानी जाती हैं. ऐसे में वीनू को लेकर संभावनाएं कम हो जाती हैं. वहीं निरंजन आर्य, रवि शंकर श्रीवास्तव और मधुकर गुप्ता को लेकर भी मंथन हो रहा है.

पढ़ें: एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के चलते गंवाया मंत्री पद, अब जल्द मिलेगा कैबिनेट मंत्री का दर्जा

पांचवें नंबर पर 1988 बैच आईएएस सुबोध अग्रवाल का नाम आता है. अग्रवाल के पास 2025 तक लम्बा समय भी है और यह भी माना जाता है कि सीएम की पसंद के अफसरों में हैं. अग्रवाल को इस समय माइंस का महत्वपूर्ण जिम्मा दिया हुआ है. चुनाव से पहले वैश्य समाज को साधने के लिए भी यह दांव मुफीद हो सकता है.

चौंकाने वाला फैसला भी हो सकता है

मुख्य सचिव के चयन को लेकर सभी गुणा भाग के बीच अंतिम फैसला मुख्यमंत्री को करना होता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार को तीन महीने पहले कोर्ट को बताना होता है कि वो किस आईएएस अफसर को सीएस बनाने जा रही है लेकिन इस आदेश का अमूमन ज्यादा पालन नहीं होता. कुछ जानकर यह भी मान रहे हैं कि गहलोत हमेशा चौंकाने फैसले को लेकर भी जाने जाते हैं. बड़ी बात नहीं है कि जिस तरह से निरंजन आर्य को चीफ सेक्रेटी बनाने के लिए 10 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को प्राथमिकता नहीं दी गई थी. उसी तरह किसी चौंकाने वाले नाम पर सरकार फैसला कर ले उसमे पीके गोयल, सुधांश पंत या फिर मौजूदा अभय कुमार का भी नाम हो सकता हैं.

आर्य को नहीं मिलेगा एक्सटेंशन

जानकारों की मानें तो यह तो तय हो गया है कि वर्तमान में मुख्य सचिव निरंजन आर्य को सरकार एक्सटेंशन तो नहीं देने जा रही है. हां, यह जरूर है कि आर्य को रिटायर्डमेंट के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त का पद जो कि जल्द ही खाली होने जा रहा है, वहां पर जिम्मेदारी दे दें या जन अभाव अभियोग का जिम्मा मिल सकता है.

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