जयपुर. प्रदेश में मकान, दुकान, फैक्ट्री या अन्य प्रतिष्ठान की छत पर 10 किलोवाट से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने वाले उपभोक्ताओं को जल्द ही झटका लगने वाला है. अब 10 किलोवाट से ज्यादा रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए जाने पर नेट मीटरिंग का प्रावधान खत्म करने की तैयारी है. प्रदेश में रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए नए प्रावधान बनाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है. हालांकि, नए प्रावधानों पर आगामी 21 जनवरी तक राजस्थान राज्य विद्युत विनियामक आयोग को अपने सुझाव और आपत्ति दिए जा सकते हैं.
इस संबंध में विनियामक आयोग ने 21 जनवरी तक सुझाव मांगे हैं. हालांकि, प्रदेश में अब तक घर, प्रतिष्ठान या अन्य स्थानों पर छत पर सोलर पैनल या फिर कहें रूफटॉप सिस्टम लगाए जाने पर नेट मीटरिंग की व्यवस्था थी, जिसके तहत जितनी भी बिजली का उत्पादन होता था उसे संबंधित उपभोक्ता द्वारा खपत की गई बिजली में समायोजित कर लिया जाता था. लेकिन अब यदि नई व्यवस्था लागू की गई तब 10 किलोवाट से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए जाने वाले उपभोक्ताओं को पुराने सिस्टम के तहत लाभ नहीं मिल पाएगा. उन्हें रूफटॉप सोलर सिस्टम के जरिए उत्पादित की गई बिजली का भुगतान डिस्कॉम करेगी, लेकिन ये बिजली खरीद का भुगतान उपभोग की गई बिजली पर वसूले जा रहे बिल की तुलना में बेहद कम होती है.
केंद्र सरकार का नया रेगुलेशन आने के बाद राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग ने प्रदेश में नए रेगुलेशन तय करने के लिए ड्राफ्ट (ग्रिड इंटरएक्टिव डिस्ट्रीब्यूटेड रिन्यूएबल एनर्जी जनरेटर सिस्टम) विनिमय 2020 पर 21 जनवरी तक लोगों से आपत्ति और सुझाव मांगे हैं. इसके बाद मार्च अंत या अप्रैल पहले सप्ताह तक प्रदेश में रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए जाने के लिए नए रेगुलेशन बन जाएंगे. केंद्र के रेगुलेशन के अनुसार घरेलू औद्योगिक कृषि व अन्य सभी केटेगरी के बिजली कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को नेट बैटरी का फायदा केवल 10 किलोवाट तक ही मिल पाएगा. इसके बाद नेट बिलिंग का विकल्प लेना होगा.
ये है प्रावधान...
विनियामक आयोग के ड्राफ्ट में प्रावधान किया गया है कि घरेलू स्ट्रीट लाइट व कृषि के कनेक्शन पर एलटी लोड यानी 50 किलोवाट तक नेट मीटरिंग होगी. इसके ऊपर और अन्य केटेगरी के बिजली कनेक्शन वाले रूफटॉप सिस्टम को नेट बिलिंग का विकल्प ही मिल पाएगा, यानी बिजली बिल व सोलर एनर्जी की यूनिट का आपसी समायोजन नहीं होगा.