कोटा : केंद्र और राज्य सरकारें एक्सप्रेसवे बनाने पर जोर दे रही हैं, ताकि बड़े शहरों के बीच की दूरी कम की जा सके और विकास की नई संभावनाएं बनें, लेकिन कोटा से निकलकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के इटावा तक बनने वाला चंबल एक्सप्रेसवे (जिसे बाद में प्रोग्रेसवे कहा गया) का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. 2021 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस एक्सप्रेसवे के निर्माण की घोषणा की थी. इसके बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने के लिए नोटिस भी जारी किया था.
किसानों के विरोध के कारण रुका काम : यह एक्सप्रेसवे राजस्थान के कोटा के सिमलिया से शुरू होकर मध्य प्रदेश से होते हुए उत्तर प्रदेश के इटावा के ननावा तक बनना था. हालांकि, राजस्थान में इस एक्सप्रेसवे का एलाइनमेंट अभी तक पूरी तरह से फाइनल नहीं हो पाया है, जबकि मध्य प्रदेश में यह काम पहले ही पूरा हो चुका था. इसके बाद विवाद उठने पर एक्सप्रेसवे का निर्माण रोक दिया गया और यह परियोजना पूरी तरह से अटकी हुई है. किसानों ने इस एक्सप्रेसवे के निर्माण पर आपत्ति जताई थी. खासकर मध्य प्रदेश के श्योपुर, सबलगढ़, मुरैना और भिंड के किसानों ने इसका विरोध किया, क्योंकि यह एक्सप्रेसवे उपजाऊ जमीन से गुजरने वाला था और यहां के किसान इस परियोजना को लेकर चिंतित थे. किसानों ने अपनी आपत्ति मध्य प्रदेश के जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाई, जिनके माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को इस मुद्दे की जानकारी दी गई. इसके बाद 2023 में जमीन अधिग्रहण का काम रोक दिया गया. इस कारण पिछले दो साल से इस प्रोजेक्ट में के ऊपर अभी तक कोई भी काम नहीं हुआ है.
चंबल एक्सप्रेसवे का अभी पुराना स्टेटस ही है. राज्य सरकार की तरफ से जमीन अधिकरण शुरू नहीं हो पाया है. राज्य सरकार के यहां पर जमीन अधिग्रहण शुरू करने का निर्णय भी लंबित है. अभी इसके संबंध में कोई लेटेस्ट अपडेट भी नहीं आई है- उमाकांत मीना, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई, मुरैना.
औद्योगिक विकास बढ़ाने की योजना : यह एक्सप्रेसवे पर्यटन और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनना था. राजस्थान और मध्य प्रदेश के रिजर्व एरिया को जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा देने का भी प्लान था और इस इलाके में औद्योगिक विकास को भी बढ़ाना था. राजस्थान में यह एक्सप्रेसवे करीब 72 किलोमीटर लंबा बनना था, जो पूरी तरह से कोटा जिले में था. वहीं, मध्य प्रदेश में इसका निर्माण करीब 314 किलोमीटर तक होना था, जो चार जिलों से गुजरने वाला था. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में इसका 23 किलोमीटर हिस्सा बनना था. वर्तमान में इटावा और ग्वालियर से कोटा आने में करीब 12 घंटे का समय लगता है, लेकिन इस एक्सप्रेसवे के बनने से यह समय कई घंटे कम होने की उम्मीद थी. साथ ही वर्तमान में इस रास्ते में कोई सीधा मार्ग नहीं है, जबकि इस एक्सप्रेसवे का निर्माण चंबल नदी के समानांतर सीधा रास्ता बनाने के लिए किया जाना था. इस एक्सप्रेसवे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से वाहन दौड़ने की योजना थी.
अटल प्रोग्रेसवे के संबंध में हमारे पास कोई अपडेट नहीं है. हमें इसके संबंध में कोई नई सूचना नहीं मिली है. यह फिलहाल होल्ड पर है- संदीप अग्रवाल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई, कोटा.
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत सबसे पहले मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 2020 में की थी. उन्होंने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी. 2021 में इसे भारतमाला परियोजना के पहले चरण में शामिल किया गया था. इसके बाद 2022 में इसकी निर्माण स्वीकृति जारी की गई और डीपीआर तैयार करने के लिए नोटिस भी निकाला गया. इस एक्सप्रेसवे का कुछ हिस्सा कूनो सेंचुरी से भी होकर गुजरना था, जिसके लिए पर्यावरणीय मंजूरी (एनवायरनमेंटल क्लीयरेंस) की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन अब तक यह परियोजना ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है और इसका निर्माण शुरू होने में समय लग रहा है.