जयपुर. उपराष्ट्रपति पद पर एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ भले ही राजस्थान से ही आते हो, लेकिन अपने ही गृह राज्य में मौजूदा कांग्रेस सरकार का सहयोग चुनाव में धनखड़ को नहीं मिल पाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बारे में बहुत कुछ साफ कर दिया है. गहलोत ने कहा कि उम्मीदवार राजस्थान का है तो उनके साथ लोगों की भावना जरूर हो सकती है, लेकिन वोटिंग का पैटर्न वही रहेगा जो विचारधारा की लड़ाई है.
राजस्थान विधानसभा में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने आए गहलोत ने कहा कि इन चुनावों में भी वही बात लागू होगी जो राष्ट्रपति चुनाव में हो रही है. मतलब विचारधारा की लड़ाई राष्ट्रपति चुनाव के साथ उपराष्ट्रपति चुनाव में भी जारी रहेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में इससे पहले भैरों सिंह शेखावत उप राष्ट्रपति बने थे और अब एनडीए ने जगदीप धनखड़ को प्रत्याशी बनाया है. उन्होंने कहा कि यह नेचुरल है, जब किसी राज्य का उम्मीदवार बनता है तो उस राज्य में उसका वेलकम होता ही है, लेकिन उसे उसी रूप में लेना चाहिए.
यह सुखद संयोग होगा- एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस चुनाव की बात छोड़िए, लेकिन आजादी के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों के अध्यक्ष और चेयरमैन राजस्थान से हैं यह एक सुखद संयोग है.
रणदीप धनखड़ ने जताई थी यह उम्मीद- इससे पहले जगदीप धनखड़ के छोटे भाई रणदीप धनखड़ जो कांग्रेस के नेता भी हैं और पूर्व में आरटीडीसी के चेयरमैन भी रह चुके हैं, उन्होंने उम्मीद जताई थी कि जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार घोषित करने से केवल भाजपा ही नहीं कांग्रेस व अन्य दलों के नेताओं में भी खुशी है. धनखड़ ने यह भी कहा था कि उड़ीसा की तर्ज पर राजस्थान में भी जगदीप धनखड़ को पार्टी पॉलिटिक्स से अलग हटकर समर्थन दिया जाना चाहिए, ऐसी उम्मीद है. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में उड़ीसा में नवीन पटनायक सरकार का उदाहरण दिया जिन्होंने अलग विचारधारा होने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की बात कही थी.