जयपुर. नगरीय निकायों के विकास कार्यों को समयबद्ध तरीके से संपादित कराने के संबंध में स्वायत्त शासन विभाग की ओर से समय-समय पर नियम और आदेश जारी किए गए हैं. जिसके तहत नगरीय निकायों के प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के क्षेत्राधिकार भी स्पष्ट किए हुए हैं. बावजूद इसके अमूमन जनप्रतिनिधियों की ओर से विकास और निर्माण कार्य से संबंधित पत्रावलियों को कार्यालय से अपने पास मंगवा लेने और उन्हें रोकने की शिकायत मिलती रही है.
जिस पर संज्ञान लेते हुए स्वायत्त शासन विभाग में नगरीय निकायों की निर्माण और अन्य कार्यों से संबंधित पत्रावलियों के संबंध में आदेश जारी किए गए हैं. इस संबंध में डीएलबी निदेशक उज्ज्वल सिंह राठौड़ ने कहा कि किसी के अधिकार कम नहीं किए गए हैं, जो फाइल जिस लेवल से जाती है उसी लेवल से जाएगी. दरअसल, नगरीय निकायों में देखने को मिलता है कि किसी विकास कार्य या अन्य किसी प्रकरण से संबंधित पत्रावली मेयर/सभापति/अध्यक्ष की ओर से मंगवा ली जाती है. जिसके बाद उसे लंबे समय तक ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.
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इसकी ना कोई रसीद दी जाती हैं, ना उसकी कोई टाइम लिमिट तय होती है. ये फाइल्स प्रक्रियाधीन रहती है ऐसे में उन फाइल्स को किसी को भी परमानेंट ना देने के निर्देश निकाले गए हैं. अगर किसी को संबंधित फाइल की स्क्रूटनी करने की जरूरत है, तो उसकी प्रति उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें कि नगरीय निकायों में महापौर/सभापति/अध्यक्ष की ओर से विकास और निर्माण कार्यों से संबंधित पत्रावलियों को स्वयं के पास रोके रखने के कई मामले सामने आ चुके हैं. इससे नगरीय निकायों के निर्माण कार्य और प्रशासनिक कार्य में बाधा उत्पन्न होती है. ऐसे में अब स्वायत्त शासन विभाग में मूल पत्रावली के बजाय जनप्रतिनिधियों को फोटो कॉपी उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं.