जयपुर . जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म कर उसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने के फैसले को महात्मा गांधी रिजेक्ट कर देते. यह कहना है महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी का. जिस अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार ने खत्म किया है, उसे लेकर महात्मा गांधी का हवाला देते हुए तुषार गांधी ने लोकतंत्र के लिए बहुत घातक बताया.
पहले राज्यसभा फिर लोकसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद, देश में 2 वर्ग बन गए हैं. एक वो जो इस फैसले से खुश है और एक वो जो खफा है. इन सबके बीच महात्मा गांधी यदि आज होते तो अनुच्छेद 370 पर उनके क्या विचार होते, ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने जयपुर पहुंचे महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी से बात की. बातचीत के दौरान तुषार गांधी ने कहा कि बापू ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को लोकतंत्र के लिए घातक बताया होता.
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उन्होंने कहा कि इसे 2 तरीके से रिजेक्ट कर दिया होता. उन्होंने बापू का हवाला देते हुए कहा कि एक विचारधारा ने अपने एजेंडे को मुल्क पर थोपने का काम किया है. जिस तरीके से इस फैसले को लादा गया है, वह प्रजातंत्र के लिहाज से सही नहीं है.
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तुषार गांधी ने दो कारण बताते हुए कहा कि इतना अहम मुद्दा, जिसमें ना तो लोगों की राय ली गई, और ना ही पार्लियामेंट में इस पर कोई बहस हुई. सिर्फ भाषण बाजी की गई और अनुच्छेद हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि ये डेमोक्रेसी के लिए खतरनाक है. बीते कई महीनों से ऐसे कानून लागू किए गए, जिन पर कोई बहस या चर्चा नहीं की गई. एक एजेंडे के मुताबिक उन्हें बस थोपा गया है. जिसके पीछे एक भ्रष्ट नीति है, क्योंकि उदार नीति होती तो नागरिकों की राय ली जाती. तुषार गांधी ने इसे लोकशाही के दिखावे के अंदर ठोकशाही बताया. बहरहाल, जिस अनुच्छेद 370 को हटाकर एनडीए अपनी पीठ थपथपा रही है. उस फैसले पर विवाद अभी भी कायम है. इस बीच महात्मा गांधी के हवाले से उनके प्रपौत्र की ओर से आए बयान ने इस विवाद को और गरम कर दिया है.
अगस्त क्रांति हमारे राष्ट्र का महत्वपूर्ण उत्सव : तुषार गांधी
जयपुर. 9 अगस्त का दिन हमारे राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण उत्सव है. देश 15 अगस्त को धूमधाम से मनाता है, क्योंकि उस दिन भारत आजाद हुआ था. लेकिन 9 अगस्त देश की जनता की इस इच्छा की अभिव्यक्ति थी. जिसमें लोगों ने ठान लिया था कि उन्हें आजादी चाहिए और वो आजादी लेकर रहेंगे. आज के दिन महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. जिसे अगस्त क्रांति भी कहा गया. आज देश अगस्त क्रांति की 77 वीं सालगिरह मना रहा है. ऐसे में लोगों के जहन में ये भी आया होगा कि यदि आज महात्मा गांधी जीवित होते तो देश की क्या परिस्थिति होती. इसी पर ईटीवी भारत ने बात की महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी और गांधीवादी विचारक सवाई सिंह से.
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भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अगस्त क्रांति के नाम से मशहूर भारत छोड़ो आंदोलन की आज 77 वी वर्षगांठ है. 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित हुआ, और 9 अगस्त की रात को महात्मा गांधी सहित कांग्रेस के बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए. लेकिन ये आंदोलन बिना नेतृत्व के भी 4 साल तक चलता रहा. इसी अगस्त क्रांति को महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण उत्सव बताया. उन्होंने इसे सही मायने में जनक्रांति बताते हुए कहा कि बिना किसी लीडरशिप के ये पहली क्रांति थी जो 4 साल तक चलती रही. जनता ने अपनी जिम्मेदारी समझकर इसे उठाया. यही उसकी सफलता का राज था.
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ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान तुषार गांधी ने महात्मा गांधी के विचारों को मानवता की नींव बताया. साथ ही कहा कि बापू यदि इस दौर में होते तो 70 साल हाथ पर हाथ धरे बैठे ना होते, जो देश का अधोपतन हुआ है. ऐसी परिस्थिति बिल्कुल नहीं होती. उन्होंने कहा कि गांधी जी ऐसे वैद्य थे जो नब्ज से पहचान लेते थे कि रोग क्या है. वो रोग होने का इंतजार नहीं करते. साथ ही उन्होंने कहा कि बापू होते तो नोटों पर अपनी तस्वीर नहीं छापने देते. बापू के लिए ये महत्व नहीं करता कि हम उनकी भक्ति करें. वहीं गांधीवादी विचारक सवाई सिंह ने बताया कि अगस्त क्रांति के दौरान पूरा देश सड़कों पर उतरा हर वर्ग हर जाति का व्यक्ति अंग्रेजो के खिलाफ खड़ा हुआ. ये अंग्रेजी सल्तनत की आखिरी कील थी. सवाई सिंह ने कहा कि गांधीजी किसी राजनीतिक दल के नहीं थे, यही वजह है कि आज भी उनकी सीख प्रासंगिक है.