ETV Bharat / city

SPECIAL : जयपुर के ढींढ़ा गांव में स्वास्थ्य केंद्र की इमारत नई...स्टाफ नहीं, गेट पर ताला, 20KM दूर जाकर इलाज कराते हैं ग्रामीण

कोरोना संकट के दौर में हम आपको गांवों की Ground Report दिखा रहे हैं. दावे तो तमाम किये जाते हैं लेकिन इन दावों की हकीकत धरातल पर कुछ और है. राजधानी जयपुर की ग्राम पंचायत ढींढ़ा के उप स्वास्थ्य केंद्र पर हमें ताला लटका मिला. एएनएम अनुपस्थित थी. ग्रामीण कहते हैं कि केंद्र 5-6 महीनों में कभी कभार ही खुलता है.

Health facilities in villages of Rajasthan
गांव की Ground Report
author img

By

Published : May 25, 2021, 5:22 PM IST

ढींढा (जयपुर). कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में कहर बरपा रही है. चिकित्सा महकमा और सरकार हालात काबू में होने की बात कह रहे हैं. लेकिन दवा और दावों में दिन रात का फर्क है. कोरोना संकट से जूझ रहे गांवों में न घर बैठे जांच हो रही है और न ही दवा का इंतजाम हो रहा है. 10-12 हजार की आबादी के गांव को चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने वाले उप स्वास्थ्य केंद्रों का हाल बुरा है.

ढींढा गांव की ग्राउंड रिपोर्ट

ईटीवी भारत की टीम जयपुर जिले के गांवों में पहुंची तो चौंकाने वाले हालात सामने आए. जिले की ढींढ़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र बंद मिला. अस्पताल के मुख्यद्वार पर ताला था. जबकि अंदर स्थित तीन कमरों पर भी ताले जड़े थे. इन कमरों के दरवाजों पर मकड़ी के जाले बता रहे थे कि ये दरवाजे कई दिनों से खुले नहीं हैं.

Health facilities in villages of Rajasthan
वेलनेस कक्ष पर मकड़ी का जाला

कर्मचारियों की ड्यूटी का चार्ट नदारद

उप स्वास्थ्य केंद्र के अहाते में उगी कंटीली झाड़ियां और घास-फूस से सहज अंदाज लगता था कि भवन कई दिनों से बंद है. यहां तक कि अस्पताल में कौन कर्मचारी ड्यूटी पर है, इसका कोई बोर्ड या कर्मचारी का मोबाइल नंबर भी नहीं मिला. ऐसे में इमरजेंसी होने पर ग्रामीणों के पास ऐसा विकल्प भी नहीं है कि वे किसी स्वास्थ्यकर्मी को कॉल कर सकें.

पढ़ें- SPECIAL : कोटा के ग्रामीण इलाकों में कोरोना विस्फोट का खतरा...ग्रामीण नहीं हैं जागरूक, RT-PCR जांच की सुविधा तक नहीं

खुले में पड़ी मिली दवाइयां

अस्पताल भवन में गंदगी पसरी पड़ी है. भवन के पीछे कई दवाइयां भी खुले में ही फेंकी हुई दिखी. ढींढ़ा गांव के ग्रामीणों तक को ये पता नहीं है कि अस्पताल में तैनात कर्मचारियों के नाम और नंबर क्या हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि ढींढ़ा ग्राम पंचायत में ढींढ़ा के अलावा भगवतपुरा, चांदसिंहपुरा और चंदेरियों की ढाणी आते हैं. जिनकी करीब 10-12 हजार की आबादी उपचार के लिए ढींढ़ा के उपस्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है. लेकिन अस्पताल खुद बीमार पड़ा है.

Health facilities in villages of Rajasthan
खुले में पड़ी दवाइयां

गांव में कोरोना के लक्षण वाले मरीज

उपस्वास्थ्य केंद्र पर तैनात एक महिला एएनएम कई दिनों से अस्पताल नहीं आ रही है. ऐसे में मरीजों को उपचार के लिए फुलेरा, बिचून या अन्य स्थान पर जाना पड़ता है. बताया जा रहा है कितना पिछले करीब डेढ़ महीने में इन चार गांवों में 10-12 लोगों की मौत हो चुकी है. ढींढ़ा गांव के रहने वाले घीसालाल सैन बताते हैं कि गांव में घर-घर में कोरोना जैसे लक्षण वाली बीमारियों के मरीज हैं. लेकिन अस्पताल बंद होने से उन्हें उपचार नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों को मामूली सर्दी जुकाम होने पर भी उपचार के लिए फुलेरा, जोबनेर, बोबास या बिचून जाना पड़ता है.

Health facilities in villages of Rajasthan
नया भवन लेकिन स्टाफ नहीं

लॉकडाउन के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने से भी गांव के लोगों को परेशानी हो रही है. उपचार के लिए 20 किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र पर जाने के लिए उन्हें निजी वाहन चालकों को मुंहमांगा किराया देना पड़ता है. इसके चलते कई ग्रामीण तो उपचार के लिए जाना ही टाल देते हैं. ढींढ़ा अस्पताल में स्टाफ नहीं होने से सरकार के घर-घर सर्वे और घर पर ही दवा वितरण के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

पढ़ें- गांव की ग्राउंड रिपोर्ट : कोरोना वैक्सीन नहीं लगवा रहे आदिवासी, जानिए क्यों?

घर-घर सर्वे अभियान गति नहीं पकड़ पा रहा

ढींढ़ा गांव के निवासी एडवोकेट सुरेश शर्मा का कहना है कि कई लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. कई लोग हैं जिनकी कोविड संबंधी जांच नहीं हो पाई है. अस्पताल में स्टाफ नहीं होने के कारण डोर टू डोर सर्वे, रेपिड एंटीजन टेस्ट से कोरोना जांच और कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीजों को घर पर ही दवा देकर उपचार करने जैसे अभियान गांव में गति नहीं पकड़ सके हैं.

एएनएम खुद बीमार है...

ढींढ़ा सब सेंटर बोबास पीएचसी के अधीन आता है. यहां के प्रभारी राजेंद्र हरितवाल का कहना है कि ढींढ़ा अस्पताल में जो एएनएम तैनात है. वह खुद अभी बीमार है और अवकाश पर है. अन्य उप स्वास्थ्य केंद्र से सप्ताह में दो दिन के लिए एएनएम को ढींढ़ा अस्पताल में लगाने की व्यवस्था की जा रही है.

बड़ा सवाल ये है कि एक तरफ कई गांवों के अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ होते हुए भी कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में सफलता नहीं मिल पा रही है. दूसरी तरफ सप्ताह में दो दिन के लिए एएनएम लगाकर इस इलाके में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों पर कैसे काबू पाया जा सकेगा.

ढींढा (जयपुर). कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में कहर बरपा रही है. चिकित्सा महकमा और सरकार हालात काबू में होने की बात कह रहे हैं. लेकिन दवा और दावों में दिन रात का फर्क है. कोरोना संकट से जूझ रहे गांवों में न घर बैठे जांच हो रही है और न ही दवा का इंतजाम हो रहा है. 10-12 हजार की आबादी के गांव को चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने वाले उप स्वास्थ्य केंद्रों का हाल बुरा है.

ढींढा गांव की ग्राउंड रिपोर्ट

ईटीवी भारत की टीम जयपुर जिले के गांवों में पहुंची तो चौंकाने वाले हालात सामने आए. जिले की ढींढ़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र बंद मिला. अस्पताल के मुख्यद्वार पर ताला था. जबकि अंदर स्थित तीन कमरों पर भी ताले जड़े थे. इन कमरों के दरवाजों पर मकड़ी के जाले बता रहे थे कि ये दरवाजे कई दिनों से खुले नहीं हैं.

Health facilities in villages of Rajasthan
वेलनेस कक्ष पर मकड़ी का जाला

कर्मचारियों की ड्यूटी का चार्ट नदारद

उप स्वास्थ्य केंद्र के अहाते में उगी कंटीली झाड़ियां और घास-फूस से सहज अंदाज लगता था कि भवन कई दिनों से बंद है. यहां तक कि अस्पताल में कौन कर्मचारी ड्यूटी पर है, इसका कोई बोर्ड या कर्मचारी का मोबाइल नंबर भी नहीं मिला. ऐसे में इमरजेंसी होने पर ग्रामीणों के पास ऐसा विकल्प भी नहीं है कि वे किसी स्वास्थ्यकर्मी को कॉल कर सकें.

पढ़ें- SPECIAL : कोटा के ग्रामीण इलाकों में कोरोना विस्फोट का खतरा...ग्रामीण नहीं हैं जागरूक, RT-PCR जांच की सुविधा तक नहीं

खुले में पड़ी मिली दवाइयां

अस्पताल भवन में गंदगी पसरी पड़ी है. भवन के पीछे कई दवाइयां भी खुले में ही फेंकी हुई दिखी. ढींढ़ा गांव के ग्रामीणों तक को ये पता नहीं है कि अस्पताल में तैनात कर्मचारियों के नाम और नंबर क्या हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि ढींढ़ा ग्राम पंचायत में ढींढ़ा के अलावा भगवतपुरा, चांदसिंहपुरा और चंदेरियों की ढाणी आते हैं. जिनकी करीब 10-12 हजार की आबादी उपचार के लिए ढींढ़ा के उपस्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है. लेकिन अस्पताल खुद बीमार पड़ा है.

Health facilities in villages of Rajasthan
खुले में पड़ी दवाइयां

गांव में कोरोना के लक्षण वाले मरीज

उपस्वास्थ्य केंद्र पर तैनात एक महिला एएनएम कई दिनों से अस्पताल नहीं आ रही है. ऐसे में मरीजों को उपचार के लिए फुलेरा, बिचून या अन्य स्थान पर जाना पड़ता है. बताया जा रहा है कितना पिछले करीब डेढ़ महीने में इन चार गांवों में 10-12 लोगों की मौत हो चुकी है. ढींढ़ा गांव के रहने वाले घीसालाल सैन बताते हैं कि गांव में घर-घर में कोरोना जैसे लक्षण वाली बीमारियों के मरीज हैं. लेकिन अस्पताल बंद होने से उन्हें उपचार नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों को मामूली सर्दी जुकाम होने पर भी उपचार के लिए फुलेरा, जोबनेर, बोबास या बिचून जाना पड़ता है.

Health facilities in villages of Rajasthan
नया भवन लेकिन स्टाफ नहीं

लॉकडाउन के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने से भी गांव के लोगों को परेशानी हो रही है. उपचार के लिए 20 किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र पर जाने के लिए उन्हें निजी वाहन चालकों को मुंहमांगा किराया देना पड़ता है. इसके चलते कई ग्रामीण तो उपचार के लिए जाना ही टाल देते हैं. ढींढ़ा अस्पताल में स्टाफ नहीं होने से सरकार के घर-घर सर्वे और घर पर ही दवा वितरण के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

पढ़ें- गांव की ग्राउंड रिपोर्ट : कोरोना वैक्सीन नहीं लगवा रहे आदिवासी, जानिए क्यों?

घर-घर सर्वे अभियान गति नहीं पकड़ पा रहा

ढींढ़ा गांव के निवासी एडवोकेट सुरेश शर्मा का कहना है कि कई लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. कई लोग हैं जिनकी कोविड संबंधी जांच नहीं हो पाई है. अस्पताल में स्टाफ नहीं होने के कारण डोर टू डोर सर्वे, रेपिड एंटीजन टेस्ट से कोरोना जांच और कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीजों को घर पर ही दवा देकर उपचार करने जैसे अभियान गांव में गति नहीं पकड़ सके हैं.

एएनएम खुद बीमार है...

ढींढ़ा सब सेंटर बोबास पीएचसी के अधीन आता है. यहां के प्रभारी राजेंद्र हरितवाल का कहना है कि ढींढ़ा अस्पताल में जो एएनएम तैनात है. वह खुद अभी बीमार है और अवकाश पर है. अन्य उप स्वास्थ्य केंद्र से सप्ताह में दो दिन के लिए एएनएम को ढींढ़ा अस्पताल में लगाने की व्यवस्था की जा रही है.

बड़ा सवाल ये है कि एक तरफ कई गांवों के अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ होते हुए भी कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में सफलता नहीं मिल पा रही है. दूसरी तरफ सप्ताह में दो दिन के लिए एएनएम लगाकर इस इलाके में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों पर कैसे काबू पाया जा सकेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.