जयपुर. प्रदेशभर के शराब ठेकेदारों (Liquor contractors) ने अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर शहीद स्मारक पर अर्धनग्न होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने शहीद स्मारक से सीएम आवास तक पैदल मार्च निकाला. हालांकि पुलिस ने शराब ठेकेदारों को रोक लिया. शराब ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) से मुलाकात नहीं होने पर प्रदेश भर में सीएम की यात्राओं का विरोध करने की चेतावनी दी है.
शराब ठेकेदारों का कहना है कि पिछले 2 महीने से आंदोलन कर रहे हैं. आबकारी अधिकारी समस्याओं को सुलझाने की बजाय ठेकेदारों में डर पैदा कर रहे हैं. कोरोना महामारी और अतिवृष्टि के कारण आई आर्थिक मंदी के कारण उद्योग-धंधे चौपट हो गए. लोगों की जेबें खाली हो गईं. ऐसे हालातों में शराब की बिक्री 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है. सरकार मौजूदा हालतों को समझ नहीं पा रही है. इन परिस्थितियों में भी ठेकेदारों पर जबरदस्ती ज्यादा शराब बेचने का दबाव बनाया जा रहा है. आबकारी विभाग की ओर से अनुचित दबाव बनाकर शराब उठाव के नाम पर ठेकेदारों को शराब तस्कर बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
राजस्थान लिकर कॉन्ट्रेक्टर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष पंकज धनखड़ ने बताया कि आर्थिक मंदी के कारण और कोरोना की वजह से सभी के हालात खराब हुए हैं. शराब ठेकेदारों पर भी कर्जा हो गया है. लेकिन आबकारी विभाग की ओर से शराब उठाने का दबाव बनाया जा रहा है. प्रदेश भर के शराब ठेकेदारों पर टारगेट पूरा नहीं करने से 700 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई जा चुकी है. आबकारी अधिकारी शराब ठेकेदारों से चेक साइन करवा कर ले रहे हैं. यहां तक कि जमीन नीलामी के भी नोटिस दिए जा रहे हैं. शराब ठेकेदार पिछले 2 महीने से सरकार को चेता रहे हैं. लेकिन सरकार शराब ठेकेदारों की पीड़ा को समझ नहीं पा रही है. इन तमाम समस्याओं को लेकर प्रदेश भर के शराब ठेकेदारों ने अर्धनग्न प्रदर्शन कर सरकार को चेतावनी देने की कोशिश की है. मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास किया जाएगा. अगर मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो पाएगी तो उनके झुंझुनू दौरे पर काले झंडे दिखाकर विरोध जताया जाएगा. पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री की यात्रा का विरोध किया जाएगा.
पढ़ें: Panchayat Sahayak Warns Government: नहीं मानी मांग तो सड़क पर उतरेंगे सभी संविदाकर्मी
शराब ठेकेदार अशोक बालोटिया ने बताया कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि हम शराबबंदी के पक्ष में हैं. लेकिन आबकारी अधिकारी ज्यादा से ज्यादा शराब बिकवा रहे हैं. शराब ठेकेदार घर-घर जाकर जबरन कैसे शराब बेच पाएंगे. जब मुख्यमंत्री शराबबंदी के पक्ष में हैं तो शराब ठेकेदारों पर ज्यादा शराब बेचने के लिए जबरदस्ती क्यों की जा रही है?
ये हैं शराब ठेकेदारों की 10 सूत्रीय मांगे
शराब ठेकेदारों की इन 10 सूत्रीय मांगों में इस वर्ष शराब ठेकों में गारंटी की बाध्यता समाप्त करना, कंपोजिट फीस को हटाना, राइडर हटाना, एक मुस्त परमिट फीस लेना, अंग्रेजी शराब में बिलिंग पर कमीशन 24 प्रतिशत करना, ठेकों का समय सुबह 10 से रात 10 बजे तक करना जैसी मांगे शामिल हैं. इनके अलावा ठेकेदारों की मांग है कि देसी शराब में डीएलएफ को एक्साइज में सम्मिलित किया जाए. अंग्रेजी शराब में पेनल्टी पिछले वित्त वर्ष की भांति बियर पर 10 रुपए प्रति बल्क लीटर और आईएमएफएल में 20 रुपए प्रति बल्क लीटर किया जाए. आरएसबीसीएल और आरटीडीसी की तर्ज पर जो भी अनुज्ञाधारी दुकान छोड़ना चाहे, उनको दुकान छोड़ने की अनुमति दी जाए. जिन अनुज्ञाधारियों से डरा धमका कर चेक लिए हैं, वह वापस दिए जाएं.
राजस्थान लिकर कॉन्ट्रेक्टर यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने बताया कि प्रदेशभर के शराब ठेकेदार दोगली आबकारी नीति से परेशान हैं. आबकारी नीति में सुधार और शराब व्यवसाय को बचाने के लिए सभी ठेकेदार एकत्रित हुए हैं. शराब ठेकेदार आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. शराब ठेकेदारों के परिवारों के उजड़ने की नौबत आ गई है.