जयपुर. हथियार रखना स्टेटस सिंबल बन रहा है. जिसके चलते ऐसे लोग भी हथियार के लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं जिन्हें इसकी जरूरत नहीं होती. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि आवेदन करने वाले हर व्यक्ति को हथियार का लाइसेंस मिल जाता है. जयपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश बता रहे हैं आर्म्स लाइसेंस के बारे में अहम बातें...
आवेदन कर्ता की पूरी प्रोफाइल को पुलिस खंगालती है. इसके साथ ही विभिन्न विभागों से आवेदन कर्ता की पूरी जानकारी जुटाने के बाद ही यह निर्णय लिया जाता है कि उसे आर्म्स लाइसेंस जारी किया जाना चाहिए या नहीं. यही कारण है कि आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले आवेदन कर्ताओं में से महज 10% से भी कम लोगों को ही आर्म्स लाइसेंस जारी किए जाते हैं. राजस्थान में अब तक तकरीबन 1 लाख 75 हजार के करीब लोगों को आर्म्स लाइसेंस जारी किए गए हैं.
एडिशनल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने बताई जरूरी बातें
आर्म्स लाइसेंस के लिए किस प्रकार से आवेदन किया जाता है और किस प्रकार से आर्म्स लाइसेंस को जारी किया जाता है, इस पूरी प्रक्रिया को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने एडिशनल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश मिली. एडिशनल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने बताया कि आर्म्स लाइसेंस के लिए अब आवेदन कर्ता को ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी गई है.
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जिसके तहत अब आर्म्स लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है और आवेदन कर्ता को इसके लिए संबंधित विभाग में जाने की आवश्यकता नहीं है. आवेदन कर्ता चाहे तो स्वयं अपने स्तर पर या फिर ई मित्र के जरिए आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है.
'ऑनलाइन अपलोड करनी होती है एप्लीकेशन'
आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को ऑनलाइन एप्लीकेशन अपलोड करनी होती है. ऑनलाइन एप्लीकेशन अपलोड करने के बाद उसका एक प्रिंट निकाल कर संबंधित कार्यालय में जमा कराना होता है. प्रदेश में जयपुर और जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में आर्म्स लाइसेंस जारी करने का अधिकार पुलिस कमिश्नर को है तो वहीं अन्य जिलों में आर्म्स लाइसेंस जारी करने का अधिकार जिला कलेक्टर को है.
'क्रिमिनल रिकॉर्ड है तो नहीं मिलेगा लाइसेंस'
आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को संबंधित कार्यालय में दस्तावेज जमा करवाने होते हैं. फिर उसके बाद उन दस्तावेजों की पूरी जांच की जाती है. इसके साथ ही आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति के बैकग्राउंड को जांचा जाता है. आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड तो नहीं है, इसके साथ ही विभिन्न विभागों से भी उस व्यक्ति के बारे में रिपोर्ट मांगी जाती है.
'जीवन या संपत्ति की रक्षा के लिए आर्म्स लाइसेंस'
व्यक्ति जिस जिले में रहने वाला है उस जिले के संबंधित थाने से भी रिपोर्ट मांगी जाती है और तमाम रिपोर्ट आने के बाद उनका विश्लेषण किया जाता है. उसके बाद ही उन कारणों का परीक्षण किया जाता है जिन का हवाला देकर आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है. यदि संबंधित विभाग को यह लगता है कि जीवन की रक्षा करने के लिए या संपत्ति की रक्षा करने के लिए आवेदन कर्ता को आर्म्स लाइसेंस जारी करना आवश्यक है तभी उसे आर्म्स लाइसेंस जारी किया जाता है.
'शिकायत आई तो आर्म्स लाइसेंस रद्द'
आर्म्स लाइसेंस धारक किसी व्यक्ति के खिलाफ यदि कोई शिकायत प्राप्त होती है तो उस शिकायत की जांच की जाती है. यदि धारक हथियार का अपराधिक गतिविधियों में प्रयोग कर रहा है, किसी को डराने धमकाने के लिए हथियार का प्रयोग कर रहा है तो ऐसी स्थिति में उस धारक का आर्म्स लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है.
'सोशल मीडिया पर हथियार का दिखावा किया तो लाइसेंस रद्द'
यदि कोई धारक महज दिखावा करने के लिए सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो अपलोड करता है या फिर गैरकानूनी तरीके से हथियारों को प्रदर्शित करता है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए उनके आर्म्स लाइसेंस रद्द किए जाते हैं.
'केंद्र सरकार ने किया आर्म्स लाइसेंस में संशोधन'
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा आर्म्स लाइसेंस को लेकर एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है. जिसके तहत अब एक आर्म्स लाइसेंस पर धारक दो ही हथियार अपने पास रख सकता है. संशोधन से पूर्व एक आर्म्स लाइसेंस पर धारक को तीन हथियार रखने की अनुमति प्राप्त थी. संशोधन के बाद जिन लोगों के पास तीन हथियार थे उन्होंने अब अपने पास दो ही हथियार रखे हैं. एक अतिरिक्त हथियार को या तो उन्होंने बेच दिया है या किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया है या फिर शस्त्रागार में जमा करवा दिया है.
हालांकि स्टेट और नेशनल लेवल के ऐसे खिलाड़ी जो शूटिंग की अलग-अलग स्पर्धाओं में भाग लेते हैं. उन्हें एक आर्म्स लाइसेंस पर 3 या 3 से अधिक हथियार रखने की अनुमति प्राप्त है.