जयपुर. इसे अजब संयोग ही कहेंगे कि जयपुर नगर निगम के पिछले 6 बोर्ड में केवल दो महापौर ऐसे हैं, जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है. मोहन लाल गुप्ता और ज्योतिखंडेलवाल को छोड़ दिया जाए तो निर्वाध रूप से किसी भी महापौर ने 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया. अब तक बने 6 बोर्ड में 14 महापौर बन चुके हैं. पांचवें बोर्ड में चार मर्तबा महापौर के चेहरे बदले.
मोहन लाल गुप्ता (1994-1999) : मोहन लाल गुप्ता जयपुर के पहले मेयर बने, जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
निर्मला वर्मा और शील धाभाई (1999-2004) : 1999 में भाजपा ने निर्मला वर्मा को मेयर बनाया. मेयर के कार्यकाल के दौरान ही वर्मा की मौत हो गई. जिसके बाद उनकी जगह शील धाभाई को जयपुर मेयर चुना गया.
अशोक परनामी और पंकज जोशी (2004-2009) : अशोक परनामी 2004 से 2008 तक जयपुर के मेयर रहे. आदर्श नगर से परनामी के विधायक निर्वाचित होने के बाद तत्कालीन डिप्टी मेयर पंकज जोशी को जयपुर मेयर चुना गया.
ज्योति खंडेलवाल (2009-2014) : 2009 में पहली मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल को जनता ने सीधे मेयर के रूप में चुना.
निर्मल नाहटा, अशोक लाहोटी, मनोज भारद्वाज और विष्णु लाटा (2014-2019) : 2014 में हुए चुनाव के बाद भाजपा के निर्मल नाहटा जयपुर के सातवें मेयर निर्वाचित हुए. अंदरूनी राजनीति के चलते दिसंबर 2016 में नाहटा को मेयर पद से हटाकर अशोक लाहोटी को मेयर बना दिया. वर्ष 2018 में सांगानेर से विधायक निर्वाचित होने के बाद लाहोटी ने मेयर पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने कार्यवाहक महापौर के तौर पर दायित्व संभाला. हालांकि, जनवरी 2019 में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े विष्णु लाटा कांग्रेस के सहयोग से जयपुर के मेयर बने.
शील धाभाई कभी नहीं रहीं बीजेपी की पहली पसंद : 1999 में भाजपा ने निर्मला वर्मा को मेयर बनाया. मेयर के कार्यकाल के दौरान ही वर्मा की मौत हो गई. जिसके बाद उनकी जगह शील धाभाई को जयपुर मेयर चुना. वहीं, ग्रेटर निगम के इस बोर्ड में धाभाई दूसरी बार महापौर बनीं हैं. पहले 7 जून 2021 से 1 फरवरी 2022 तक 8 महीने तक कार्यवाहक मेयर रही हैं. ये दूसरा मौका है, जब वह महापौर की कुर्सी पर बैठी हैं. वहीं, आज भी जब धाभाई मेयर की कुर्सी पर बैठीं, तब बीजेपी के कोई भी वरिष्ठ पदाधिकारी यहां मौजूद नहीं रहे.
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दिवाली से पहले रोशन और स्वच्छ होगा जयपुर : कार्यवाहक महापौर के तौर पर (Acting mayor of Greater Nagar Nigam Jaipur) 60 दिन के लिए भाजपा पार्षद शील धाभाई ने बुधवार यानी 28 सितंबर को ग्रेटर निगम के मेयर की कुर्सी संभाल. महापौर की कुर्सी संभालने के साथ शील धाभाई ने कहा कि जयपुर शहर को आज जो सबसे बड़ी समस्या आ रही है, वो बारिश की वजह से सड़कें टूटना, लाइट खराब होना, सीवरेज भरा होना है. ऐसे में प्राथमिकता रहेगी कि सबसे पहले सफाई व्यवस्था सुचारू हो जाए. दिवाली से पहले सारी गलियां चमचमा जाएं. जिस तरह से परकोटा रोशन है, उसी तरह से जयपुर का बाहरी क्षेत्र भी रोशन हो.
वहीं, अधिकारियों से ट्यूनिंग बैठाने के सवाल पर महापौर ने कहा कि उनकी अब तक जितने भी कमिश्नर रहे हैं, सभी से पटरी बैठी है. वर्तमान कमिश्नर तो उनके पिछले कार्यकाल में डीसी हेड क्वार्टर रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी बीते दिनों गुजरे 8 महीने के कार्यकाल में उनके साथ खड़ी रही. उन्होंने बीजेपी के प्रदेश पदाधिकारियों और विधायकों का नाम लेते हुए कहा कि सभी का सहयोग रहा. उन्होंने महापौर को लेकर किस्मत कनेक्शन के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चाहे परमानेंट हो या चाहे कार्यवाहक पद हो, उनका उद्देश्य ही है कि जितना समय मिले उसमें शहर के विकास में लगाएं.
उन्होंने कहा कि वो हमेशा से बीजेपी का चेहरा रही हैं. आज भी मेयर की कुर्सी पर बीजेपी की तरफ से ही बैठी हैं. उन्होंने पार्षदों में होने वाली गुटबाजी बात को सिरे से खारिज किया. और एजेंडा तय होने के साथ ही समय-समय पर ईसी की मीटिंग करने की बात कही. इस दौरान उन्होंने कहा कि निगम के पास (Kismat Connection of Sheel Dhabhai) जो भी फंड होगा वो वार्डों के विकास को लेकर आवंटित कर दिया जाएगा. प्रयास रहेगा कि निगम के सोर्सेस बढ़े. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि पिछली मर्तबा की तरह इस बार दावे नहीं, लेकिन विश्वास से कह सकती हैं कि पार्षदों के लिए जो भी कोटा तय होगा, उसे पूरा किया जाएगा.
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इस दौरान उपमहापौर पुनीत कर्णावट और कई चेयरमैन भी महापौर को बधाई देने के लिए मौजूद रहे. यहां पत्रकारों से बातचीत में कर्णावट ने सबसे पहले सौम्या गुर्जर के नाम को महापौर कार्यालय के बाहर चाकू से कुरेद कर हटाने पे आपत्ति जताते हुए, संबंधित अधिकारी/कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. साथ ही कहा कि राज्य सरकार पहले दिन से ग्रेटर नगर निगम के बोर्ड को पचा नहीं पा रही. बार-बार इसे अस्थिर करने की कोशिश करती रही, लेकिन निगम का बोर्ड भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति के अनुरूप ही चलेगा.
शील धाभाई बीजेपी की पुरानी, अनुभवी और परखी हुई कार्यकर्ता हैं. पहले सौम्या गुर्जर के नेतृत्व में (Somya Gurjar Controversy) जयपुर की जनता की सेवा की हैं, अब शील धाभाई के नेतृत्व में इस काम को आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि ये संकटकाल बहुत थोड़े समय का है, ये कांग्रेस का जाता हुआ राज है. चूंकि इस बार महापौर को बर्खास्त किया गया है, ऐसे में चुनाव होना भी तय है. इस पर उपमहापौर ने स्पष्ट कहा कि ये निर्णय अंतिम नहीं है. इस मुद्दे को उचित फोरम पर उठाया जाएगा.