जयपुर. लोकसभा और राज्यसभा में पारित हुए केंद्रीय कृषि बिल, जो अब कानून बन चुके हैं उस पर सियासी उबाल जारी है. पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी इन कृषि बिल के विरोध में विधानसभा में विधेयक लाने का प्रदेश की गहलोत सरकार एलान कर चुकी है और अब इस संबंध में 31 अक्टूबर को राजस्थान विधानसभा का सत्र भी बुलाया गया है. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल प्रदेश सरकार प्रतिभा जुबानी हमला बोला है.
ईटीवी भारत संवाददाता ने इन दोनों ही प्रमुख नेताओं से मौजूदा विधानसभा सत्र और इसमें लाए जाने वाले विधेयकों को लेकर खास बात की. जिसमें दोनों ही नेताओं ने प्रदेश की गहलोत सरकार के इस कदम का तीखा विरोध किया. नेताजी गुलाबचंद कटारिया के अनुसार यदि सदन में इन बिलों के विरोध में राजस्थान सरकार कोई विधेयक लेकर आएगी तो भाजपा उसका विरोध भी करेगी.
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साथ ही सदन में सरकार से यह भी पूछेगी कि आखिर कैंडी क्रश ब्लू में किस बिंदु पर प्रदेश सरकार और कांग्रेस को आपत्ति है, उसका भी जिक्र करें. कटारिया के अनुसार केंद्र सरकार पहली बार किसानों की मांग पर उनके खेत के लिए ऐतिहासिक कानून ने कराई जिसमें किसानों को अपने उत्पाद कहीं पर भी बेचने की छूट होगी. वहीं मौजूदा कानून में एमएसपी को लेकर कोई विरोधाभास नहीं है, लेकिन कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है.
संविधान में दिए प्रावधानों का अध्ययन करें गहलोत सरकार
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि मौजूदा प्रश्न बिल के विरोध में पंजाब सरकार जो बिल लेकर आए वह भी महज दिखावा था. क्योंकि उसमें धान और गेहूं को एमएसपी पर खरीदने की बात कही. जबकि यह खरीद एफसीआई के जरिए केंद्र सरकार करती आई है. यदि पंजाब सरकार इतनी ही किसानों की हितैषी थी, तो सभी जींसों को एमएसपी पर खरीदने का कानून बनाती.
मेघवाल के अनुसार केंद्रीय कानून संविधान में प्रदत्त शक्तियों के अनुसार ही बनाए गए हैं और यदि राज्य को इस पर आपत्ति है, तो कोई भी कदम उठाने से पहले राज्य सरकारों को संविधान में प्रदत्त अधिकार और शक्तियों की जानकारी ले लेना चाहिए. मेघवाल के अनुसार केवल अपने आलाकमान को खुश करने के लिए विधानसभा में ये सत्र ला रहे हैं.