जयपुर. कोरोना वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार प्रदेश में सियासत का विषय बना हुआ है. हाल ही में वैक्सीनेशन में अव्यवस्थाओं के कारण बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताने संबंधी प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के बयान पर पूर्व चिकित्सा मंत्री और भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने आपत्ति जताई है. सराफ ने मंत्री रघु शर्मा के इस बयान को बेहद बचकाना और गैर जिम्मेदाराना करार दिया है.
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कालीचरण सराफ ने एक बयान जारी कर कहा कि अपनी जवाबदेही से बचने के लिए हर बात का दोष केंद्र सरकार पर मढ़ कर जनता को भड़काने की कोशिश करने के उद्देश्य से दिया गया राज्य के जिम्मेदार मंत्री का यह वक्तव्य अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. सराफ ने कहा कि कोरोना महामारी के प्रारम्भिक दौर से ही कांग्रेस पार्टी के नेताओं की भूमिका बहुत ही नकारात्मक रही है.
लॉकडाउन पर पहले कहा कि राज्यों पर छोड़ना चाहिए, अब कहते हैं कि केंद्र को एकरूपता से पूरे देश में लॉकडाउन लगाना चाहिए. वैक्सीन के बारे में कांग्रेस नेताओं ने शुरू से पूरे देश को भ्रमित करने का काम किया है. पहले कहा कि देश में कब वैक्सीन आएगी और जब आ गई तो उस पर सवाल खड़े करके पूरे देश में वैक्सीन के खिलाफ डर व भ्रम का माहौल बनाने की कोशिश की.
महामारी संकट के दौर में कांग्रेस पार्टी ने जनता को राहत पहुंचाने के काम को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं. सरकारी कुप्रबंधन के कारण ऑक्सीजन, वेंटिलेटर्स, इंजेक्शन व बेड्स तक की कालाबाजारी राज्य में चरम पर है. इलाज की कमी के कारण प्रदेश में प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों की मौत हो रही है.
सराफ ने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर भी राज्य सरकार प्रारम्भ से ही लापरवाह रही है. वैक्सीनेशन के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. हैरत की बात तो यह है कि केंद्र से प्रारम्भ में आवंटित वैक्सीन की लाखों डोज बर्बाद कर दी गईं और लाखों डोज वापस भिजवा दी गईं.
केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया तो उसके विकेंद्रीकरण की मांग की और जब प्रबंधन करने में विफल हो गए तो राज्य के मंत्री, मुख्यमंत्री बार-बार केंद्र पर दोषारोपण करने में लगे हैं. प्रदेश में 45+ वर्ष के लोगों को पहली डोज लगाते वक्त राज्य सरकार ने दावा किया था कि दूसरी डोज के लिए पर्याप्त वैक्सीन सुरक्षित रखी जाएंगी, लेकिन नहीं रखी जिससे निश्चित समयावधि में दूसरी डोज लगवाने के लिए लाखों लोग भटकते फिर रहे हैं.
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संक्रमण के दौर में जनता को सुविधाएं उपलब्ध करवाने में नाकाम और प्रदेश में टीकाकरण अभियान में खामियां सार्वजनिक रूप से उजागर होने के बाद तुरंत ऑर्डर देने की बात कर रही है और सप्लाई नहीं मिलने के लिए केंद्र को जिम्मेदार बता रही है. जबकि वास्तविकता यह है कि वैक्सीन की उपलब्धता और टीकाकरण के बारे में राज्य सरकार शुरू से कन्फ्यूज्ड रही है.
सराफ ने कहा कि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के अनुसार प्रदेश की कानून व्यवस्था के लिए यदि केंद्र जिम्मेदार है तो फिर राज्य सरकार की क्या आवश्यकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 महीने पूर्व ही मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग में आगाह करते हुए कहा था कि ग्रामीण इलाकों में संक्रमण को फैलने से रोकने एवं उससे निपटने के लिए राज्य सरकारों को सावधान रहकर पूर्व नियोजित योजनाएं बनानी चाहिए. लेकिन राजस्थान सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और इस दिशा में कोई काम नहीं किया. सरकारी कुप्रबंधन के कारण राहत नहीं मिलने से क्षुब्ध प्रदेश की जनता में राज्य सरकार के प्रति आक्रोश व्याप्त है.
सराफ ने कहा कि कोरोना प्रबंधन में फेल हो चुकी राज्य सरकार की ओर से टीकाकरण में भी भयंकर धांधली की जा रही है. ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन के नाम पर सामान्य इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं जो कि अत्यंत चिंताजनक बात है. राज्य सरकार के प्रति जनता की नाराजगी से प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है. सराफ ने आगे कहा कि महामारी के संकटकाल में अपनी गलतियों का प्रायश्चित करने के लिए राज्य सरकार को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए और जवाबदेही लेते हुए लोगों को राहत प्रदान करने के ईमानदारी से प्रयास करने चाहिए.