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BJP होर्डिंग्स विवाद : पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कैलाश नाथ भट्ट ने Facebook Post के जरिए किया कटाक्ष

भाजपा प्रदेश मुख्यालय के बाहर वसुंधरा राजे का होर्डिंग बदलने से जुड़े विवाद में अब पूर्व भाजपा नेता और प्रदेश प्रवक्ता रहे कैलाश नाथ भट्ट भी कूद गए हैं. भट्ट ने इस मामले में मंगलवार को फेसबुक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने वसुंधरा राजे का समर्थन किया, साथ ही प्रदेश नेतृत्व पर निशाना साधा.

राजस्थान में होर्डिंग विवाद
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Published : Jun 15, 2021, 10:56 PM IST

जयपुर. भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के बाहर लगे होर्डिंग्स में वसुंधरा राजे की तस्वीर ने होने के मामले में पूर्व भाजपा नेता कैलाश नाथ भट्ट ने वसुंधरा राजे का समर्थन किया है. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में सतीश पूनिया पर कटाक्ष किया.

गौरतलब है कि पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान कैलाश भट्ट की न केवल प्रदेश सरकार बल्कि संगठन में भी तूती बोला करती थी. वे लंबे समय तक भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रहे. वसुंधरा राजे के नजदीकी नेताओं में भी वे शामिल रहे हैं. लेकिन बाद में उन्हें पार्टी प्रदेश प्रवक्ता पद से इस्तीफा देना पडा था.

मंगलवार को भट्ट ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए एक पोस्ट डाला. पोस्ट में उन्होंने भाजपा मुख्यालय के बाहर लगे हॉर्डिंग और सतीश पूनिया के बयान की खबर की कटिंग डाली.

पढ़ें- BJP के नए होर्डिंग से वसुंधरा के गायब होने पर बोले सतीश पूनिया, कहा- ये प्रोटोकॉल का विषय है, सब दिल्ली से तय होता है

कैलाश नाथ भट्ट ने अपनी पोस्ट में लिखा कि...

पूनिया जी धन्यवाद, आपने केन्द्र के इस निर्णय से सभी को अवगत करवा दिया कि अब आप से ऊपर वाली पीढ़ी को निरर्थक सपने देखना बन्द कर देना चाहिये.

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व को कमजोर करने और उन्हें 1999 में चुनाव हारने के बाद हटाये जाने की कोशिशें की गईं. लेकिन हटाने वाले सफल नहीं हुए. जब भैरोसिहं शेखावत उप राष्ट्रपति निर्वाचित हुए तो राजस्थान में उनकी जगह कौन नेतृत्व करेगा, इसका निर्णय उन्होंने ही लिया और वसुन्धरा राजे को नेतृत्व दिया. राजस्थान में भाजपा सत्ता में आए इसके लिए वसुन्धरा या उनके द्वारा सुझाये गये नाम के अतिरिक्त कोई सत्ता में नहीं आ सकता. पार्टी के टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे. हम अपने बूते पर 25 लोकसभा सीट जितने वाले पहले ही 24 सीटों पर लड़कर अपने आपको कमजोर कर चुके हैं. फिर जैसी आलाकमान की इच्छा.

गौरतलब है कि सोमवार को ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने हार्डिंग में किस नेता का फोटो रहे, किसका ने रहे, इस मामले में साफ किया था कि यह सब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के प्रोटोकॉल और गाइडलाइन के तहत ही तय होता है. प्रदेश इकाइयों की ओर से नहीं.

जयपुर. भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के बाहर लगे होर्डिंग्स में वसुंधरा राजे की तस्वीर ने होने के मामले में पूर्व भाजपा नेता कैलाश नाथ भट्ट ने वसुंधरा राजे का समर्थन किया है. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में सतीश पूनिया पर कटाक्ष किया.

गौरतलब है कि पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान कैलाश भट्ट की न केवल प्रदेश सरकार बल्कि संगठन में भी तूती बोला करती थी. वे लंबे समय तक भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रहे. वसुंधरा राजे के नजदीकी नेताओं में भी वे शामिल रहे हैं. लेकिन बाद में उन्हें पार्टी प्रदेश प्रवक्ता पद से इस्तीफा देना पडा था.

मंगलवार को भट्ट ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए एक पोस्ट डाला. पोस्ट में उन्होंने भाजपा मुख्यालय के बाहर लगे हॉर्डिंग और सतीश पूनिया के बयान की खबर की कटिंग डाली.

पढ़ें- BJP के नए होर्डिंग से वसुंधरा के गायब होने पर बोले सतीश पूनिया, कहा- ये प्रोटोकॉल का विषय है, सब दिल्ली से तय होता है

कैलाश नाथ भट्ट ने अपनी पोस्ट में लिखा कि...

पूनिया जी धन्यवाद, आपने केन्द्र के इस निर्णय से सभी को अवगत करवा दिया कि अब आप से ऊपर वाली पीढ़ी को निरर्थक सपने देखना बन्द कर देना चाहिये.

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व को कमजोर करने और उन्हें 1999 में चुनाव हारने के बाद हटाये जाने की कोशिशें की गईं. लेकिन हटाने वाले सफल नहीं हुए. जब भैरोसिहं शेखावत उप राष्ट्रपति निर्वाचित हुए तो राजस्थान में उनकी जगह कौन नेतृत्व करेगा, इसका निर्णय उन्होंने ही लिया और वसुन्धरा राजे को नेतृत्व दिया. राजस्थान में भाजपा सत्ता में आए इसके लिए वसुन्धरा या उनके द्वारा सुझाये गये नाम के अतिरिक्त कोई सत्ता में नहीं आ सकता. पार्टी के टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे. हम अपने बूते पर 25 लोकसभा सीट जितने वाले पहले ही 24 सीटों पर लड़कर अपने आपको कमजोर कर चुके हैं. फिर जैसी आलाकमान की इच्छा.

गौरतलब है कि सोमवार को ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने हार्डिंग में किस नेता का फोटो रहे, किसका ने रहे, इस मामले में साफ किया था कि यह सब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के प्रोटोकॉल और गाइडलाइन के तहत ही तय होता है. प्रदेश इकाइयों की ओर से नहीं.

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