जयपुर. राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ की ओर से लोक अदालत का मानदेय देने में मनमर्जी का आरोप लगाते हुए इसके बहिष्कार का निर्णय लिया गया है. संघ ने घोषणा की है कि आगामी दस जुलाई को प्रस्तावित और भविष्य में होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के साथ ही मासिक लोक अदालत में कर्मचारी भाग नहीं लेंगे.
संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी ने बताया कि 23 फरवरी 1991 के आदेशानुसार हाईकोर्ट और अधीनस्थ अदालत के लिपिक वर्गीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को हर माह आयोजित होने वाली लोक अदालत के मानदेय के रूप में दो दिन के अतिरिक्त वेतन का भुगतान किया जाता है. वहीं अब राष्ट्रीय स्तर पर भी वर्ष में चार बार लोक अदालत आयोजित की जाती है. राष्ट्रीय लोक अदालत में विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से कुछ कर्मचारियों को ही भुगतान किया जाता है, जबकि इसमें सभी कर्मचारी काम करते हैं.
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इसके अलावा अधीनस्थ अदालतों में सभी मंत्रालयिक कर्मचारियों के अतिरिक्त अन्य कर्मचारी भी लोक अदालत में अपनी भूमिका निभाते हैं. इसलिए इन कर्मचारियों को भी मानदेय का भुगतान किया जाना चाहिए. संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि कई बार पूरी तैयारी होने के बाद लोक अदालत स्थगित कर दी जाती है, लेकिन उसका मानदेय कर्मचारियों को नहीं दिया जाता. ऐसे में निर्णय लिया गया है कि मासिक लोक अदालत के मानदेय का नियमित भुगतान सभी कर्मचारियों को देने के संबंध में स्पष्ट आदेश नहीं होने पर आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत का बहिष्कार किया जाएगा.