जयपुर. वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर सरकारी क्षेत्र की पांचों बिजली कंपनियों में तैनात कनिष्ठ अभियंताओं ने लगातार दूसरे दिन कार्य बहिष्कार कर जयपुर में महापड़ाव डाले (Work boycott for demands by JENs) रखा. हालांकि अभियंताओं का यह महापड़ाव विद्युत भवन से शिफ्ट होकर जगतपुरा क्षेत्र में जा पहुंचा. महापड़ाव का असर बिजली सप्लाई से लेकर आम उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान तक के कार्यों पर साफ नजर आने लगा है.
अभियंताओं के कार्य बहिष्कार के चलते ऊर्जा विभाग भी परेशानी में है और सहायक अभियंता से लेकर आला अफसर तक बिजली उत्पादन से लेकर सप्लाई तक की स्थिति संभालने में जुट गए. पावर इंजिनियर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के बैनर तले चल रहे इस महापड़ाव में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए अभियंता शामिल हैं. एसोसिएशन के महासचिव राहुल वर्मा ने बताया कि जब तक हमारी मांगों को पूरा करने को लेकर लिखित में जवाब नहीं मिलेगा, तब तक महापड़ाव जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि इस महापड़ाव में तीन हजार से अधिक कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं. इसके अलावा कुछ अभियंता जिलों में भी प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रदेश में बिजली कंपनियों में 5192 कनिष्ठ अभियंता हैं. दावा किया जा रहा है कि अधिकतर अभियंता कार्य बहिष्कार पर हैं. ऐसे में बिजली कंपनियों के रोजमर्रा के कामकाज पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है. वही अभियंताओं की मांगों पर अब तक ऊर्जा विभाग और सरकार ने कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं दिया है जिसके चलते यह महापड़ाव और लंबा खींचता नजर आ रहा (Demands of JENs) है. यहां आपको बता दें कि कनिष्ठ अभियंताओं का आरोप है कि वेतन विसंगति के चलते उनका समयबद्ध प्रमोशन नहीं हो पा रहा. जिसके चलते कनिष्ठ अभियंता कई सालों तक एक ही पद पर काम कर रहे हैं.