जयपुर. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन को सीता अष्टमी और जानती जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस बार जानकी जयंती 6 मार्च को है. ऐसे में इस दिन को सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है.
पढ़ें: राजस्थान आने से पहले इन 4 और राज्यों के लोगों को दिखानी होगी कोरोना रिपोर्ट...
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि 5 मार्च को अष्टमी तिथि का प्रारंभ रात करीब 8 बजे हो चुका है और उपवास व पूजन का दिन 6 मार्च तक रहेगा. ऐसे में शनिवार शाम 6.10 बजे से पहले शुभ मुहूर्त में माता सीता की विधिवत पूजा करें. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरी श्रद्धा भाव से व्रत करें. मान्यता है कि, इस दिन जो भी सुहागिन व्रत रखकर माता सीता की उपासना करती है. उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. सभी प्रकार की परेशानिया भी दूर हो जाती हैं.
इसके अलावा जिन कन्याओं के हाथ पीले नहीं हुए हैं, वह भी मनचाहे जीवन साथी के लिए जानकी जंयती का उपवास रख सकती हैं. इसके लिए व्रत रखने वाले को कल अलसुबह जल्दी स्नान आदि करके माँ सीता और प्रभु श्रीराम को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लेने के साथ व्रत शुरू करें. उसके बाद दोनों की विधिवत पूजा करें और हां उनसे पहले प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी व माता अंबिका की भी पूजा करना नहीं भूले. खासतौर पर इस दिन पीली चीजों का भोग, व्यंजन आदि में प्रयोग करें और फिर पूजा करके इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर व्रत का पारण करें.