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जयपुरः ई-ऑक्शन से सवा सौ करोड़ के राजस्व की प्राप्ति, अब किश्तों में भुगतान की प्रक्रिया पर भी किया जा रहा मंथन - जयपुर न्यूज

हाउसिंग बोर्ड की ओर से 30 सितंबर से शुरू हुए ई-ऑक्शन के जरिए अब तक 770 फ्लैट की नीलामी की जा चुकी है. इससे मंडल को तकरीबन 126 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई है. वहीं अब मंडल के अधिकारी पुरानी प्रक्रिया के तहत मोहर बंद पद्धति और किश्त भुगतान प्रक्रिया पर भी मंथन कर रहे हैं.

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Published : Nov 13, 2019, 12:00 AM IST

जयपुर. राजधानी में हाउसिंग बोर्ड की ओर से 30 सितंबर से शुरू हुए ई-ऑक्शन के जरिए अब तक 770 फ्लैट की नीलामी की जा चुकी है. बता दें कि आवासन मंडल की ओर से आवासों की नीलामी में 25 से 50 फ़ीसदी तक की छूट दी गई और ये रणनीति काम भी आई.

ई-ऑक्शन से सवा सौ करोड़ के राजस्व की प्राप्ति

वहीं सालों से जिन आवासों को खरीदार नहीं मिल रहे थे, ऐसे 770 आवास हाउसिंग बोर्ड के ई-ऑक्शन में बिक गए. इससे मंडल के खाते में अब तक 126 करोड़ रुपए आ चुके हैं और अभी भी हाउसिंग बोर्ड 20 नवंबर तक ई-ऑक्शन कार्यक्रम चलाने वाला है, हालांकि इसके बाद एक बार फिर मंडल प्रशासन अपनी पुरानी पद्धति की ओर लौटने पर मंथन कर रहा है. इस संबंध में हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन भास्कर ए सावंत ने बताया कि मंडल प्रशासन अपने आवासों को दोबारा किश्त भुगतान पर देने की प्रक्रिया पर मंथन कर रहा है, हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय ई-ऑक्शन का चरण पूरा होने के बाद लिया जाएगा.

पढ़ेंः महाराष्ट्र से जयपुर पहुंचे कांग्रेस विधायक, CM गहलोत ने की मुलाकात

सावंत ने बताया कि ई-ऑक्शन के साथ-साथ बोर्ड की पहले से चल रही मोहर बंद पद्धति का भी इस्तेमाल किया जाएगा, हालांकि इसे इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से किया जाएगा या ट्रेडिशनल पद्धति से इस पर मंथन चल रहा है. फिलहाल ई-ऑक्शन का पूरा चरण होना बाकी है. इस पद्धति में कुछ लिमिटेशन है, जिन्हें कम करने और प्रक्रिया में सुधार करने की बात भी की जा रही है, लेकिन मंडल के लिए यही ई-ऑक्शन प्रक्रिया सूखे में बारिश की बूंदे साबित हुई हैं.

जयपुर. राजधानी में हाउसिंग बोर्ड की ओर से 30 सितंबर से शुरू हुए ई-ऑक्शन के जरिए अब तक 770 फ्लैट की नीलामी की जा चुकी है. बता दें कि आवासन मंडल की ओर से आवासों की नीलामी में 25 से 50 फ़ीसदी तक की छूट दी गई और ये रणनीति काम भी आई.

ई-ऑक्शन से सवा सौ करोड़ के राजस्व की प्राप्ति

वहीं सालों से जिन आवासों को खरीदार नहीं मिल रहे थे, ऐसे 770 आवास हाउसिंग बोर्ड के ई-ऑक्शन में बिक गए. इससे मंडल के खाते में अब तक 126 करोड़ रुपए आ चुके हैं और अभी भी हाउसिंग बोर्ड 20 नवंबर तक ई-ऑक्शन कार्यक्रम चलाने वाला है, हालांकि इसके बाद एक बार फिर मंडल प्रशासन अपनी पुरानी पद्धति की ओर लौटने पर मंथन कर रहा है. इस संबंध में हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन भास्कर ए सावंत ने बताया कि मंडल प्रशासन अपने आवासों को दोबारा किश्त भुगतान पर देने की प्रक्रिया पर मंथन कर रहा है, हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय ई-ऑक्शन का चरण पूरा होने के बाद लिया जाएगा.

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सावंत ने बताया कि ई-ऑक्शन के साथ-साथ बोर्ड की पहले से चल रही मोहर बंद पद्धति का भी इस्तेमाल किया जाएगा, हालांकि इसे इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से किया जाएगा या ट्रेडिशनल पद्धति से इस पर मंथन चल रहा है. फिलहाल ई-ऑक्शन का पूरा चरण होना बाकी है. इस पद्धति में कुछ लिमिटेशन है, जिन्हें कम करने और प्रक्रिया में सुधार करने की बात भी की जा रही है, लेकिन मंडल के लिए यही ई-ऑक्शन प्रक्रिया सूखे में बारिश की बूंदे साबित हुई हैं.

Intro:जयपुर - हाउसिंग बोर्ड की ओर से 30 सितंबर से शुरू हुए ई ऑक्शन के जरिए अब तक 770 फ्लैट की नीलामी की जा चुकी है। इससे मंडल को तकरीबन 126 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई है। वहीं अब मंडल के अधिकारी पुरानी प्रक्रिया के तहत मोहर बंद पद्धति और किश्त भुगतान प्रक्रिया पर भी मंथन कर रहे हैं।


Body:आवासन मंडल की ओर से आवासों की नीलामी में 25 से 50 फ़ीसदी तक की छूट दी गई। और ये रणनीति काम भी आई। सालों से जिन आवासों को खरीदार नहीं मिल रहे थे, ऐसे 770 आवास हाउसिंग बोर्ड के ई ऑक्शन में बिक गए। इससे मंडल के खाते में अब तक 126 करोड़ रुपए आ चुके हैं। और अभी भी हाउसिंग बोर्ड 20 नवंबर तक ई ऑक्शन कार्यक्रम चलाने वाला है। हालांकि इसके बाद एक बार फिर मंडल प्रशासन अपनी पुरानी पद्धति की ओर लौटने पर मंथन कर रहा है। इस संबंध में हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन भास्कर ए सावंत ने बताया कि मंडल प्रशासन अपने आवासों को दोबारा किश्त भुगतान पर देने की प्रक्रिया पर मंथन कर रहा है। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय ई ऑक्शन का चरण पूरा होने के बाद लिया जाएगा। सावंत ने बताया कि ई ऑक्शन के साथ-साथ बोर्ड की पहले से चल रही मोहर बंद पद्धति का भी इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि इसे इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से किया जाएगा या ट्रेडिशनल पद्धति से इस पर मंथन चल रहा है।
बाईट - भास्कर ए सावंत, चेयरमैन, हाउसिंग बोर्ड


Conclusion:फिलहाल ई ऑक्शन का पूरा चरण होना बाकी है। इस पद्धति में कुछ लिमिटेशन है, जिन्हें कम करने और प्रक्रिया में सुधार करने की बात भी की जा रही है। लेकिन मंडल के लिए यही ई ऑक्शन प्रक्रिया सूखे में बारिश की बूंदे साबित हुई हैं।
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