जयपुर. राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के किसानों ने सोमवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता की. इस दौरान किसानों का आरोप है कि उनके साथ मुआवजा राशि को लेकर पूरी तरह से भेदभाव किया गया हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-148 एन एक केंद्रीय परियोजना है, जो कि चार राज्यों से गुजरती हैं.
वहीं राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के किसानों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि भूमि विकास मंत्रालय द्वारा 8 मई 2017 को जारी की गई गाइड लाइन के अनुसार मुआवजा दिया जाए. गाइड लाइन में यह साफ दिया गया है कि एक राज्य की परियोजना के लिए राज्य का फैक्टर लागू होगा और एक राज्य से ज्यादा राज्य की परियोजना है तो केंद्र का फैक्टर लागू किया जाएगा.
पढ़े: जैसलमेर में 10 साल के बेटे की आंखों के सामने नहर में डूबने से पिता की मौत
किसानों ने कहा कि दिल्ली-मुंबई हाईवे राष्ट्रीय राजमार्ग-148 एन के लिए अधिग्रहित की गई जमीन से किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलने से आक्रोश है. मुआवजे को लेकर किसानों ने दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात भी की, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है.
वहीं राजस्थान, एमपी और गुजरात के किसानों को राज्य फैक्टर के अनुसार ही मुआवजा दिया जा रहा हैं. किसानों में मांग की है कि इन सभी राज्यों को भूमि अधिग्रहण बिल 2013/15 के हिसाब से मुआवजा दिया जाए. किसानों ने राजस्थान सरकार से मांग की है कि केंद्र की परियोजनाओं के तहत एनएचएआई के जो काम चल रहे है, उसको राजस्थान में बंद किया जाए.
पढ़े: आरटीओ इंस्पेक्टर से मारपीट के विरोध में प्रदर्शन के बाद 4 आरोपी गिरफ्तार
बता दें कि इससे राजस्थान के 15 से 20 हजार किसान परिवार पीड़ित है और मध्यप्रदेश के 6 हजार से ज्यादा किसान पीड़ित है. किसानों ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकार मांगे नहीं मानती है तो तीनों राज्यों के किसानों द्वारा बड़ा आंदोलन किया जाएगा.