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JLF 2020: प्राइवेट ऑर्गेनाइजर के बावजूद सरकारी खर्चे पर चल रहा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल

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Published : Jan 26, 2020, 12:10 PM IST

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल को सफल बनाने के लिए शहर का पूरा प्रशासनिक महकमा जुट जाता है. यातायात व्यवस्था से लेकर सुरक्षा व्यवस्था और सफाई व्यवस्था से लेकर अग्निशमन व्यवस्था को चाक-चौबंद किया गया है. लेकिन हैरानी की बात ये है, कि प्राइवेट ऑर्गेनाइजर होने के बावजूद भी सरकारी मशीनरी का भरपूर उपयोग किया जाता है, वो भी सरकार के ही खर्च पर.

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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल

जयपुर. प्रदेश में बीते 5 दिन से लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. 24 जनवरी से शहर में साहित्य की बयार बहना शुरू हुई. ये दौर 5 दिन तक चलेगा. जिसमें दुनिया भर के साहित्यकार विभिन्न मुद्दों पर विचारों का मंथन करेंगे. शहर में सर्द मौसम में शब्दों की गर्माहट के साथ साहित्य की बातें होंगी.

सरकार के खर्चे पर चल रहा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल

जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल की निर्देशक लेखक नमिता गोखले और विलियम डेलरिंपल है. इसे टीम वर्क आर्ट्स के संजय रॉय की ओर से निर्मित किया गया है. ऐसे में ये एक प्राइवेट इवेंट है. जिसका आयोजन टीम वर्क आर्ट्स की ओर से कराया जाता है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी, कि 2006 से शुरू हुए इस जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का खर्चा सरकार वहन कर रही है. यहां पुलिस प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन दिन-रात जूझता है.

पढ़ेंः जयपुर : भारी मात्रा में अवैध शराब जब्त, 3 आरोपी गिरफ्तार

यही नही निगम प्रशासन सफाई और पांचों दिन 24 घंटे अग्निशमन वाहन को खड़ा करने का भी शुल्क नहीं लेता. निगम एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया, कि JLF में जो गार्बेज इकट्ठा हो रहा है, उसे उठाने का काम निगम कर रहा है. लेकिन उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं, कि इसे लेकर शुल्क देय है भी या नहीं.

पढ़ेंः यात्रीगण कृपया ध्यान दें! नॉन इंटरलॉकिंग ब्लॉक के चलते कई ट्रेनें रद्द

नगर निगम चीफ फायर ऑफिसर जगदीश फुलवारी ने बताया, कि फायर ब्रिगेड की परमिशन जारी की जाती है, ताकि कोई अग्निकांड ना हो. इसकी प्रविष्टि के लिए 10 दिन के लिए ₹5000 शुल्क लिया गया है. जबकि जो अग्निशमन वाहन वहां पांचों दिन 24 घंटे लगाया गया है. वो लॉ एंड ऑर्डर के तहत लगाया गया है. जिसका कोई शुल्क नहीं लिया गया.

पढ़ेंः जयपुर में धर्म कांटे पर मिली गड़बड़ी, गुप्त कोड के जरिए तौला जा रहा था कम और ज्यादा वजन

हालांकि नगर निगम के नियमों में प्रावधान है, कि यदि किसी प्राइवेट कार्यक्रम में फायर ब्रिगेड लगाई जाती है तो 8 घंटे के ₹5000 शुल्क वसूला जाता है. ऐसे में 5 दिन के हिसाब से तकरीबन ₹75000 शुल्क होता है. लगभग इतना ही शुल्क गार्बेज कलेक्शन का है. लेकिन जेएलएफ के आयोजक सरकारी मेहमान बनकर इन सेवाओं का नि:शुल्क लाभ उठा रहे हैं.

जयपुर. प्रदेश में बीते 5 दिन से लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. 24 जनवरी से शहर में साहित्य की बयार बहना शुरू हुई. ये दौर 5 दिन तक चलेगा. जिसमें दुनिया भर के साहित्यकार विभिन्न मुद्दों पर विचारों का मंथन करेंगे. शहर में सर्द मौसम में शब्दों की गर्माहट के साथ साहित्य की बातें होंगी.

सरकार के खर्चे पर चल रहा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल

जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल की निर्देशक लेखक नमिता गोखले और विलियम डेलरिंपल है. इसे टीम वर्क आर्ट्स के संजय रॉय की ओर से निर्मित किया गया है. ऐसे में ये एक प्राइवेट इवेंट है. जिसका आयोजन टीम वर्क आर्ट्स की ओर से कराया जाता है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी, कि 2006 से शुरू हुए इस जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का खर्चा सरकार वहन कर रही है. यहां पुलिस प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन दिन-रात जूझता है.

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यही नही निगम प्रशासन सफाई और पांचों दिन 24 घंटे अग्निशमन वाहन को खड़ा करने का भी शुल्क नहीं लेता. निगम एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया, कि JLF में जो गार्बेज इकट्ठा हो रहा है, उसे उठाने का काम निगम कर रहा है. लेकिन उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं, कि इसे लेकर शुल्क देय है भी या नहीं.

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नगर निगम चीफ फायर ऑफिसर जगदीश फुलवारी ने बताया, कि फायर ब्रिगेड की परमिशन जारी की जाती है, ताकि कोई अग्निकांड ना हो. इसकी प्रविष्टि के लिए 10 दिन के लिए ₹5000 शुल्क लिया गया है. जबकि जो अग्निशमन वाहन वहां पांचों दिन 24 घंटे लगाया गया है. वो लॉ एंड ऑर्डर के तहत लगाया गया है. जिसका कोई शुल्क नहीं लिया गया.

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हालांकि नगर निगम के नियमों में प्रावधान है, कि यदि किसी प्राइवेट कार्यक्रम में फायर ब्रिगेड लगाई जाती है तो 8 घंटे के ₹5000 शुल्क वसूला जाता है. ऐसे में 5 दिन के हिसाब से तकरीबन ₹75000 शुल्क होता है. लगभग इतना ही शुल्क गार्बेज कलेक्शन का है. लेकिन जेएलएफ के आयोजक सरकारी मेहमान बनकर इन सेवाओं का नि:शुल्क लाभ उठा रहे हैं.

Intro:जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, 5 दिन के इस आयोजन को सफल बनाने के लिए शहर का पूरा प्रशासनिक महकमा जुट जाता है। यातायात व्यवस्था से लेकर सुरक्षा व्यवस्था, और सफाई व्यवस्था से लेकर अग्निशमन व्यवस्था को चाक-चौबंद किया जाता है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि प्राइवेट ऑर्गेनाइजर होने के बावजूद भी सरकारी मशीनरी का भरपूर उपयोग किया जाता है। वो भी सरकार के ही खर्च पर।


Body:24 जनवरी से शहर में साहित्य की बयार बहना शुरू हुई। ये दौर 5 दिन तक चलेगा। जिसमें दुनिया भर के साहित्यकार विभिन्न मुद्दों पर विचारों का मंथन करेंगे। शहर में सर्द मौसम में शब्दों की गर्माहट के साथ साहित्य की बातें होंगी। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की निर्देशक लेखक नमिता गोखले और विलियम डेलरिंपल है। और इसे टीम वर्क आर्ट्स के संजय रॉय द्वारा निर्मित किया गया है। ऐसे में ये एक प्राइवेट इवेंट है। जिसका आयोजन टीम वर्क आर्ट्स की ओर से कराया जाता है। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि 2006 से शुरू हुए इस जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का खर्चा सरकार वहन कर रही है। यहां पुलिस प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन दिन-रात जूझता है। यही नहीं निगम प्रशासन सफाई और पांचों दिन 24 घंटे अग्निशमन वाहन को खड़ा करने का भी शुल्क नहीं लेता। इस संबंध में निगम एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया कि जेएलएफ में जो गार्बेज इकट्ठा हो रहा है, उसे उठाने का काम निगम कर रहा है। लेकिन उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं कि इसे लेकर शुल्क देय है भी या नहीं।
बाईट - अरुण गर्ग, एडिशनल कमिश्नर

वहीं नगर निगम चीफ फायर ऑफिसर जगदीश फुलवारी ने बताया कि फायर ब्रिगेड की परमिशन जारी की जाती है। ताकि कोई अग्निकांड ना हो। इसकी प्रविष्टि के लिए 10 दिन के ₹5000 शुल्क लिया गया है। जबकि जो अग्निशमन वाहन वहां 5 दिन 24 घंटे लगाया गया है। वो लॉ एंड ऑर्डर के तहत लगाया गया है। जिसका कोई शुल्क नहीं लिया गया।
बाईट - जगदीश फुलवारी, सीएफओ


Conclusion:हालांकि नगर निगम के नियमों में प्रावधान है कि यदि किसी प्राइवेट कार्यक्रम में फायर ब्रिगेड लगाई जाती है, तो 8 घंटे के ₹5000 शुल्क वसूला जाता है। ऐसे में 5 दिन के हिसाब से तकरीबन ₹75000 शुल्क होता है। और लगभग इतना ही शुल्क गार्बेज कलेक्शन का है। लेकिन जेएलएफ के आयोजक सरकारी मेहमान बनकर इन सेवाओं का निशुल्क लाभ उठा रहे हैं।
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