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Special: कोरोना काल में काम नहीं मिलने से आर्थिक संकट झेल रहे जयपुर के कुली

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Published : Sep 18, 2020, 5:35 PM IST

कोरोना महामारी शुरू होने से पहले रोजाना सैकड़ों ट्रेनों का जयपुर जंक्शन पर आना जाना लगा रहता था. वहीं, अब गिनी चुनी ट्रेनों का ही आवागमन रही है, जिससे कुलियों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. जयपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सामान का बोझ उठाने वाले कुली काम नहीं मिलने से परिवार की आजीविका को लेकर काफी चिंतित हैं.

जयपुर के कुली, आर्थिक संकट, Jaipur News
जयपुर में आर्थिक संकट झेल रहे कुली

जयपुर. अमिताभ बच्चन की फिल्म 'कुली' ने पहली बार मुसाफिरों का बोझ उठाने वाले कुलियों के संघर्ष को सबके सामने रखा था. लेकिन, इतने साल बीतने के बावजूद कुलियों की जिंदगी अभी भी नहीं बदली है. कोरोना महामारी की वजह से बने हालात के चलते कुलियों की रोजी-रोटी के लिए एक बड़ा संकट भी खड़ा हो गया है. वहीं, जयपुर जंक्शन की रौनक याद कर कुलियों की आंखें भर आती हैं.

जयपुर में आर्थिक संकट झेल रहे कुली

गौरतलब है कि कोरोना महामारी शुरू होने से पहले रोजाना सैकड़ों ट्रेनों का जयपुर जंक्शन पर आना जाना लगा रहता था. वहीं, अब गिनी चुनी ट्रेनों का ही आवागमन रही है, जिससे कुलियों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. वहीं, ट्रेन नहीं चलने की वजह से कुलियों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. अगर कुछ और दिन गाड़ियां नहीं चलीं तो ये कष्ट और बढ़ जाएगा.

पढ़ें: SPECIAL: लापरवाही की हद!... इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे मरीज, वेंटिलेटर पर रखने के बजाए किया जा रहा रेफर

जयपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सामान का बोझ उठाने वाले कुली शफी भी काम नहीं मिलने से परिवार की आजीविका को लेकर काफी चिंतित हैं. सिर पर सभी के सामानों का बोझ उठाने वाले शफी अब मुसीबतों का बोझ तले दब गए हैं. जयपुर रेलवे स्टेशन पर करीब 50 से कुली काम करते हैं. लेकिन, इस संकट की घड़ी में गिने-चुने कुली ही जयपुर जंक्शन पर दिखाई देते हैं.

पढ़ें: SPECIAL: लड़कियों की शादी की क्या हो सही उम्र, सामाजिक समस्या को कानूनी रूप से निपटाना कितना सही?

बता दें लॉकडाउन से पहले जयपुर जंक्शन से रोजाना 120 ट्रेनें संचालित होती थीं, लेकिन अब महज 14 ट्रेनें ही संचालित हो रही हैं. इस वजह से कुलियों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा है. पिछले कई साल से जयपुर जंक्शन पर काम कर रहे कुली शफी अब दो वक्त की रोटी के भी मोहताज हो गए हैं. शफी का कहना है कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. सब्जी तक के पैसे के लिए भी कई बार उधार लेना पड़ जाता है. वो पिछले कई महीनों से कष्टों से गुजर रहे हैं, लेकिन कोई पूछने वाला भी नहीं है.

कुली शफी ने पिता के काम को संभाला
जयपुर रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुली शफी ने बताया कि उनके पिता भी कुली थे. उन्होंने जयपुर जंक्शन पर 30 से अधिक समय तक खुली का काम किया उन्होंने कहा कि वो पिछले कई साल से जयपुर जंक्शन पर काम कर रहे हैं. लेकिन ये पहला नजारा है, जब उन्होंने ऐसा वक्त देखा है. कोरोना संक्रमण की वजह से कोई भी यात्री सामान उठवाने के लिए राजी नहीं होता है. उन्होंने कहा कि इन दिनों जब वो अपने पिता से बात करते हैं तो उनके पिता बताते हैं कि उन्होंने 30 साल में ऐसे हालत कभी नहीं देखे, जैसे कोविड-19 महामारी के समय में है. बता दें कि शफी के घर में उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चे हैं. घर में कमाने वाले सिर्फ वो ही हैं.

अब हो रही 100 से 200 रुपये की कमाई
कुली शफी बताते हैं कि वैसे तो इस बात का पूरा ध्यान रख रहे हैं कि किसी को कोई परेशानी ना हो. इसके लिए वो मास्क पहनते हैं और हाथों को सैनिटाइज करते हैं. साथ ही बार-बार हाथ धोते हैं. वही, शफी का कहना है कि अब दिन भर में सिर्फ 100 से 200 रुपये की ही कमाई हो रही है. साथ ही कहा कि ये कमाई भी तब होती है, जब यात्रियों से सामान उठवाने के लिए काफी मिन्नत करते हैं. वहीं, लॉकडाउन से पहले हर दिन करीब 500 से 600 रुपये की कमाई रोजाना होती थी.

जयपुर. अमिताभ बच्चन की फिल्म 'कुली' ने पहली बार मुसाफिरों का बोझ उठाने वाले कुलियों के संघर्ष को सबके सामने रखा था. लेकिन, इतने साल बीतने के बावजूद कुलियों की जिंदगी अभी भी नहीं बदली है. कोरोना महामारी की वजह से बने हालात के चलते कुलियों की रोजी-रोटी के लिए एक बड़ा संकट भी खड़ा हो गया है. वहीं, जयपुर जंक्शन की रौनक याद कर कुलियों की आंखें भर आती हैं.

जयपुर में आर्थिक संकट झेल रहे कुली

गौरतलब है कि कोरोना महामारी शुरू होने से पहले रोजाना सैकड़ों ट्रेनों का जयपुर जंक्शन पर आना जाना लगा रहता था. वहीं, अब गिनी चुनी ट्रेनों का ही आवागमन रही है, जिससे कुलियों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. वहीं, ट्रेन नहीं चलने की वजह से कुलियों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. अगर कुछ और दिन गाड़ियां नहीं चलीं तो ये कष्ट और बढ़ जाएगा.

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जयपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सामान का बोझ उठाने वाले कुली शफी भी काम नहीं मिलने से परिवार की आजीविका को लेकर काफी चिंतित हैं. सिर पर सभी के सामानों का बोझ उठाने वाले शफी अब मुसीबतों का बोझ तले दब गए हैं. जयपुर रेलवे स्टेशन पर करीब 50 से कुली काम करते हैं. लेकिन, इस संकट की घड़ी में गिने-चुने कुली ही जयपुर जंक्शन पर दिखाई देते हैं.

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बता दें लॉकडाउन से पहले जयपुर जंक्शन से रोजाना 120 ट्रेनें संचालित होती थीं, लेकिन अब महज 14 ट्रेनें ही संचालित हो रही हैं. इस वजह से कुलियों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा है. पिछले कई साल से जयपुर जंक्शन पर काम कर रहे कुली शफी अब दो वक्त की रोटी के भी मोहताज हो गए हैं. शफी का कहना है कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. सब्जी तक के पैसे के लिए भी कई बार उधार लेना पड़ जाता है. वो पिछले कई महीनों से कष्टों से गुजर रहे हैं, लेकिन कोई पूछने वाला भी नहीं है.

कुली शफी ने पिता के काम को संभाला
जयपुर रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुली शफी ने बताया कि उनके पिता भी कुली थे. उन्होंने जयपुर जंक्शन पर 30 से अधिक समय तक खुली का काम किया उन्होंने कहा कि वो पिछले कई साल से जयपुर जंक्शन पर काम कर रहे हैं. लेकिन ये पहला नजारा है, जब उन्होंने ऐसा वक्त देखा है. कोरोना संक्रमण की वजह से कोई भी यात्री सामान उठवाने के लिए राजी नहीं होता है. उन्होंने कहा कि इन दिनों जब वो अपने पिता से बात करते हैं तो उनके पिता बताते हैं कि उन्होंने 30 साल में ऐसे हालत कभी नहीं देखे, जैसे कोविड-19 महामारी के समय में है. बता दें कि शफी के घर में उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चे हैं. घर में कमाने वाले सिर्फ वो ही हैं.

अब हो रही 100 से 200 रुपये की कमाई
कुली शफी बताते हैं कि वैसे तो इस बात का पूरा ध्यान रख रहे हैं कि किसी को कोई परेशानी ना हो. इसके लिए वो मास्क पहनते हैं और हाथों को सैनिटाइज करते हैं. साथ ही बार-बार हाथ धोते हैं. वही, शफी का कहना है कि अब दिन भर में सिर्फ 100 से 200 रुपये की ही कमाई हो रही है. साथ ही कहा कि ये कमाई भी तब होती है, जब यात्रियों से सामान उठवाने के लिए काफी मिन्नत करते हैं. वहीं, लॉकडाउन से पहले हर दिन करीब 500 से 600 रुपये की कमाई रोजाना होती थी.

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