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इंटर्न डॉक्टरों का अर्ध कुशल मजदूरों से भी कम मानदेय, कैसे जीतेंगे कोरोना से जंग?: कालीचरण सराफ

प्रदेश में इंटर्न डॉक्टरों का मानदेय अर्ध कुशल मजदूरों से भी कम है. इस पर भाजपा विधायक और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने इंटर्न डॉक्टरों को सच्चा कोरोना योद्धा बताते हुए प्रदेश सरकार से इनका मानदेय बढ़ाने की मांग की है.

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Published : Jun 5, 2020, 8:28 AM IST

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कालीचरण सराफ ने इंटर्न डॉक्टरों का मानदेय बढ़ाने की मांग की है

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल के दौरान विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे इंटर्न्स डॉक्टर्स का मानदेय बढ़ाने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है. प्रदेश में इंटर्न्स चिकित्सकों का मानदेय अर्ध कुशल मजदूरों से भी कम है. भाजपा विधायक और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने इंटर्न्स डॉक्टर्स को सच्चा कोरोना योद्धा बताते हुए प्रदेश सरकार से इनका मानदेय (स्टाइपेंड) बढ़ाने की मांग की है.

यह भी पढ़ें- प्रदेश के RAS अधिकारियों को मिलेगी पदोन्नति, सरकार ने की अंतिम वरिष्ठता सूची जारी

कालीचरण सराफ ने कहा कि कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में ये इंटर्न डॉक्टर्स अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर लड़ाई लड़ रहे हैं. सराफ ने बताया कि पिछली भाजपा सरकार में चिकित्सा मंत्री रहते हुए उन्होंने इंटर्न्स डॉक्टर्स के मानदेय में दोगनी बढ़ोतरी करते हुए 3500 रुपए प्रति माह से 7000 प्रतिमाह किया था. उनके अनुसार कोरोना काल में प्रदेश के सभी इंटर्न्स डॉक्टर फ्रंट लेवल पर आइसोलेशन वार्ड, कोविड-19 क्वॉरेंटाइन सेंटर्स, डोर टू डोर स्क्रीनिंग सहित हाईवे चेक पोस्ट पर जांच के काम में अपनी जान जोखिम में डालकर पूरी शिद्दत से काम में जुटे हैं.

मनरेगा मजदूर और अर्ध कुशल मजदूर से भी कम मिलता है मेहनताना

सराफ के अनुसार राजस्थान में इंटर्न्स डॉक्टर्स का स्टाइपेंड वर्तमान में एक मनरेगा और अर्ध कुशल मजदूर की प्रतिदिन की मजदूरी से भी कम है. सराफ ने कहा एक इंटर्न्स डॉक्टर्स को प्रतिदिन 233 रुपए मिलते हैं, जिसमें खाने-पीने कार्यस्थल पर आने-जाने और अन्य सुविधाओं का खर्च वहन करना भी मुश्किल होता है.

यह भी पढ़ें- प्रशासन की नाक के नीचे भ्रष्टाचार का 'खेल', यहां नियमों के विरुद्ध हो रही मिट्टी की खुदाई

4 से 5 साल एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उन्हें परिजनों पर आश्रित होना पड़ता है, जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. पूर्व चिकित्सा मंत्री ने कहा कोरोना फैलने की शुरुआत के साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संक्रमण के खिलाफ प्रथम पंक्ति में लड़ाई लड़ने वाले चिकित्सक कर्मियों को वॉरियर्स कहा और उनके सम्मान में हॉस्पिटल्स पर पुष्प बरसाए.

देश के अन्य राज्यों में है बेहतर स्थिति

देश के अन्य राज्यों में इंटर्न्स डॉक्टर्स की सेवाओं के महत्व को समझते हुए इनका मानदेय बढ़ाकर कर्नाटक सरकार ने 30 हजार रुपए, हरियाणा सरकार ने 24 हजार रुपए, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा सरकार ने 20 हजार रुपए, पंजाब, बिहार और हिमाचल सरकार ने 15 हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया है. जबकि देश में सबसे कम मानदेय मिलने से राजस्थान में इंटर्न्स डॉक्टर्स की मनोस्थिति खराब होती जा रही है और इसका दुष्प्रभाव उनके कार्य क्षमता पर पड़ रहा है. ऐसे में यदि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे इन योद्धाओं का उत्साहवर्धन करना है, तो सरकार को इन तमाम चीजों का भी ध्यान रखना होगा.

जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल के दौरान विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे इंटर्न्स डॉक्टर्स का मानदेय बढ़ाने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है. प्रदेश में इंटर्न्स चिकित्सकों का मानदेय अर्ध कुशल मजदूरों से भी कम है. भाजपा विधायक और पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने इंटर्न्स डॉक्टर्स को सच्चा कोरोना योद्धा बताते हुए प्रदेश सरकार से इनका मानदेय (स्टाइपेंड) बढ़ाने की मांग की है.

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कालीचरण सराफ ने कहा कि कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में ये इंटर्न डॉक्टर्स अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर लड़ाई लड़ रहे हैं. सराफ ने बताया कि पिछली भाजपा सरकार में चिकित्सा मंत्री रहते हुए उन्होंने इंटर्न्स डॉक्टर्स के मानदेय में दोगनी बढ़ोतरी करते हुए 3500 रुपए प्रति माह से 7000 प्रतिमाह किया था. उनके अनुसार कोरोना काल में प्रदेश के सभी इंटर्न्स डॉक्टर फ्रंट लेवल पर आइसोलेशन वार्ड, कोविड-19 क्वॉरेंटाइन सेंटर्स, डोर टू डोर स्क्रीनिंग सहित हाईवे चेक पोस्ट पर जांच के काम में अपनी जान जोखिम में डालकर पूरी शिद्दत से काम में जुटे हैं.

मनरेगा मजदूर और अर्ध कुशल मजदूर से भी कम मिलता है मेहनताना

सराफ के अनुसार राजस्थान में इंटर्न्स डॉक्टर्स का स्टाइपेंड वर्तमान में एक मनरेगा और अर्ध कुशल मजदूर की प्रतिदिन की मजदूरी से भी कम है. सराफ ने कहा एक इंटर्न्स डॉक्टर्स को प्रतिदिन 233 रुपए मिलते हैं, जिसमें खाने-पीने कार्यस्थल पर आने-जाने और अन्य सुविधाओं का खर्च वहन करना भी मुश्किल होता है.

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4 से 5 साल एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उन्हें परिजनों पर आश्रित होना पड़ता है, जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. पूर्व चिकित्सा मंत्री ने कहा कोरोना फैलने की शुरुआत के साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संक्रमण के खिलाफ प्रथम पंक्ति में लड़ाई लड़ने वाले चिकित्सक कर्मियों को वॉरियर्स कहा और उनके सम्मान में हॉस्पिटल्स पर पुष्प बरसाए.

देश के अन्य राज्यों में है बेहतर स्थिति

देश के अन्य राज्यों में इंटर्न्स डॉक्टर्स की सेवाओं के महत्व को समझते हुए इनका मानदेय बढ़ाकर कर्नाटक सरकार ने 30 हजार रुपए, हरियाणा सरकार ने 24 हजार रुपए, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा सरकार ने 20 हजार रुपए, पंजाब, बिहार और हिमाचल सरकार ने 15 हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया है. जबकि देश में सबसे कम मानदेय मिलने से राजस्थान में इंटर्न्स डॉक्टर्स की मनोस्थिति खराब होती जा रही है और इसका दुष्प्रभाव उनके कार्य क्षमता पर पड़ रहा है. ऐसे में यदि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे इन योद्धाओं का उत्साहवर्धन करना है, तो सरकार को इन तमाम चीजों का भी ध्यान रखना होगा.

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