जयपुर. बीते दिन रविवार यानी 23 मई को हर्षवर्धन जोशी ने माउंट एवरेस्ट पर फतेह हासिल की है. हर्षवर्धन जोशी का परिवार सीकर के फतेहपुर से संबंध रखता है. हर्षवर्धन जोशी के पिता का नाम योगेश जोशी है और उनकी माता का नाम मंजू शर्मा है. हर्षवर्धन के नाना डॉ. वेद प्रकाश शर्मा का कहना है, कुछ अलग करने का जज्बा हर्षवर्धन जोशी में शुरू से ही था और वे मनमौजी स्वभाव के हैं. हर्षवर्धन हमेशा कुछ अलग करने की कोशिश करते थे.
नाना डॉ. शर्मा के मुताबिक, हर्षवर्धन जोशी बोल्ड स्वभाव के थे और कुछ गलत होता था तो वह सामने ही कह देते थे. हर्षवर्धन करीब 3-4 साल पहले जयपुर आए थे. हर्षवर्धन का परिवार मुंबई में निवास कर रहा है. हर्षवर्धन के मामा सुभाष शर्मा के मुताबिक, करीब 8 से 10 साल पहले हर्षवर्धन को पर्वतारोहण का शौक लगा और उसके बाद से लगातार वह इसी में ही कुछ करने की सोच रहा था. वेद प्रकाश शर्मा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में कार्यकारी निदेशक के पद पर कार्यरत थे और वे वहां से रिटायर हो चुके हैं. ये संगरिया के मूल निवासी हैं और फिलहाल शर्मा जयपुर के सुभाष नगर में निवास कर रहे हैं.
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वेद प्रकाश शर्मा के मुताबिक, हर्षवर्धन जोशी का स्वभाव मदद करने का भी रहा है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया, कुछ दिन पहले उनके शेरपा का निधन हो गया था और उसके तीन बच्चे भी हैं. हर्षवर्धन जोशी ने शेरपा की मदद के लिए एक फंड एकत्र करने का निर्णय किया है, जिससे कि उसके तीनों बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सके. फिलहाल, हर्षवर्धन जोशी बेस कैंप टू में हैं. हर्षवर्धन के एक बड़े भाई पुनीत जोशी हैं, जो प्राइवेट जॉब करते हैं. माता-पिता ने हमेशा से ही हर्षवर्धन जोशी को सपोर्ट किया है और उसी का नतीजा है कि उन्हें इतनी बड़ी सफलता मिली है. हर्षवर्धन की सफलता पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट और सतीश पूनिया सहित कई नेताओं ने बधाई दी है.
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नाना शर्मा ने कहा, हर्षवर्धन की सफलता पर उन्हें गर्व है और उसने साहस और संघर्ष के बलबूते पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह सफलता हासिल की है. ईश्वर की यह बहुत बड़ी कृपा रही है. अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वह मन और लगन से सतत प्रयास कर रहा था. इस सफलता के लिए हर्षवर्धन जोशी ने अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग भी ली और सब तरह से ध्यान हटाकर अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित रखा. उसका पारिवारिक लगाव न होकर सभी के प्रति लगाव था. दूसरों की मदद करना भी उसका स्वभाव रहा है.
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हर्षवर्धन के मामा सुभाष शर्मा ने कहा, वह बचपन से ही लक्ष्य बनाकर काम करता था, उसका हमेशा से ही कमर्शियल माइंड रहा है. वह जो भी करता था, अपने ही खर्चे पर करता था. किसी की मदद नहीं लेता था. शुरू से ही उसकी दोस्ती अपने से अधिक उम्र वाले सीनियर लोगों से रही है. कुछ करने के पक्के इरादे से ही उसे सफलता हाथ लगी है. शर्मा ने कहा, जिस तरह से अर्जुन को अपने लक्ष्य के लिए मछली की आंख दिख रही थी. उसी तरह से हर्षवर्धन जोशी का भी एक ही लक्ष्य था कि उसे माउंट एवरेस्ट पर जीत हासिल करनी है.