जयपुर. श्राद्ध पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. हिंदी पंचांग के अनुसार अश्विन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं. इस बार 2 अक्टूबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी. मान्यता है कि यह व्रत करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों की मुक्ति हो जाती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
आचार्य पंडित श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि श्राद्ध पक्ष में आने के कारण इंदिरा एकादशी का अलग ही महत्व है. यह व्रत करने से हमारे सात पीढ़ियों के पितरों को तो मोक्ष मिलता ही है. साथ ही जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष है उन्हें भी इंदिरा एकादशी का यह व्रत रखना चाहिए. इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है.
इस तरह व्रत करने से मिलता है फल
आचार्य पंडित श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि एकादशी व्रत के नियमानुसार, यह व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है. व्रत करने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले भोजन करना चाहिए. एकादशी को सुबह नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प करना चाहिए. फिर भगवान शालिग्राम की पूजा करनी चाहिए. दिनभर फलाहारी व्रत रखना चाहिए. इसके बाद द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए और दान देकर उन्हें विदा करना चाहिए. इसके बाद ही व्रत करने वाले व्यक्ति को भोजन ग्रहण करना चाहिए.