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अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रिपोर्ट करें पेश, वरना कलेक्टर हाजिर होकर दें जवाब - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने कलेक्टर को अतिक्रमण हटाने का ब्योरा पेश करने को लेकर निर्देश दिया है.

COURT ASKED DAUSA COLLECTOR,  ACTION TAKEN TO REMOVE ENCROACHMENT
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 27, 2024, 8:16 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा जिले की लोटवाड़ा ग्राम पंचायत में चारागाह जमीन पर अतिक्रमण के मामले में जिला कलेक्टर को शपथ पत्र पेश कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का ब्यौरा देने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने 10 जनवरी को कलेक्टर को हाजिर होकर इस संबंध में अपना जवाब देने को कहा है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश कैलाश चन्द की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि साल 2021 में इस भूमि से अतिक्रमियों को बेदखल करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया. वहीं, अदालत की ओर से रिपोर्ट मांगने पर 9 दुकानों को सील कर 2 दुकानों के अतिक्रमण को हटाया गया. अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि ग्राम पंचायत की ओर से अतिक्रमियों का संरक्षण किया जा रहा है, जबकि यह पंचायत का काम नहीं है.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मान कर मकान ध्वस्त करने के आदेश पर लगाई रोक, याचिकाकर्ताओं को राहत

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि गांव की करीब छह बीघा भूमि पर भूमाफियाओं ने अतिक्रमण कर दुकानें बना ली हैं. अदालत ने अतिक्रमण हटाने के संबंध में पिछली सुनवाई पर तहसीलदार बैजूपाड़ा से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन तहसीलदार व एसडीएम ने अभी तक अतिक्रमण हटाने की कोई भी कार्रवाई नहीं की है. अधिकारियों की ओर से अतिक्रमियों को नोटिस जारी कर पुलिस जाप्ता नहीं मिलने का बहाना बनाकर कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्थानीय कलेक्टर को शपथ पत्र पेश कर अतिक्रमण हटाने की रिपोर्ट पेश करने को कहा है और ऐसा नहीं करने पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर अपना जवाब देने को कहा है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा जिले की लोटवाड़ा ग्राम पंचायत में चारागाह जमीन पर अतिक्रमण के मामले में जिला कलेक्टर को शपथ पत्र पेश कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का ब्यौरा देने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने 10 जनवरी को कलेक्टर को हाजिर होकर इस संबंध में अपना जवाब देने को कहा है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश कैलाश चन्द की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि साल 2021 में इस भूमि से अतिक्रमियों को बेदखल करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया. वहीं, अदालत की ओर से रिपोर्ट मांगने पर 9 दुकानों को सील कर 2 दुकानों के अतिक्रमण को हटाया गया. अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि ग्राम पंचायत की ओर से अतिक्रमियों का संरक्षण किया जा रहा है, जबकि यह पंचायत का काम नहीं है.

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि गांव की करीब छह बीघा भूमि पर भूमाफियाओं ने अतिक्रमण कर दुकानें बना ली हैं. अदालत ने अतिक्रमण हटाने के संबंध में पिछली सुनवाई पर तहसीलदार बैजूपाड़ा से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन तहसीलदार व एसडीएम ने अभी तक अतिक्रमण हटाने की कोई भी कार्रवाई नहीं की है. अधिकारियों की ओर से अतिक्रमियों को नोटिस जारी कर पुलिस जाप्ता नहीं मिलने का बहाना बनाकर कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्थानीय कलेक्टर को शपथ पत्र पेश कर अतिक्रमण हटाने की रिपोर्ट पेश करने को कहा है और ऐसा नहीं करने पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर अपना जवाब देने को कहा है.

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