जयपुर. सालासर के निजी स्कूल में शिक्षक की पिटाई से छात्र की मौत के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव, एसीएस और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. एक अन्य मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने डी लिट (D.lit) की उपाधि देरी से देने पर राजस्थान विश्वविद्यालय को परिवादी को 5 लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने के आदेश भी दिए हैं.
राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने परिवादी डॉ. राकेश शास्त्री के वर्ष 2015 से लम्बित डी. लिट. प्रकरण में निर्णय एवं अनुशंसा करते हुए निस्तारित कर दिया. आयोग ने सम्पूर्ण तथ्यों का अवलोकन कर बताया कि यह विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी ने डी. लिट के लिये प्रथम बार अपना प्रार्थनापत्र 15 अगस्त 1993 को प्रस्तुत किया तथा सात वर्ष बाद उसके विषय "महाभारत एवं कालिदास के भावचित्रों तुलनात्मक अध्ययन का पंजीकरण करते हुए विश्वविद्यालय ने पंजीकरण नम्बर जारी किया.
परिवादी ने वर्ष 2007 में डी. लिट. उपाधि के लिए शोध प्रबन्ध व इसके सार को नियमानुसार रसीद के माध्यम से शुल्क जमा कराते हुए जमा करवा दिया, लेकिन विश्वविद्यालय ने उसे कोई प्रोवीजनल सर्टिफिकेट नहीं दिया गया और न ही उसे डी. लिट की उपाधि प्रदान की गई. परिवादी ने 16.6.2015 को आयोग के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत किया. परिवाद पर नोटिस जारी होने के बाद वर्ष 2016 में परिवादी को डी. लिट की उपाधि प्रदान की गई.
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इससे पूर्व परिवादी सेवानिवृत्त हो चुका था, इसलिये डी. लिट की उपाधि निरर्थक और सारहीन हो गई. इसका लाभ परिवादी को नहीं मिल पाया. विश्वविद्यालय ने अपने जवाब में यह कहीं नहीं लिखा है कि परिवादी अकेला इस देरी के लिये जिम्मेदार है. विश्वविद्यालय स्तर पर कछुए की चाल से कार्रवाई की गई है. परिवादी को डी. लिट की उपाधि प्राप्त करने में उसे वर्षों तक इन्तजार करना पड़ा. इसके लिये राजस्थान विश्वविद्यालय और उसके अधिकारी एवं कर्मचारी जिम्मेदार हैं.
अध्यक्ष ने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर को निर्देशित किया कि परिवादी को राजस्थान विश्वविद्यालय 5 लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में इस आदेश की प्राप्ति से दो माह की अवधि में अदा करें. आदेश की पालना रिपोर्ट आयोग के समक्ष 14 जनवरी, 2022 तक पेश करे.