ETV Bharat / state

स्कूल बंद करने के फैसले के खिलाफ सामाजिक संगठन, कहा- दलित, आदिवासी और बालिका शिक्षा पर पड़ेगा असर - RAJASTHAN GOVT SCHOOLS

प्रदेश में 450 स्कूल मर्ज के नाम पर बंद होने का सामाजिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है.

प्रदेश में स्कूल मर्ज
प्रदेश में स्कूल मर्ज (ETV Bharat (Symbolic))
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 27, 2025, 8:56 AM IST

जयपुर : प्रदेश की भजनलाल सरकार की ओर से 450 स्कूलों को मर्ज किया गया है. सरकार के निर्णय पर एक तरफ कांग्रेस हमलावर है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक संगठनों ने भी विरोध शुरू कर दिया है. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने बंद करवाई गई स्कूलों का सर्वे करने की तैयारी कर ली है. पीयूसीएल का दावा है कि इस फैसले का दलित, आदिवासी और बालिकाओं की शिक्षा बड़ा असर पड़ेगा, जिसका डाटा जल्द प्रदेश की जनता के सामने रखा जाएगा.

दुर्भाग्यपूर्ण कदम : पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने संयुक्त बयान जारी कर राजस्थान सरकार की ओर से 450 स्कूलों को बंद किए जाने के निर्णय की निंदा की. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े राजस्थान राज्य में शिक्षा के प्रसार की आवश्यकता है, वहीं दूसरा सरकार का यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण कदम है. पीयूसीएल का मानना है कि सरकारी स्कूलों में कम छात्र संख्य के आधार पर स्कूल बंद कर देना शिक्षा के अधिकार अधिनियम की भावना के विपरीत है. दलित, आदिवासी, अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आदि वंचित वर्गों के लिए सरकारी स्कूल ही शिक्षा का सुलभ माध्यम है. शिक्षा का अधिकार हर बच्चे को उसके घर के निकटवर्ती दायरे में शिक्षा सुलभ करवाने के लिए निर्देशित करता है. आरटीई के तहत स्कूल प्रबंधन में स्थानीय भागीदारी से संचालन करना आवश्यक है. सरकार ने स्कूल बंद करने का निर्णय लेते समय स्थानीय जनता और स्कूल प्रबंधन समिति के साथ ग्राम सभा को विश्वास में नहीं लेकर आरटीई एक्ट का उल्लंघन किया है.

स्कूल बंद करने के फैसले के खिलाफ सामाजिक संगठन (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें. प्रदेश के 190 स्कूलों को किया गया मर्ज, 169 स्कूलों में थे शून्य नामांकन

सर्वे करा कर जनता के बीच रिपोर्ट कार्ड : पीयूसीएल का यह भी कहना है उचित संसाधन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव के कारण अभिभावकों को मजबूरन निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलवाना पड़ता है. छात्र संख्या के अभाव के कारण स्कूल बंद करने में सरकार को वास्तव में शर्म का अनुभव करना चाहिए. सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए कि अधिक से अधिक विद्यार्थी सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित हो. सस्ती शिक्षा समानता और सामाजिक न्याय का श्रेष्ठ रास्ता है. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही पीयूसीएल और शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय जन संगठनों की ओर से इन बंद किए गए स्कूलों का सर्वे करवाया जाएगा. साथ ही इस निर्णय से पड़ने वाले प्रभाव को जनता के सामने लाया जाएगा. पीयूसीएल राज्य सरकार से इस प्रतिगामी निर्णय पर विचार करने और वापिस लेने की मांग की.

बालिका शिक्षा पर पड़ेगा असर : पीयूसीएल की सदस्य मेजर डॉ. मीता सिंह कहती हैं कि इस निर्णय का दूरगामी प्रभाव बालिका शिक्षा पर भी पड़ेगा. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण इलाकों में पढ़ रही बच्चियों को पढ़ाई के स्थान पर अब घर बैठने को मजबूर होना पड़ेगा. यह भी गौरतलब है कि एक बार स्कूल बंद हो जाने पर दोबारा शुरू होना मुश्किल होता है. पिछली भाजपा सरकार में 17000 स्कूल बंद किए गए थे, उनमें से कुछ ही दोबारा चालू हो सके. मीता सिंह कहती हैं कि एक तरफ शिक्षा को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है. वहीं, मौजूदा सरकार 450 स्कूलों के ताले लगा दिए. इसमें 190 प्राथमिक और 260 माध्यमिक शिक्षा के स्कूल थे. अब जब स्कूल ही बंद होगी तो बालिकाएं शिक्षा कैसे प्राप्त करेंगी? सरकारों को स्कूल में बंद करने की जगह स्कूलों की गुणवत्ता के सुधार पर ध्यान देना.

जयपुर : प्रदेश की भजनलाल सरकार की ओर से 450 स्कूलों को मर्ज किया गया है. सरकार के निर्णय पर एक तरफ कांग्रेस हमलावर है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक संगठनों ने भी विरोध शुरू कर दिया है. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने बंद करवाई गई स्कूलों का सर्वे करने की तैयारी कर ली है. पीयूसीएल का दावा है कि इस फैसले का दलित, आदिवासी और बालिकाओं की शिक्षा बड़ा असर पड़ेगा, जिसका डाटा जल्द प्रदेश की जनता के सामने रखा जाएगा.

दुर्भाग्यपूर्ण कदम : पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने संयुक्त बयान जारी कर राजस्थान सरकार की ओर से 450 स्कूलों को बंद किए जाने के निर्णय की निंदा की. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े राजस्थान राज्य में शिक्षा के प्रसार की आवश्यकता है, वहीं दूसरा सरकार का यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण कदम है. पीयूसीएल का मानना है कि सरकारी स्कूलों में कम छात्र संख्य के आधार पर स्कूल बंद कर देना शिक्षा के अधिकार अधिनियम की भावना के विपरीत है. दलित, आदिवासी, अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आदि वंचित वर्गों के लिए सरकारी स्कूल ही शिक्षा का सुलभ माध्यम है. शिक्षा का अधिकार हर बच्चे को उसके घर के निकटवर्ती दायरे में शिक्षा सुलभ करवाने के लिए निर्देशित करता है. आरटीई के तहत स्कूल प्रबंधन में स्थानीय भागीदारी से संचालन करना आवश्यक है. सरकार ने स्कूल बंद करने का निर्णय लेते समय स्थानीय जनता और स्कूल प्रबंधन समिति के साथ ग्राम सभा को विश्वास में नहीं लेकर आरटीई एक्ट का उल्लंघन किया है.

स्कूल बंद करने के फैसले के खिलाफ सामाजिक संगठन (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें. प्रदेश के 190 स्कूलों को किया गया मर्ज, 169 स्कूलों में थे शून्य नामांकन

सर्वे करा कर जनता के बीच रिपोर्ट कार्ड : पीयूसीएल का यह भी कहना है उचित संसाधन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव के कारण अभिभावकों को मजबूरन निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलवाना पड़ता है. छात्र संख्या के अभाव के कारण स्कूल बंद करने में सरकार को वास्तव में शर्म का अनुभव करना चाहिए. सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए कि अधिक से अधिक विद्यार्थी सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित हो. सस्ती शिक्षा समानता और सामाजिक न्याय का श्रेष्ठ रास्ता है. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही पीयूसीएल और शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय जन संगठनों की ओर से इन बंद किए गए स्कूलों का सर्वे करवाया जाएगा. साथ ही इस निर्णय से पड़ने वाले प्रभाव को जनता के सामने लाया जाएगा. पीयूसीएल राज्य सरकार से इस प्रतिगामी निर्णय पर विचार करने और वापिस लेने की मांग की.

बालिका शिक्षा पर पड़ेगा असर : पीयूसीएल की सदस्य मेजर डॉ. मीता सिंह कहती हैं कि इस निर्णय का दूरगामी प्रभाव बालिका शिक्षा पर भी पड़ेगा. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण इलाकों में पढ़ रही बच्चियों को पढ़ाई के स्थान पर अब घर बैठने को मजबूर होना पड़ेगा. यह भी गौरतलब है कि एक बार स्कूल बंद हो जाने पर दोबारा शुरू होना मुश्किल होता है. पिछली भाजपा सरकार में 17000 स्कूल बंद किए गए थे, उनमें से कुछ ही दोबारा चालू हो सके. मीता सिंह कहती हैं कि एक तरफ शिक्षा को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है. वहीं, मौजूदा सरकार 450 स्कूलों के ताले लगा दिए. इसमें 190 प्राथमिक और 260 माध्यमिक शिक्षा के स्कूल थे. अब जब स्कूल ही बंद होगी तो बालिकाएं शिक्षा कैसे प्राप्त करेंगी? सरकारों को स्कूल में बंद करने की जगह स्कूलों की गुणवत्ता के सुधार पर ध्यान देना.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.