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जयपुर : वर्षों पुरानी कोशिश लाई रंग, प्रदेश में पहली बार आया दरियाई घोड़ा

जयपुर में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की वर्षों पुरानी कोशिश रंग लाई है. मंगलवार सुबह दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत राजधानी के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दरियाई घोड़ा लाया गया. वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अशोक तंवर ने बताया कि बायोलॉजिकल पार्क में सिंह और टाइगर के सफल प्रजनन के बाद अब दरियाई घोड़े का भी प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा. अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़ियाघरों में भी दरियाई घोड़ा देने की कोशिश की जाएगी.

जयपुर : वर्षों पुरानी कोशिश लाई रंग, प्रदेश में पहली बार आया दरियाई घोड़ा
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Published : Aug 13, 2019, 3:07 PM IST

जयपुर. राजधानी में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की वर्षों पुरानी कोशिश रंग लाई है. मंगलवार सुबह दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़ा लाया गया. दरियाई घोड़े को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने प्रदेश के पहले एग्जॉटिक पार्क में रखा गया है. बता दें कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े के बदले जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर भेजा गया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बना एग्जॉटिक पार्क प्रदेश का एकमात्र स्थान है, जहां पर पर्यटक दरियाई घोड़ा देख सकेंगे. दरियाई घोड़े को 20 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा. 20 दिन बाद पर्यटक दरियाई घोड़े देख पाएंगे. वहीं अभी नर दरियाई घोड़ा लाया गया है, एक सप्ताह बाद मादा दरियाई घोड़ा भी लाया जाएगा.

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पढ़ें- जयपुर: बीसलपुर बांध के जल स्तर ने तोड़ा पिछले साल का रिकॉर्ड
डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी की सहमति के बाद दिल्ली चिड़ियाघर से एक दरियाई घोड़ा लाया गया है. उन्होंने बताया कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत नर दरियाई घोड़ा लाया गया है और इसके बदले में जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा भेजा गया है.


नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नया एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है, जो वन्यजीव भारत देश में नहीं पाए जाते हैं उनके लिए यह एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को दिल्ली चिड़ियाघर से हिप्पोपोटेमस लाया गया है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में दरियाई घोड़ा लाया गया है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा. जगदीश गुप्ता ने कहा कि दरियाई घोड़े को 20 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा.

पढ़ें- यहां सचमुच पेड़ों पर उगते हैं पैसे! सेब बागीचे में लगाया ध्यान, 1.60 करोड़ की रेंज रोवर बनी घर की शान
वन्यजीव चिकित्सक डॉ.अशोक तंवर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम सोमवार देर रात दिल्ली के लिए रवाना हुई थी और मंगलवार सुबह दरियाई घोड़ा लेकर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंची. दरियाई घोड़े के लिए एग्जॉटिक पार्क में भोजन और रहने के अच्छे इंतजाम किए गए हैं. दरियाई घोड़े को गर्मी से राहत देने के लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है. वन्यजीव चिकित्सक ने बताया कि पार्क को सफारी की तर्ज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है. आने वाले समय में एग्जॉटिक पार्क के लिए जेब्रा, एमू, शुतुरमुर्ग सहित कई वन्यजीव लाने का भी प्रयास किया जा रहा है.

पढ़ें- जयपुर: हिट एंड रन मामले में आरोपी चालक अब तक पुलिस गिरफ्त से दूर
वन्यजीव चिकित्सक ने बताया कि दरियाई घोड़ा दुनिया का तीसरा सबसे भारी जानवर है. दुनिया के भारी जानवरों में पहला व्हेल मछली, दूसरा हाथी और तीसरा दरियाई घोड़ा है. दरियाई घोड़ा पानी और थल दोनों जगह पर रहता है. इस जीव को ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी में नहीं लाया जा सकता था , इसलिए सही मौसम का इंतजार था और बारिश के मौसम में दरियाई घोड़े को को लाया गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली से लाते समय रास्ते में भी दरियाई घोड़े को हर 20 मिनट में पानी का छिड़काव करना पड़ा ताकि इसको कोई समस्या नहीं हो. वहीं साथ में इनवर्टर बैटरी और फव्वारा सिस्टम की भी व्यवस्था की गई थी ताकि बार-बार दरियाई घोड़े को पानी का छिड़काव होता रहे.

पढ़ें- जयपुर: पूर्व प्रधानमंत्री आज दाखिल करेंगे नामांकन, 4 फॉर्म भरेंगे जिनमें 40 प्रस्तावक करेंगे हस्ताक्षर​​​​​​​
डॉ अशोक तंवर ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में सिंह और टाइगर के सफल प्रजनन के बाद अब दरियाई घोड़े का भी प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा. अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़ियाघरों में भी दरियाई घोड़ा देने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने बताया कि दरियाई घोड़े को दिल्ली से लाना एक चुनौतीपूर्ण काम था, जिसको वन विभाग की टीम के सहयोग से सफलतापूर्वक लाया गया. दरियाई घोड़े को लाने में वन विभाग के कर्मचारी कुलदीप शर्मा और देवानंद का काफी सहयोग रहा है.

जयपुर. राजधानी में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की वर्षों पुरानी कोशिश रंग लाई है. मंगलवार सुबह दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़ा लाया गया. दरियाई घोड़े को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने प्रदेश के पहले एग्जॉटिक पार्क में रखा गया है. बता दें कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े के बदले जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर भेजा गया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बना एग्जॉटिक पार्क प्रदेश का एकमात्र स्थान है, जहां पर पर्यटक दरियाई घोड़ा देख सकेंगे. दरियाई घोड़े को 20 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा. 20 दिन बाद पर्यटक दरियाई घोड़े देख पाएंगे. वहीं अभी नर दरियाई घोड़ा लाया गया है, एक सप्ताह बाद मादा दरियाई घोड़ा भी लाया जाएगा.

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डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी की सहमति के बाद दिल्ली चिड़ियाघर से एक दरियाई घोड़ा लाया गया है. उन्होंने बताया कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत नर दरियाई घोड़ा लाया गया है और इसके बदले में जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा भेजा गया है.


नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नया एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है, जो वन्यजीव भारत देश में नहीं पाए जाते हैं उनके लिए यह एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को दिल्ली चिड़ियाघर से हिप्पोपोटेमस लाया गया है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में दरियाई घोड़ा लाया गया है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा. जगदीश गुप्ता ने कहा कि दरियाई घोड़े को 20 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा.

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वन्यजीव चिकित्सक डॉ.अशोक तंवर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम सोमवार देर रात दिल्ली के लिए रवाना हुई थी और मंगलवार सुबह दरियाई घोड़ा लेकर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंची. दरियाई घोड़े के लिए एग्जॉटिक पार्क में भोजन और रहने के अच्छे इंतजाम किए गए हैं. दरियाई घोड़े को गर्मी से राहत देने के लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है. वन्यजीव चिकित्सक ने बताया कि पार्क को सफारी की तर्ज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है. आने वाले समय में एग्जॉटिक पार्क के लिए जेब्रा, एमू, शुतुरमुर्ग सहित कई वन्यजीव लाने का भी प्रयास किया जा रहा है.

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वन्यजीव चिकित्सक ने बताया कि दरियाई घोड़ा दुनिया का तीसरा सबसे भारी जानवर है. दुनिया के भारी जानवरों में पहला व्हेल मछली, दूसरा हाथी और तीसरा दरियाई घोड़ा है. दरियाई घोड़ा पानी और थल दोनों जगह पर रहता है. इस जीव को ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी में नहीं लाया जा सकता था , इसलिए सही मौसम का इंतजार था और बारिश के मौसम में दरियाई घोड़े को को लाया गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली से लाते समय रास्ते में भी दरियाई घोड़े को हर 20 मिनट में पानी का छिड़काव करना पड़ा ताकि इसको कोई समस्या नहीं हो. वहीं साथ में इनवर्टर बैटरी और फव्वारा सिस्टम की भी व्यवस्था की गई थी ताकि बार-बार दरियाई घोड़े को पानी का छिड़काव होता रहे.

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डॉ अशोक तंवर ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में सिंह और टाइगर के सफल प्रजनन के बाद अब दरियाई घोड़े का भी प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा. अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़ियाघरों में भी दरियाई घोड़ा देने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने बताया कि दरियाई घोड़े को दिल्ली से लाना एक चुनौतीपूर्ण काम था, जिसको वन विभाग की टीम के सहयोग से सफलतापूर्वक लाया गया. दरियाई घोड़े को लाने में वन विभाग के कर्मचारी कुलदीप शर्मा और देवानंद का काफी सहयोग रहा है.

Intro:जयपुर
एंकर- राजधानी जयपुर में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की वर्षों पुरानी कोशिश रंग लाई है। मंगलवार सुबह दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़ा लाया गया। दरियाई घोड़े को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने प्रदेश के पहले एग्जॉटिक पार्क में रखा गया है।


Body:एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े के बदले जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर भेजा गया है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बना एग्जॉटिक पार्क प्रदेश का एकमात्र स्थान है जहां पर पर्यटक दरियाई घोड़ा देख सकेंगे। दरियाई घोड़े को 20 दिन तक पर्यटक को से दूर रखा जाएगा। इसके बाद पर्यटक दरियाई घोड़े को दे पाएंगे। अभी नर दरियाई घोड़ा लाया गया है एक सप्ताह बाद मादा दरियाई घोड़ा भी लाया जाएगा।
वन्यजीव चिकित्सक डॉ.अशोक तंवर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम सोमवार देर रात दिल्ली के लिए रवाना हुई थी और मंगलवार सुबह दरियाई घोड़ा लेकर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंचे। दरियाई घोड़े के लिए एग्जॉटिक पार्क में भोजन और रहने के अच्छे इंतजाम किए गए हैं। दरियाई घोड़े को गर्मी से राहत देने के लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है। एग्जॉटिक पार्क को सफारी की तर्ज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है। आने वाले समय में एग्जॉटिक पार्क के लिए जेब्रा, एमू, शुतुरमुर्ग सहित कई वन्यजीव गाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन के बाद दिल्ली चिड़ियाघर से एक दरियाई घोड़ा लाया गया है। एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत नर दरियाई घोड़ा लाया गया है। इसके बदले में जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा भेजा गया है। एक सप्ताह बाद फीमेल दरियाई घोड़ा दिलाया जाएगा। दरियाई घोड़े को हिप्पोपोटेमस के नाम से भी जाना जाता है यह जलीय जीव है जो कि अफ्रीका में पाया जाता है।
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नया एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है। जो वन्यजीव भारत देश में नहीं पाए जाते हैं उनके लिए यह एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है। आज दिल्ली चिड़ियाघर से हिप्पोपोटेमस गाया गया है। राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में हिप्पोपोटेमस यानी दरियाई घोड़ा लाया गया है। जो कि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। दरियाई घोड़ा ज्यादातर पानी में ही रहता है। इसके लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है। तालाब में दरियाई घोड़ा अठखेलियां करता हुआ नजर आएगा। यह वन्य जीव शाकाहारी है जो कि घास और फल ज्यादा पसंद करता है। हाथी की तरह दरियाई घोड़े का भोजन होता है। दरियाई घोड़े को 20 दिन तक डिस्प्ले से बाहर रखा जाएगा और 20 दिन बाद पर्यटकों को देखने के लिए खोला जाएगा। ताकि 20 दिन में यहां के वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल सके। दरियाई घोड़ा एग्जॉटिक पार्क में उग रही प्राकृतिक घास को भी खाने का आनंद ले रहा है। उम्मीद है कि दरियाई घोड़ा पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। एक सप्ताह बाद दरियाई घोड़े का जोड़ा बनाने के लिए फीमेल भी लाई जाएगी।
वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया कि दरियाई घोड़ा दुनिया का तीसरा सबसे भारी जानवर है। दुनिया के भारी जानवरों में पहला व्हेल मछली, दूसरा हाथी और तीसरा दरियाई घोड़ा है। दरियाई घोड़ा पानी और थल दोनों जगह परी रहता है। इस जीव को ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी में नहीं लाया जा सकता। इसलिए सही मौसम का इंतजार था और बारिश के मौसम में दरियाई घोड़े को को लाया गया है। दिल्ली से लाते समय रास्ते में भी दरियाई घोड़े के हर 20 मिनट में पानी का छिड़काव करना पड़ा ताकि इसको कोई समस्या नहीं हो। साथ में इनवर्टर बैटरी और फव्वारा सिस्टम की भी व्यवस्था की गई थी ताकि बार-बार दरियाई घोड़े को पानी का छिड़काव होता रहे। और बिल्कुल धीरे धीरे 30 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से इसको लाया गया है। ज्यादा तेज स्पीड मैं वाहन चलाने से दरियाई घोड़े के शॉक्ड होने की स्थिति बन जाती है। रास्ते में खाने के लिए चना चने की खल केले जय जो मक्का बाजरा ज्वार की कुट्टी दी गई यह सब दरियाई घोड़े का प्रिय भोजन होता है सबसे ज्यादा केले को पसंद करता है और केले के अंदर ही दवाइयां दी जाती है। राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में दरियाई घोड़ा लाया गया है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लायन और टाइगर के सफल प्रजनन के बाद अब दरियाई घोड़े का भी प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा। अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़िया घरों में भी दरियाई घोड़ा देने की कोशिश की जाएगी। दरियाई घोड़े को दिल्ली से लाना एक चुनौतीपूर्ण काम था जिसको वन विभाग की टीम के सहयोग से सफलता प्राप्त की गई है। दरियाई घोड़े को लाने में वन विभाग के कर्मचारी कुलदीप शर्मा और देवानंद का काफी सहयोग रहा है। दरियाई घोड़े को बार बार पानी के छिड़काव की जरूरत पढ़ रही थी। रास्ते में दो जगह पर बारिश भी मिली जिससे काफी सहयोग मिला।

बाईट- सुदर्शन शर्मा, डीएफओ, वन विभाग, जयपुर
बाईट- जगदीश गुप्ता, एसीएफ, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क
बाईट- डॉ. अशोक तंवर, वन्यजीव चिकित्सक





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