जयपुर. राजधानी में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की वर्षों पुरानी कोशिश रंग लाई है. मंगलवार सुबह दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़ा लाया गया. दरियाई घोड़े को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने प्रदेश के पहले एग्जॉटिक पार्क में रखा गया है. बता दें कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े के बदले जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर भेजा गया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बना एग्जॉटिक पार्क प्रदेश का एकमात्र स्थान है, जहां पर पर्यटक दरियाई घोड़ा देख सकेंगे. दरियाई घोड़े को 20 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा. 20 दिन बाद पर्यटक दरियाई घोड़े देख पाएंगे. वहीं अभी नर दरियाई घोड़ा लाया गया है, एक सप्ताह बाद मादा दरियाई घोड़ा भी लाया जाएगा.
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डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी की सहमति के बाद दिल्ली चिड़ियाघर से एक दरियाई घोड़ा लाया गया है. उन्होंने बताया कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत नर दरियाई घोड़ा लाया गया है और इसके बदले में जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा भेजा गया है.
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नया एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है, जो वन्यजीव भारत देश में नहीं पाए जाते हैं उनके लिए यह एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को दिल्ली चिड़ियाघर से हिप्पोपोटेमस लाया गया है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में दरियाई घोड़ा लाया गया है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा. जगदीश गुप्ता ने कहा कि दरियाई घोड़े को 20 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा.
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वन्यजीव चिकित्सक डॉ.अशोक तंवर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम सोमवार देर रात दिल्ली के लिए रवाना हुई थी और मंगलवार सुबह दरियाई घोड़ा लेकर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंची. दरियाई घोड़े के लिए एग्जॉटिक पार्क में भोजन और रहने के अच्छे इंतजाम किए गए हैं. दरियाई घोड़े को गर्मी से राहत देने के लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है. वन्यजीव चिकित्सक ने बताया कि पार्क को सफारी की तर्ज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है. आने वाले समय में एग्जॉटिक पार्क के लिए जेब्रा, एमू, शुतुरमुर्ग सहित कई वन्यजीव लाने का भी प्रयास किया जा रहा है.
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वन्यजीव चिकित्सक ने बताया कि दरियाई घोड़ा दुनिया का तीसरा सबसे भारी जानवर है. दुनिया के भारी जानवरों में पहला व्हेल मछली, दूसरा हाथी और तीसरा दरियाई घोड़ा है. दरियाई घोड़ा पानी और थल दोनों जगह पर रहता है. इस जीव को ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी में नहीं लाया जा सकता था , इसलिए सही मौसम का इंतजार था और बारिश के मौसम में दरियाई घोड़े को को लाया गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली से लाते समय रास्ते में भी दरियाई घोड़े को हर 20 मिनट में पानी का छिड़काव करना पड़ा ताकि इसको कोई समस्या नहीं हो. वहीं साथ में इनवर्टर बैटरी और फव्वारा सिस्टम की भी व्यवस्था की गई थी ताकि बार-बार दरियाई घोड़े को पानी का छिड़काव होता रहे.
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डॉ अशोक तंवर ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में सिंह और टाइगर के सफल प्रजनन के बाद अब दरियाई घोड़े का भी प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा. अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़ियाघरों में भी दरियाई घोड़ा देने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने बताया कि दरियाई घोड़े को दिल्ली से लाना एक चुनौतीपूर्ण काम था, जिसको वन विभाग की टीम के सहयोग से सफलतापूर्वक लाया गया. दरियाई घोड़े को लाने में वन विभाग के कर्मचारी कुलदीप शर्मा और देवानंद का काफी सहयोग रहा है.