जयपुर. विधानसभा में गुरुवार को पुलिस और जेल की अनुदान मांगों पर चर्चा करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी ने दूसरे दिन भी अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में कानून की जिम्मेदारी पूर्ववर्ती सरकार की नहीं है. उन्होंने जो किया उसी के चलते वह विपक्ष में चले गए, आज सरकार हमारी है और इसमें हम दूसरों की जिम्मेदारी नहीं डाल सकते. हेमाराम ने हादसों, पुलिस हिरासत में मुआवजे और पुलिस तबादलों को लेकर सरकार को घेरा.
पुलिस कस्टडी में मौत पर सभी को दिया जाए समान मुआवजा
हाल ही में बाड़मेर में दलित युवक की पुलिस हिरासत में मौत होने के मामले पर हेमाराम ने कहा कि लाश 2 दिन तक पड़ी रही और परिजनों को सरकार की ओर से मौके में 25 लाख रुपए दिए गए. उन्होंने कहा कि इंसान की कीमत पैसे से नहीं तो ली जा सकती है लेकिन, पुलिस वालों की गलती है तो उन पर मुकदमा दर्ज किया जाए.
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उन्होंने कहा कि पुलिस कस्टडी में पहले भी मौत होती रही है. उनको मुआवजा नहीं दिया क्या. जो हो हल्ला नहीं करते ऐसे लोगों के लिए भी मुआवजा तय होना चाहिए. प्रदेश में जितनी भी पुलिस कस्टडी में मौतें हुई उन पर भी सरकार को एक समान नियम बनाना चाहिए. हेमाराम ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि बूंदी में हुए सड़क हादसे के समय विधानसभा चल रही थी तो उन्हें दिया गया 5 लाख मुआवजा लेकिन क्या इससे पहले एक्सीडेंट नहीं हुए थे.
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हेमाराम चौधरी ने ना केवल कस्टडी में मौत पर मुआवजा देने की बात उठाई बल्कि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट में मौत होने पर भी प्रदेश में समान मुआवजे की व्यवस्था होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बूंदी की मेज नदी में जो एक्सीडेंट हुआ, उसमें मृतकों को 5 लाख मुआवजा दिया गया.
लेकिन, क्योंकि सत्र चल रहा था और अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया तो सरकार ने उसे 5 लाख का मुआवजा दे दिया. सरकार को चाहिए कि बाकी जितने एक्सीडेंट होते है उनके लिए भी एक मुआवजा राशि फिक्स करें. अलग-अलग मामलों में अलग-अलग तरीके के मुहावजे देने का काम ना किया जाए.
2 अप्रैल को दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए जाएं
हेमाराम ने 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान एससी एसटी के लोगों पर दर्ज किया मुकदमों को वापस लेने की मांग करते हुए हेमाराम ने कहा कि कोई संविधान संशोधन की आशंका थी, जिस पर विरोध प्रदर्शन करने जनता आई थी. लेकिन, उनके साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया विरोध करने वालों के प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियां भी जला दी और उनको जेल भी जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि 2 अप्रैल को हुए मुकदमे में से 42 मुकदमे ही वापस क्यों लिए गए सारे मुकदमे ऐसे लोगों के वापस लिए जाने चाहिए.
अपनी पीड़ा भी रखी सदन में
सदन में विधायक हेमाराम ने अपनी पीड़ा भी बताई. उन्होंने कहा कि गुडामालानी की एक पंचायत का थाना बाड़मेर सदर के साथ कर दिया गया. उसका एसडीओ और अन्य कार्यालय गुड़ा मनाली में है और उसका थाना बाड़मेर में कर दिया गया. सरकार को बैठे-बैठे पता नहीं क्या सूझ गया. मैं उसके लिए कोशिश करते करते थक गया हूं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.