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अस्पतालों में नवजात बच्चों के झुलसने का मामला, हॉस्पिटल में लगे वार्मर से हादसा, कमेटी ने बदलने की सिफारिश की

राजस्थान के अलग-अलग अस्पतालों में (burns of newborn children in hospitals ) नवजात बच्चों के झुलसने के मामले लगातार सामने आए हैं. जिनमें अलवर और ब्यावर में तो नवजातों की झुलसने मौत भी हो चुकी है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से 14 जून को सभी अस्पतालों को सर्कुलर जारी किया गया. जिसके तहत सभी अस्पतालों में 3 साल से पुराने वार्मरों को बदला जाएगा. तो वहीं सभी एसएनसीयू में हर आठ घंटे में शिशु रोग विशेषज्ञ को राउण्ड लेना अनिवार्य होगा.

burns of newborn children in hospitals
स्वास्थ्य भवन
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Published : Jun 17, 2022, 7:52 PM IST

जयपुर. पिछले कुछ समय से प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में नवजात बच्चों के झुलसने के मामले सामने आए हैं (burns of newborn children in hospitals). जिनमें अलवर और ब्यावर में तो झुलसने से नवजात बच्चों की मौत तक हो चुकी है. इसे लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से एक जांच कमेटी का गठन किया गया था और अस्पतालों में हुई जांच से सामने आया है कि अस्पतालों में बच्चों को गर्म रखने के लिए जो वार्मर लगाए गए हैं वह ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे. ऐसे में अस्पतालों में लगे 3 साल से पुराने वर्मरों को बदलने की सिफारिश की गई है.

स्वास्थ्य विभाग ने 14 जून को सभी अस्पतालों को सर्कुलर जारी किया है. जिसके तहत अस्पतालों में 3 साल से पुराने वार्मरों को बदला जाएगा. तो सभी एसएनसीयू में हर आठ घंटे में शिशु रोग विशेषज्ञ को राउण्ड लेना अनिवार्य होगा.

अस्पतालों में हो रहे हादसों पर कमेटी का गठन किया गया: साल 2020 में अलवर शहर के सरकारी अस्पताल के शिशु वार्ड में नवजात बालिका के झुलसने का मामला हो या फिर हाल ही में ब्यावर के अस्पताल में दो बच्चों की वार्मर में झुलसने से हुई मौत का मामला. इन दोनों ही घटनाओं ने सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे. ऐसे में अस्पतालों में हो रहे इन हादसों को लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया था और कमेटी ने एक रिपोर्ट विभाग को सौंपी है.

3 साल पुराने वार्मरों के स्थान पर नए वार्मर लगेंगे: इसमें बताया गया है कि वार्मर और इलेक्ट्रिसिटी सेटअप के कारण इस तरह के हादसे अस्पतालों में हो रहे हैं. ऐसे में कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कुछ सिफारिशें अस्पताल में लागू करने के निर्देश चिकित्सा विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हैं. इसे लेकर चिकित्सा सचिव डॉ पृथ्वी ने सभी अस्पतालों को निर्देश जारी कर कहा है कि अस्पतालों में अब 3 साल से अधिक पुराने वार्मरों के स्थान पर नए वार्मर लगाए जाएंगे.

अस्पतालों में विद्युत सप्लाई की पावर केबल की फिटिंग की जगह नई पावर केबल की फिटिंग कराई जाएगी. इसके अलावा इंजीनियरों को समय-समय पर इनकी गुणवत्ता की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं, तो प्रत्येक रेडियन्ट वार्मर पर अलग से 6 एम्पीयर की एमसीबी के साथ ऑटो कट स्टेबलाईजर लगाये जाए.

हर शिशु वार्ड का 8 घंटे में राउण्ड लिया जाएगा: सर्कुलर के अनुसार अब एफबीएनसी और एसएनसीयू में हर 8 घंटे में शिशु रोग विशेषज्ञ की ओर से हर शिशु वार्ड का राउण्ड लिया जाएगा. जबकि एफबीएनसी / एसएनसीयू में शिशु रोग विशेषज्ञ, एफबीएनसी ट्रेण्ड चिकित्सक और एफ.बी.एन.सी. ट्रेण्ड नर्सिंग स्टाफ की सेवायें 24 घंटे सातों दिन सुनिश्चित करनी होगी. एसएनसीयू इन्फेक्शन कन्ट्रोल के लिए हर तीन माह में एसएनसीयू एनवायरमेन्टल स्वाब भिजवाना होगा. हाई वोल्टेज की समस्या के समाधान के लिए समय-समय पर पॉवर ऑडिट करने और इलेक्ट्रीशियन की नियुक्ति करने के भी निर्देश दिए गए हैं. ब्यावर के अस्पताल में हाल ही में दो बच्चों की वार्मर में झुलसने से मौत हो गई थी. जिसके बाद प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा के निर्देश पर एक जांच कमेटी का गठन किया गया था और किस कारण से अस्पतालों में यह हादसे हो रहे हैं इसकी जानकारी मांगी गई थी.

जयपुर. पिछले कुछ समय से प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में नवजात बच्चों के झुलसने के मामले सामने आए हैं (burns of newborn children in hospitals). जिनमें अलवर और ब्यावर में तो झुलसने से नवजात बच्चों की मौत तक हो चुकी है. इसे लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से एक जांच कमेटी का गठन किया गया था और अस्पतालों में हुई जांच से सामने आया है कि अस्पतालों में बच्चों को गर्म रखने के लिए जो वार्मर लगाए गए हैं वह ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे. ऐसे में अस्पतालों में लगे 3 साल से पुराने वर्मरों को बदलने की सिफारिश की गई है.

स्वास्थ्य विभाग ने 14 जून को सभी अस्पतालों को सर्कुलर जारी किया है. जिसके तहत अस्पतालों में 3 साल से पुराने वार्मरों को बदला जाएगा. तो सभी एसएनसीयू में हर आठ घंटे में शिशु रोग विशेषज्ञ को राउण्ड लेना अनिवार्य होगा.

अस्पतालों में हो रहे हादसों पर कमेटी का गठन किया गया: साल 2020 में अलवर शहर के सरकारी अस्पताल के शिशु वार्ड में नवजात बालिका के झुलसने का मामला हो या फिर हाल ही में ब्यावर के अस्पताल में दो बच्चों की वार्मर में झुलसने से हुई मौत का मामला. इन दोनों ही घटनाओं ने सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे. ऐसे में अस्पतालों में हो रहे इन हादसों को लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया था और कमेटी ने एक रिपोर्ट विभाग को सौंपी है.

3 साल पुराने वार्मरों के स्थान पर नए वार्मर लगेंगे: इसमें बताया गया है कि वार्मर और इलेक्ट्रिसिटी सेटअप के कारण इस तरह के हादसे अस्पतालों में हो रहे हैं. ऐसे में कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कुछ सिफारिशें अस्पताल में लागू करने के निर्देश चिकित्सा विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हैं. इसे लेकर चिकित्सा सचिव डॉ पृथ्वी ने सभी अस्पतालों को निर्देश जारी कर कहा है कि अस्पतालों में अब 3 साल से अधिक पुराने वार्मरों के स्थान पर नए वार्मर लगाए जाएंगे.

अस्पतालों में विद्युत सप्लाई की पावर केबल की फिटिंग की जगह नई पावर केबल की फिटिंग कराई जाएगी. इसके अलावा इंजीनियरों को समय-समय पर इनकी गुणवत्ता की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं, तो प्रत्येक रेडियन्ट वार्मर पर अलग से 6 एम्पीयर की एमसीबी के साथ ऑटो कट स्टेबलाईजर लगाये जाए.

हर शिशु वार्ड का 8 घंटे में राउण्ड लिया जाएगा: सर्कुलर के अनुसार अब एफबीएनसी और एसएनसीयू में हर 8 घंटे में शिशु रोग विशेषज्ञ की ओर से हर शिशु वार्ड का राउण्ड लिया जाएगा. जबकि एफबीएनसी / एसएनसीयू में शिशु रोग विशेषज्ञ, एफबीएनसी ट्रेण्ड चिकित्सक और एफ.बी.एन.सी. ट्रेण्ड नर्सिंग स्टाफ की सेवायें 24 घंटे सातों दिन सुनिश्चित करनी होगी. एसएनसीयू इन्फेक्शन कन्ट्रोल के लिए हर तीन माह में एसएनसीयू एनवायरमेन्टल स्वाब भिजवाना होगा. हाई वोल्टेज की समस्या के समाधान के लिए समय-समय पर पॉवर ऑडिट करने और इलेक्ट्रीशियन की नियुक्ति करने के भी निर्देश दिए गए हैं. ब्यावर के अस्पताल में हाल ही में दो बच्चों की वार्मर में झुलसने से मौत हो गई थी. जिसके बाद प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा के निर्देश पर एक जांच कमेटी का गठन किया गया था और किस कारण से अस्पतालों में यह हादसे हो रहे हैं इसकी जानकारी मांगी गई थी.

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