जयपुर . लोकसभा चुनाव को लेकर शुरू हुए घमासान के बीच राजस्थान की राजनीतिक जमीन पर बड़ा उलटफेर हुआ है. हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) और भाजपा के बीच गठबंधन हो गया है. रालोपा अब एनडीए का घटक दल होगा. इस गठबंधन के बाद अब हनुमान बेनीवाल नागौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. रालोपा और भाजपा के बीच हुए इस गठबंधन के बाद सियासी सातवें आसमान पर पहुंच गया है.
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय में केंद्रीय मंत्री और लोकसभा चुनाव के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता कर इसका ऐलान कर दिया. इस प्रेस वार्ता में आरएलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल प्रकाश जावड़ेकर के साथ उनकी कार में बैठकर ही भाजपा मुख्यालय पहुंचे. साथ ही पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के साथ इन नेताओं ने संयुक्त प्रेस वार्ता कर गठबंधन की जानकारी दी. गठबंधन के तहत भाजपा ने नागौर लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारने का भी ऐलान कर दिया है. इस सीट पर गठबंधन के तहत आरएलपी के टिकट से विधायक हनुमान बेनीवाल लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. जबकि बची हुई प्रदेश की 24 सीटों पर बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भाजपा का समर्थन करेगी. इस दौरान हनुमान बेनीवाल ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर वापस भाजपा के साथ जुटे हैं.
उनका लक्ष्य देश में नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनवाना होगा. हालांकि जब उनसे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ चल रहे मनमुटाव से जुड़ा सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि अब उनका एक ही लक्ष्य है और वह है लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 24 सीटों पर भाजपा का कमल फैलाना और नागौर में आरएलपी की जीत दर्ज करवाना. वहीं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हनुमान बेनीवाल का भाजपा में स्वागत करते हुए कहा कि बेनीवाल के भाजपा को समर्थन मिलने से प्रदेश में बीजेपी को और मजबूती मिलेगी. लोकसभा चुनाव को लेकर बिछी सियासी बिसात के बीच रालोपा और भाजपा के बीच गठबंधन होने के बाद राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ गया है. हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के बीच भी इससे पहले गठबंधन को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ा था. लेकिन, सीटों के बंटवारे को लेकर फंसे पेच के कारण बेनीवाल ने गठबंधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. लेकिन, इसके बाद सभी को चौंकाते हुए अब रालोपा और भाजपा ने आपस में हाथ मिला लिया है. बेनीवाल की पार्टी रालोपा और भाजपा के बीच गठबंधन हो गया है.
भाजपा और रालोपा के इस गठबंधन पर राजनीति के जानकारों का कहना है कि इसका असर जाट मतदाताओं को साधने के दौरान देखने को मिल सकता है. साथ ही इस गठबंधन के बाद अब राजस्थान की कई सीटों पर सियासी समीकरणों में बड़ा बदलाव दिखाई दे सकता है. वहीं, जानकारों का कहना है रालोपा और भाजपा के गठबंधन के बाद अब मिशन 25 को साधने में जुटे सीएम अशोक गहलोत के सामने राजनीतिक चुनौतियां बढ़ गई हैं. आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान नई पार्टी रालोपा बनाते हुए बेनीवाल मैदान में उतरे थे. उनकी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने को लेकर बेनीवाल की पार्टी ने एलान किया था. इससे पहले उनकी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा अंतिम दौर में पहुंच चुकी थी. लेकिन, सीटों के बंटवारे को लेकर फंसे पेच के चलते दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी. सूत्रों ने बताया कि हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस से 7 सीटें मांगी थी, लेकिन कांग्रेस रालोपा को केवल 3 सीटें ही देने को तैयार थी. इसके बाद बेनीवाल ने कांग्रेस की ओर से दिया गया गठबंधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया था.